हरिद्वार: ढोल-नगाड़ों की थाप पर श्रद्धालुओं और मंत्री प्रसाद नैथानी की अगुवाई में पहाड़ों के देवता विश्वनाथ जगदीशिला की डोली पहाड़ों से उतरकर धर्मनगरी पहुंची है, जहां डोली ने हरकी पैड़ी स्थित ब्रह्मकुंड में गंगा में स्नान किया. इसके बाद डोली की विधिवत पूजा-अर्चना कर विश्व शांति की कामना की गई. इस डोली यात्रा का मुख्य उद्देश्य 1000 धाम चिन्हित करके पूरे विश्व में उत्तराखंड की संस्कृति को बचाने का कार्य करना है. जिसमें से 327 धाम चिन्हित कर लिए गए हैं. हरिद्वार से यह देवडोली गंगा दशहरा के दिन विशौन पर्वत टिहरी गढ़वाल पहुंचेगी, जहां 16 जून को इस यात्रा का समापन होगा.
327 जगहों का भ्रमण कर चुकी विश्वनाथ जगदीशिला की डोली: महामंडलेश्वर स्वामी ललितानंद गिरि महाराज ने बताया कि डोली यात्रा को इस साल 25 साल हो गए हैं. हरिद्वार में विश्वनाथ जगदीशिला डोली ने गंगा स्नान किया है. इसी बीच हम सभी ने जनकल्याण और विश्व शांति की भावना से देवडोली की पूजा-अर्चना की है. उन्होंने कहा कि अगले वर्ष यह यात्रा 26 साल में प्रवेश करेगी. वहीं, हंस फाउंडेशन की मंगला माता ने बताया कि यह हमारा सौभाग्य कि 25 वर्ष में आज हमें शामिल होने का मौका मिला है. मंत्री प्रसाद मैथानी वर्षों से उत्तराखंड के कॉन्सेप्ट को बढ़ाने का प्रयास कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि डोली को 327 जगहों का भ्रमण कराया गया है, जबकि 1000 ऐसी जगह चिन्हित की गई हैं, जहां पर डोली को ले जाया जाएगा.
उत्तराखंड में 1000 धाम स्थापित करना यात्रा का उद्देश्य: विश्वनाथ जगदीशिला डोली यात्रा के संयोजक मंत्री प्रसाद नैथानी ने कहा कि बाबा विश्वनाथ जगदीशिला डोली यात्रा हर साल आयोजित की जाती है. विश्व शांति, देश-संस्कृति की रक्षा और चारधाम के साथ-साथ उत्तराखंड में 1000 धाम स्थापित हों, इस उद्देश्य के साथ यह यात्रा निकाली जाती है. उन्होंने कहा कि डोली का भ्रमण कार्यक्रम 16 जून तक है. इस दौरान डोली चारों धामों के साथ-साथ पूरे उत्तराखंड के विभिन्न देवालयों में साढ़े 10 हजार किलोमीटर की दूरी तय करेगी.
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