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बगहा में ट्रेन से कटकर मगरमच्छ की मौत, हरहा नहर से निकलकर रेल लाइन पार करते समय हादसा - crocodile death

Bagaha Crocodile Found Death: बगहा में ट्रेन से कटकर एक मगरमच्छ की मौत हो गयी. बताया जा रहा है कि शायद मगरमच्छ हरहा नदी से निकलकर रेलवे ट्रैक पार कर रहा था, तभी ट्रेन आ गई और मगरमच्छ को अपनी चपेट में ले लिया. घटना बगहा के बरवल पिपरा गांव के पास हुई. पढ़िये पूरी खबर,

ट्रेन से कटा मगरमच्छ
ट्रेन से कटा मगरमच्छ
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Mar 27, 2024, 1:39 PM IST

Updated : Mar 27, 2024, 7:15 PM IST

ट्रेन से कटा मगरमच्छ

बगहा: बरवल पिपरा गांव के हरहा नदी पर बने पुल संख्या 347 के पास ट्रेन से कटकर एक मगरमच्छ की मौत हो गयी है. इस घटना पर पर्यावरण प्रेमियों ने चिंता जताई है. जानकारी के मुताबिक मगरमच्छ संभवतः हरहा नदी से निकलकर रेलवे ट्रैक पार कर रहा था तभी वहां से गुजर रही ट्रेन की चपेट में आ गया. ट्रेन से कटने के बाद उसकी मौत हो गयी.

पर्यावरण प्रेमी गजेंद्र यादव ने दी घटना की जानकारी: बताया जाता है कि सुबह-सुबह पर्यावरण प्रेमी गजेंद्र यादव खेत की तरफ गए थे, तभी उनकी नजर ट्रैक के पास मृत पड़े मगरमच्छ पर गयी जिसकी जानकारी उन्होंने वन विभाग को दी. घटना की खबर मिलने के बाद मौके पर पहुंचे वनकर्मियों ने मगरमच्छ को अपने कब्जे में ले लिया.

गंडक नदी में सैकड़ों की संख्या में पाए जाते हैं मगरमच्छःवाल्मीकि टाइगर रिजर्व अंतर्गत गंडक नदी में सैकड़ों की संख्या में मगरमच्छ पाए जाते हैं. कई बार ये मगरमच्छ रिहायशी इलाकों समेत आसपास के पोखर, तालाब और नहर का रुख करते हैं. इस दौरान इनकी जान पर भी बन आती है.पिछले वर्ष भी औसानी हाल्ट के पास दो मगरमच्छ ट्रेन से कट गए थे और उनकी मौत हो गई थी.

चंबल के बाद गंडक नदी है मगरमच्छों का अधिवास क्षेत्रःदेश में चंबल नदी के बाद गंडक नदी ही एक ऐसा अधिवास क्षेत्र है जहां मगरमच्छ और घड़ियाल बहुतायत संख्या में पाए जाते हैं. उनको यह अधिवास क्षेत्र काफी पसंद आता है.इसी गंडक नदी की उप वैतरणी तिरहुत, त्रिवेणी, दोन और हरहा नहरों में मगरमच्छ डेरा जमाये रहते हैं औऱ अक्सर पानी से बाहर निकलकर रिहायशी इलाकों के अलावा सड़क और रेलवे ट्रैक पर आ जाते हैं, जिससे हादसों के शिकार हो जाते हैं.

संरक्षित प्राणी है मगरमच्छः बता दें कि कुछ सालों पहले तक मगरमच्छ की कई प्रजातियां विलुप्ति की कगार पर थीं. जिसके बाद 1975 में देश के कई राज्यों में मगरमच्छ संरक्षण परियोजनाओं की स्थापना की गयी. घड़ियाल और खारे पानी के मगरमच्छ संरक्षण कार्यक्रम को 1975 की शुरुआत में ओडिशा में शुरू किया गया था, उसके बाद व्यापक तौर पर इसे शुरू किया गया. परिणामस्वरूप खारे पानी के मगरमच्छों की संख्या 1976 के 96 से बढ़कर 2012 में 1,640 हो गई.

ये भी पढ़ेंःBagaha News: बगहा में ट्रेन से कटकर 2 मगरमच्छों की मौत, वन विभाग ने पोस्टमॉर्टम के बाद दफनाया

ट्रेन से कटा मगरमच्छ

बगहा: बरवल पिपरा गांव के हरहा नदी पर बने पुल संख्या 347 के पास ट्रेन से कटकर एक मगरमच्छ की मौत हो गयी है. इस घटना पर पर्यावरण प्रेमियों ने चिंता जताई है. जानकारी के मुताबिक मगरमच्छ संभवतः हरहा नदी से निकलकर रेलवे ट्रैक पार कर रहा था तभी वहां से गुजर रही ट्रेन की चपेट में आ गया. ट्रेन से कटने के बाद उसकी मौत हो गयी.

पर्यावरण प्रेमी गजेंद्र यादव ने दी घटना की जानकारी: बताया जाता है कि सुबह-सुबह पर्यावरण प्रेमी गजेंद्र यादव खेत की तरफ गए थे, तभी उनकी नजर ट्रैक के पास मृत पड़े मगरमच्छ पर गयी जिसकी जानकारी उन्होंने वन विभाग को दी. घटना की खबर मिलने के बाद मौके पर पहुंचे वनकर्मियों ने मगरमच्छ को अपने कब्जे में ले लिया.

गंडक नदी में सैकड़ों की संख्या में पाए जाते हैं मगरमच्छःवाल्मीकि टाइगर रिजर्व अंतर्गत गंडक नदी में सैकड़ों की संख्या में मगरमच्छ पाए जाते हैं. कई बार ये मगरमच्छ रिहायशी इलाकों समेत आसपास के पोखर, तालाब और नहर का रुख करते हैं. इस दौरान इनकी जान पर भी बन आती है.पिछले वर्ष भी औसानी हाल्ट के पास दो मगरमच्छ ट्रेन से कट गए थे और उनकी मौत हो गई थी.

चंबल के बाद गंडक नदी है मगरमच्छों का अधिवास क्षेत्रःदेश में चंबल नदी के बाद गंडक नदी ही एक ऐसा अधिवास क्षेत्र है जहां मगरमच्छ और घड़ियाल बहुतायत संख्या में पाए जाते हैं. उनको यह अधिवास क्षेत्र काफी पसंद आता है.इसी गंडक नदी की उप वैतरणी तिरहुत, त्रिवेणी, दोन और हरहा नहरों में मगरमच्छ डेरा जमाये रहते हैं औऱ अक्सर पानी से बाहर निकलकर रिहायशी इलाकों के अलावा सड़क और रेलवे ट्रैक पर आ जाते हैं, जिससे हादसों के शिकार हो जाते हैं.

संरक्षित प्राणी है मगरमच्छः बता दें कि कुछ सालों पहले तक मगरमच्छ की कई प्रजातियां विलुप्ति की कगार पर थीं. जिसके बाद 1975 में देश के कई राज्यों में मगरमच्छ संरक्षण परियोजनाओं की स्थापना की गयी. घड़ियाल और खारे पानी के मगरमच्छ संरक्षण कार्यक्रम को 1975 की शुरुआत में ओडिशा में शुरू किया गया था, उसके बाद व्यापक तौर पर इसे शुरू किया गया. परिणामस्वरूप खारे पानी के मगरमच्छों की संख्या 1976 के 96 से बढ़कर 2012 में 1,640 हो गई.

ये भी पढ़ेंःBagaha News: बगहा में ट्रेन से कटकर 2 मगरमच्छों की मौत, वन विभाग ने पोस्टमॉर्टम के बाद दफनाया

Last Updated : Mar 27, 2024, 7:15 PM IST
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