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वंदे भारत की तर्ज पर LHB रैक में लगेंगे स्वचालित स्लाइडिंग गेट, अब रेल यात्री नहीं होंगे हादसे का शिकार - sliding gate in lhb coach

Sliding Gates In LHB Coach: पूर्व मध्य रेलवे की ओर से यात्रियों की सुविधा को देखते हुए एलएचबी कोच वाले ट्रेनों में बड़ा बदलाव किया जा रहा है. पू.म.रे. के एक अधिकारी ने बताया कि इन कोचों में ऑटोमैटिक स्लाइडिंग गेट लगाए जाएंगे, जिससे दुर्घटना की संभावना ना के बराबर हो जाएगी.

रेलवे एलएचबी कोच में लगेंगे स्वचालित स्लाइडिंग गेट
रेलवे एलएचबी कोच में लगेंगे स्वचालित स्लाइडिंग गेट
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Apr 25, 2024, 12:40 PM IST

मुजफ्फरपुर: वंदे भारत की तर्ज पर रेलवे एलएचबी (लिंके हॉफमैन बुश) रैंक वाली कोच में बड़ा बदलाव करने जा रहा है. यात्रियों की सुरक्षा को लेकर एलएचबी रैंक की बोगियों में स्वचालित स्लाइडिंग गेट लगाए जाएंगे, जिसका नियंत्रण ट्रेन गार्ड व लोको पायलट के पास होगा. इसकी जानकारी रेलवे बोर्ड के सिविल इंजीनियरिंग निदेशक ने सभी जीएम व निर्माण यूनिट को दी है.

एलएचबी बोगी में लगेंगे स्लाइडिंग गेट: वर्तमान में पटना-नई दिल्ली तेजस में स्लाइडिंग गेट लगाया गया है. मुजफ्फरपुर से गुजरने वाली बाध एक्सप्रेस, टाटा-छपरा-धाचे सहित आधा दर्जन ट्रेनों को छोड़कर सभी गाड़ियों में रेलवे की ओर से एलएचबी रैक लगा दी गई है. इससे दुर्घटना के दौरान काफी कम क्षति होती है.

यात्रियों की जान को रहता है खतरा: पू.म.रे. के एक अधिकारी ने बताया कि 'जेनरल व स्लीपर बोगियों में यात्रियों की भीड़ काफी अधिक रहती है. इस दौरान कुछ यात्री ट्रेन के गेट और उसके पायदान तक पर बैठकर सफर करते हैं. संतुलन बिगड़ने से वह पटरियों पर गिरकर जख्मी हो जाते हैं और कई बार तो जान भी चली जाती है. ऐसी दुर्घटनाएं रोकने को लेकर ही एलएचबी बोगी के साधारण गेट को बदलकर स्लाइडिंग गेट लगाए जाएंगे, जिसकी तैयारी अंतिम चरण में है.'

स्लाइडिंग गेट लगने से दुर्घटना में कमी: दरअसल स्लाइडिंग गेट लगने से पायदान के पास बैठने वाले यात्रियों को बोगियों के अंदर ही बैठना होगा. स्लाइडिंग गेट ऑटोमैटिक खुलेगी और वह बंद हो जाएगी. इससे यात्री गेट पर न तो खड़े हो पाएंगे न ही बैठेंगे. इस स्तिथि में दुर्घटनाएं की संभावना कम हो जायेगी.

क्या है एलएचबी कोच?: बता दें कि लिंके हॉफमैन बुश कोच, जिसे आमतौर पर एलएचबी कोच के रूप में जाना जाता है. यह यात्री ट्रेनों के लिए एक ट्रेन कोच है, जिसमें स्लाइडिंग गेट लगाने की तैयारी चल रही हैं. इंडियन रेलवे में पहली बार साल 1999 में इसे शामिल किया गया था. इसका निर्माण कपूरथला रेल कोच फैक्ट्री में किया जाता है. ये कोच पैसेंजर्स के लिए काफी आरामदायक होता है. आम तौर पर यह कोच लाल रंग के होते हैं. अब स्लाइडिंग गेट लगने की वजह से पैसेंजर्स के सुरक्षित रहने की संभावना बढ़ जाएगी. राजधानी, शताब्दी और दुरंतो जैसी ट्रेनों में LHB कोच ही लगाए गए हैं.

ये भी पढ़ें: रेल मंत्री ने 12,000वें एलएचबी कोच को दिखाई हरी झंडी, निजीकरण पर कही ये बात

मुजफ्फरपुर: वंदे भारत की तर्ज पर रेलवे एलएचबी (लिंके हॉफमैन बुश) रैंक वाली कोच में बड़ा बदलाव करने जा रहा है. यात्रियों की सुरक्षा को लेकर एलएचबी रैंक की बोगियों में स्वचालित स्लाइडिंग गेट लगाए जाएंगे, जिसका नियंत्रण ट्रेन गार्ड व लोको पायलट के पास होगा. इसकी जानकारी रेलवे बोर्ड के सिविल इंजीनियरिंग निदेशक ने सभी जीएम व निर्माण यूनिट को दी है.

एलएचबी बोगी में लगेंगे स्लाइडिंग गेट: वर्तमान में पटना-नई दिल्ली तेजस में स्लाइडिंग गेट लगाया गया है. मुजफ्फरपुर से गुजरने वाली बाध एक्सप्रेस, टाटा-छपरा-धाचे सहित आधा दर्जन ट्रेनों को छोड़कर सभी गाड़ियों में रेलवे की ओर से एलएचबी रैक लगा दी गई है. इससे दुर्घटना के दौरान काफी कम क्षति होती है.

यात्रियों की जान को रहता है खतरा: पू.म.रे. के एक अधिकारी ने बताया कि 'जेनरल व स्लीपर बोगियों में यात्रियों की भीड़ काफी अधिक रहती है. इस दौरान कुछ यात्री ट्रेन के गेट और उसके पायदान तक पर बैठकर सफर करते हैं. संतुलन बिगड़ने से वह पटरियों पर गिरकर जख्मी हो जाते हैं और कई बार तो जान भी चली जाती है. ऐसी दुर्घटनाएं रोकने को लेकर ही एलएचबी बोगी के साधारण गेट को बदलकर स्लाइडिंग गेट लगाए जाएंगे, जिसकी तैयारी अंतिम चरण में है.'

स्लाइडिंग गेट लगने से दुर्घटना में कमी: दरअसल स्लाइडिंग गेट लगने से पायदान के पास बैठने वाले यात्रियों को बोगियों के अंदर ही बैठना होगा. स्लाइडिंग गेट ऑटोमैटिक खुलेगी और वह बंद हो जाएगी. इससे यात्री गेट पर न तो खड़े हो पाएंगे न ही बैठेंगे. इस स्तिथि में दुर्घटनाएं की संभावना कम हो जायेगी.

क्या है एलएचबी कोच?: बता दें कि लिंके हॉफमैन बुश कोच, जिसे आमतौर पर एलएचबी कोच के रूप में जाना जाता है. यह यात्री ट्रेनों के लिए एक ट्रेन कोच है, जिसमें स्लाइडिंग गेट लगाने की तैयारी चल रही हैं. इंडियन रेलवे में पहली बार साल 1999 में इसे शामिल किया गया था. इसका निर्माण कपूरथला रेल कोच फैक्ट्री में किया जाता है. ये कोच पैसेंजर्स के लिए काफी आरामदायक होता है. आम तौर पर यह कोच लाल रंग के होते हैं. अब स्लाइडिंग गेट लगने की वजह से पैसेंजर्स के सुरक्षित रहने की संभावना बढ़ जाएगी. राजधानी, शताब्दी और दुरंतो जैसी ट्रेनों में LHB कोच ही लगाए गए हैं.

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