रांची: झारखंड में महिलाओं के साथ दुष्कर्म की वारदातें कम होने का नाम नहीं ले रही है. स्पेन की रहने वाली महिला से हुई गैंगरेप की वारदात में न सिर्फ झारखंड की फजीहत करवाई बल्कि पूरे देश का नाम विश्व में खराब किया. आंकड़े बताते हैं कि झारखंड में हर दिन औसतन चार महिलाओं के साथ दुष्कर्म की वारदातों को अंजाम दिया जाता है. दूसरी तरफ दुष्कर्म के मामलों में गिरफ्तार दरिंदों को सजा दिलवाने में भी पुलिस का काम संतोषजनक नहीं है.
2018 से लेकर 2023 तक 14162 रेप की वारदात
साल 2018 से लेकर 2023 के दिसंबर तक झारखंड के विभिन्न जिलों में 14162 दुष्कर्म की वारदातें विभिन्न थानों में रिपोर्ट किए गए. बोकारो में 762, चाईबासा में 497, देवघर में 446, धनबाद में 1021, दुमका में 318, गढ़वा में 897, गिरिडीह में 925, गोड्डा में 669, गुमला में 605, हजारीबाग में 967, जमशेदपुर में 740, जामताड़ा में 198, खूंटी में 237, कोडरमा में 281, लातेहार में 384, लोहरदगा में 416, पाकुड़ में 357, पलामू में 704, रेल धनबाद में पांच, रेल जमशेदपुर में तीन, रामगढ़ में 318, रांची में 1484, साहिबगंज में 872, सरायकेला में 295 और सिमडेगा में 323 रेप के मामले दर्ज किए गए.
इंसाफ दिलाने में भी विफल है पुलिस
एक तरफ जहां झारखंड में औसतन हर दिन चार महिलाओं को दरिंदे अपना शिकार बनाते हैं. वहीं, दूसरी तरफ दुष्कर्म की शिकार महिलाओं को इंसाफ भी समय पर नहीं मिल पाता है. क्रिमिनल लॉ अमेंडमेंट एक्ट 2018 के लागू होने के बाद यह नियम बनाया गया था कि दुष्कर्म के मामलों का अनुसंधान दो माह में पूरा कर फाइनल रिपोर्ट कोर्ट में समर्पित करना है. इसके बावजूद झारखंड पुलिस रेप के 8000 से अधिक मामलों का अनुसंधान निर्धारित अवधि में पूरा करने में फेल हो गई.
आंकड़े पुलिस के फेल होने की पुष्टि करते हैं. झारखंड के सिमडेगा, रेल जमशेदपुर और चाईबासा पुलिस के द्वारा ही दो माह में 50% से अधिक रेप के मामलों का अनुसंधान पूरा किया गया है. जबकि झारखंड के दूसरे जिलों का प्रदर्शन 50% से भी काफी नीचे है. विदेशी महिला से दुष्कर्म मामले को लेकर चर्चित हुए दुमका में तो मात्र 9.55 प्रतिशत ही मामले कोर्ट तक पहुंचे हैं. झारखंड पुलिस से मिले आंकड़ों के अनुसार 21 अप्रैल 2018 से दिसंबर 2023 तक झारखंड के विभिन्न जिलों में दुष्कर्म के 14162 मामले दर्ज किए गए थे जिनमें से 13814 मामलों को दर्ज हुए दो माह से अधिक हो गए लेकिन झारखंड पुलिस के द्वारा मात्र 3803 मामलों का ही अनुसंधान दो माह में पूरा कर न्यायालय में फाइनल रिपोर्ट समर्पित की गई है.
गृह मंत्रालय का है आदेश
क्रिमिनल लॉ अमेंडमेंट एक्ट 2018 लागू होने के बाद केंद्रीय गृह मंत्रालय ने झारखंड पुलिस को एक पत्र लिखकर दुष्कर्म के मामलों का अनुसंधान दो माह में पूरा करने और फाइनल रिपोर्ट कोर्ट में समर्पित करने का आदेश दिया था. दुष्कर्म के मामलों के अनुसंधान की स्थिति की निगरानी के लिए भारत सरकार ने इन्वेस्टिगेशन ट्रेनिंग सिस्टम फॉर सेक्सुअल ऑफेंस नाम से पोर्टल भी बना रखा है, जिसमें दर्ज आंकड़े झारखंड पुलिस के फेल होने की पुष्टि करते हैं.
न्याय की आस में भटक रही महिलाएं
एक तरफ जहां झारखंड में दुष्कर्म की वारदातें रुकने का नाम नहीं ले रही हैं वहीं दूसरी तरफ अनुसंधान धीमी रहने की वजह से पीड़ित महिलाओं को इंसाफ भी नहीं मिल पा रहा है. झारखंड पुलिस के आंकड़े इस बात की गवाही दे रहे हैं कि झारखंड में दुष्कर्म के मामले बड़े हैं. वहीं उचित अनुसंधान नहीं होने की वजह से पीड़ितों को इंसाफ भी नहीं मिल पा रहा है.
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