नई दिल्ली: बोलेग्स, जिसे मेडिकल भाषा में क्रूक्ड लेग्स भी कहते हैं, इस तरह की टांगे आनुवंशिकी या विकास की खामियों की वजह से होती है. कभी-कभी ये स्केलेटल सिस्टम के स्वाभाविक आकार की वजह से ऐसी दिखती है, तो कभी-कभी किसी बीमारी का संकेत भी हो सकती है.
आज भारत में क्रूक्ड लेग्स के इलाज के लिए सर्जिकल तकनीक उपलब्ध है. सर गंगा राम अस्पताल की आर्थोपेडिक टीम द्वारा शुरू की गई यह तकनीक उपचार के क्षेत्र में एक उल्लेखनीय कदम है. हिमाचल प्रदेश की एक किशोरी आयशा भी क्रूक्ड लेग्स की समस्या से पीड़ित थी. जब वह स्कूल में पढ़ती थीं, तो अपनी इस स्थिति के कारण उसमें आत्मविश्वास कम हो गया, वह हीन भावना का शिकार हो गई. दूसरे लोगों से कटी-कटी रहती थी.
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आयशा का परिवार उसका इलाज कराना चाहता था. उन्होंने उत्तर भारत के कई अस्पतालों में अपनी बेटी को दिखाया, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ. फिर वे सर गंगा राम अस्पताल पहुंचे जहां उन्हें उम्मीद की नई किरण मिली. आयशा के इलाज के लिए अस्पताल के डॉक्टरों ने रोबोटिक सॉफ्टवेयर टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया गया.
सर गंगा राम हॉस्पिटल के सीनियर डीफॉर्मिटी करेक्शन सर्जन डॉ मनीश धवन ने कहा कि आयशा की विरूपता को ठीक करने के लिए सिक्स एक्सिस करेक्शन एण्ड कम्प्यूटर सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल किया गया. यह एक हेक्सापॉड है, जिसमें 6 लेग्स होती हैं. यह किसी भी दिशा में गति कर सकता है. इस टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल चन्द्रयान प्रज्ञान रोवर (6 लैग्स) में भी किया गया था. चन्द्रयान में इस्तेमाल की गई इस तकनीक और सिक्स एक्सिस करेक्शन सॉफ्टवेयर में कम्प्यूटर-एडेड- डिज़ाइन और सिमुलेशन की क्षमता का इस्तेमाल किया जाता है.
इलियोज़ारोव फिक्सेटर और सिक्स एक्सिस करेक्शन सॉफ्टवेयर सर गंगाराम अस्पताल की ऑर्थोपेडिक मेडिकल टीम के आधुनिक दृष्टिकोण को दर्शाता है. इन टूल्स ने आयशा की टांगों की विरूपता को दूर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और उसकी उंचाई भी 2 इंच बढ़ गई. अस्पताल के सीनियर कंसल्टेंट ऑर्थोपेडिक्स डॉ. ब्रजेश नंदन ने कहा कि सर गंगाराम अस्पताल शीर्ष पायदान का अस्पताल है जो डिफॉर्मिटी के 100 से अधिक मरीज़ों का इलाज कर चुका है.
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