कोरबा : पिछले कई दिनों से आयुष्मान भारत योजना अंतर्गत अस्पतालों का क्लेम लटकने और हितग्राहियों को सुविधा नहीं मिलने की बातें सामने आ रही थी. लेकिन अब स्वास्थ्य विभाग ने 100 फीसदी लोगों को इस योजना का लाभ देने जा रही है. अब इस योजना के तहत प्रत्येक नागरिक को कवर किया जाएगा.
आयुष्मान भारत कार्ड बनाने का टारगेट : स्वास्थ्य विभाग ने भी अलग-अलग स्थानो में शिविर लगाकर लोगों का आयुष्मान भारत कार्ड बनाने का टारगेट तय किया है. इस योजना के तहत एपीएल वर्ग के लोगों को 50 हजार, जबकि बीपीएल वर्ग के लोगों को 5 लाख रुपए तक के इलाज की सुविधा निजी या सरकारी अस्पताल में मिलती है.
1 लाख 75 हजार लोग योजना से छूटे : जिले में अब तक 11 लाख 75 हजार लोगों को राशन कार्ड जारी किया जा चुका है. इसी आंकड़ों के मद्देनजर स्वास्थ्य विभाग ने भी शेष बचे 1 लाख 75 हजार लोगों को आयुष्मान भारत योजना से जोड़ने की बात कही है. वर्तमान में जिले में 10 लाख लोगों का आयुष्मान कार्ड बनाया जा चुका है. कई आयुष्मान कार्डधारकों का केवाईसी अपडेट नहीं करने के कारण उन्हें नए कार्ड बनाने की आवश्यकता पड़ती है. जो हितग्राही इस योजना से वंचित रह गए हैं, उन्हें नए सिरे से योजना से जोड़ने की बात स्वास्थ्य विभाग ने कही है.
इस तरह जोड़ें योजना में अपना नाम : आयुष्मान भारत योजना के तहत आयुष्मान कार्ड बनाने के लिए राशन कार्ड और आधार कार्ड का होना अनिवार्य है. इसे लेकर नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र, आंगनबाड़ी या मितानिन से संपर्क किया जा सकता है. सभी स्वास्थ्य केंद्र और मेडिकल कॉलेज अस्पताल में केंद्र खोलकर कर्मचारियों को तैनात किया गया है, जहां आयुष्मान कार्ड बनाकर प्रदान किया जाता है.
सभी को योजना से जोड़ने का है टारगेट : योजना के प्रभारी शिव राठौर ने बताया, "वर्तमान में जिले में 1 लाख 75 हजार लोग योजना के तहत कवर नहीं हैं? उनका कार्ड नहीं बना है. कुछ लोग ऐसे हैं, जिनकी मृत्यु के कारण या आधार कार्ड में मोबाइल नंबर अपडेट नहीं होने के कारण केवाईसी की प्रक्रिया अधूरी रह जाती है. इसके चलते उनके कार्ड नहीं बन पा रहे हैं. ऐसे लोग अपने नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र में संपर्क कर सकते हैं."
"जल्द ही स्वास्थ्य विभाग द्वारा शिविरों का आयोजन किया जाएगा, जहां इस योजना से वंचित लोग आयुष्मान कार्ड बनवा सकते हैं." - शिव राठौर, प्रभारी, आयुष्मान भारत योजना
मातृत्व केस को योजना से किया गया था बाहर : प्रसव या डायरिया जैसे मामलों के इलाज को इस योजना से बाहर कर दिया गया था. जिसके बाद इस योजना की आलोचना भी की गई. प्रसव से जुड़े मामले हर घर की जरूरत होती है, जिसे इस योजना से बाहर करने के बाद सरकारी अस्पतालों में प्रसव के मामले बढ़ गए थे. आयुष्मान भारत योजना से प्रसव संबंधी मामलों को अलग करने की मंशा यह थी कि इसकी सुविधा सरकारी अस्पताल में दी जा रही है. इसलिए निजी अस्पतालों में आयुष्मान भारत योजना से प्रसव और इस तरह के सामान्य मामलों को बाहर किया गया.
एक सूचना यह भी है कि प्रसव के अत्यधिक मामले सामने आने से सरकार पर अधिक आर्थिक बोझ बढ़ रहा था. क्लेम के रूप में उन्हें अधिक पैसे निजी अस्पतालों को देने पड़ रहे थे, जिसके कारण भी प्रसव के मामलों को आयुष्मान भारत योजना से बाहर किया गया. हालांकि लोगों ने इसका विरोध भी किया और इस योजना की खूब आलोचना भी हुई.