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महाशिवरात्रि पर बन रहा है अद्भुत संयोग, जानें शुभ मुहूर्त और पूजन विधि

Mahashivratri Auspicious Time हर साल फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को महाशिवरात्रि पर्व मनाया जाता है. पौराणिक मान्यता है कि महाशिवरात्रि पर्व पर भगवान आशुतोष की सच्चे मन से उपासना करने से हर मनोरथ पूरे होते हैं. इस दिन श्रद्धालु भगवान शिव की पूरे विधि विधान से पूजा करते हैं.

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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Mar 6, 2024, 11:40 AM IST

Updated : Mar 6, 2024, 11:54 AM IST

महाशिवरात्रि पर बन रहा है अद्भुत संयोग

हल्द्वानी: महाशिवरात्रि पर्व इस बार 8 फरवरी को मनाया जाएगा. मान्यता है कि इस तिथि पर ही भगवान शंकर मां पार्वती का विवाह हुआ था. मान्यता है कि महाशिवरात्रि के विधि विधान से भगवान शिव की उपासना और उपवास करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है.
महाशिवरात्रि का त्योहार फाल्गुन महीने की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है.ज्योतिष आचार्य डॉक्टर नवीन चंद्र जोशी के मुताबिक इस बार महाशिवरात्रि 8 मार्च दिन शुक्रवार को पड़ रही है. साथ ही इस दिन शुक्र प्रदोष व्रत भी पड़ रहा है. प्रदोष व्रत रखने से भगवान शिव सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं. फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि 8 मार्च को शाम 9:57 से शुरू होकर 9 सुबह तक रहेगी. ज्योतिष के अनुसार 8 मार्च को शुक्र प्रदोष व्रत की पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 6 बजकर 15 मिनट से लेकर रात 8 बजकर 50 मिनट तक रहेगा.

महाशिवरात्रि का शुभ मुहूर्त

  • रात्रि प्रथम प्रहर पूजा समय - शाम 6 बजकर 15 मिनट से रात 9 बजकर 15 मिनट तक
  • रात्रि द्वितीय प्रहर पूजा समय - रात 9 बजकर 15 मिनट से 9 मार्च को रात 12 बजकर 15 मिनट तक
  • रात्रि तृतीय प्रहर पूजा समय - रात 12 बजकर 15 मिनट से 2 बजकर 24 मिनट तक
  • रात्रि चतुर्थ प्रहर पूजा समय - प्रातः 02.24 से प्रातः 4:45
  • महानिशा काल/ मंत्र सिद्धि कल मुहूर्त - रात में 11 बजकर 55 मिनट से 12 बजकर 55 मिनट तक रहेगा

    महाशिवरात्रि में वैदिक विधि से शिवपूजन करने का विशेष महत्व है. जिसमें रुद्री पाठ शिव महिम्न स्तोत्र शिव तांडव स्तोत्र, तथा महामृत्युंजय मंत्र जप करने का विशेष महत्व है. शिवरात्रि के दिन रुद्राक्ष धारण और भस्म लगाने से शिव महिमा की कृपा प्राप्त होती है.

महाशिवरात्रि पूजा विधि: महाशिवरात्रि के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठें और दिन की शुरुआत महादेव की आराधना से करें. अब स्नान कर साफ वस्त्र धारण करें और सूर्य देव को जल अर्पित करें. चौकी पर लाल या पीला कपड़ा बिछाकर भगवान शिव और माता पार्वती की प्रतिमा स्थापित करें. इसके बाद उनका गंगाजल, कच्चे दूध और दही समेत विशेष चीजों से अभिषेक करें.
प्रतिमा के आगे दीपक जलाकर भगवान शिव और मां पार्वती की विधिपूर्वक पूजा करें मंदिर में जाकर भगवान शिवलिंग पर, बेलपत्र, नैवेद्य, भांग, धतूरा, फल, फूल समेत आदि चीजें अर्पित करें महादेव की आरती और शिव चालीसा का पाठ करें. साथ ही भगवान शिव के प्रिय मंत्रों का जाप करें.

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महाशिवरात्रि पर बन रहा है अद्भुत संयोग

हल्द्वानी: महाशिवरात्रि पर्व इस बार 8 फरवरी को मनाया जाएगा. मान्यता है कि इस तिथि पर ही भगवान शंकर मां पार्वती का विवाह हुआ था. मान्यता है कि महाशिवरात्रि के विधि विधान से भगवान शिव की उपासना और उपवास करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है.
महाशिवरात्रि का त्योहार फाल्गुन महीने की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है.ज्योतिष आचार्य डॉक्टर नवीन चंद्र जोशी के मुताबिक इस बार महाशिवरात्रि 8 मार्च दिन शुक्रवार को पड़ रही है. साथ ही इस दिन शुक्र प्रदोष व्रत भी पड़ रहा है. प्रदोष व्रत रखने से भगवान शिव सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं. फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि 8 मार्च को शाम 9:57 से शुरू होकर 9 सुबह तक रहेगी. ज्योतिष के अनुसार 8 मार्च को शुक्र प्रदोष व्रत की पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 6 बजकर 15 मिनट से लेकर रात 8 बजकर 50 मिनट तक रहेगा.

महाशिवरात्रि का शुभ मुहूर्त

  • रात्रि प्रथम प्रहर पूजा समय - शाम 6 बजकर 15 मिनट से रात 9 बजकर 15 मिनट तक
  • रात्रि द्वितीय प्रहर पूजा समय - रात 9 बजकर 15 मिनट से 9 मार्च को रात 12 बजकर 15 मिनट तक
  • रात्रि तृतीय प्रहर पूजा समय - रात 12 बजकर 15 मिनट से 2 बजकर 24 मिनट तक
  • रात्रि चतुर्थ प्रहर पूजा समय - प्रातः 02.24 से प्रातः 4:45
  • महानिशा काल/ मंत्र सिद्धि कल मुहूर्त - रात में 11 बजकर 55 मिनट से 12 बजकर 55 मिनट तक रहेगा

    महाशिवरात्रि में वैदिक विधि से शिवपूजन करने का विशेष महत्व है. जिसमें रुद्री पाठ शिव महिम्न स्तोत्र शिव तांडव स्तोत्र, तथा महामृत्युंजय मंत्र जप करने का विशेष महत्व है. शिवरात्रि के दिन रुद्राक्ष धारण और भस्म लगाने से शिव महिमा की कृपा प्राप्त होती है.

महाशिवरात्रि पूजा विधि: महाशिवरात्रि के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठें और दिन की शुरुआत महादेव की आराधना से करें. अब स्नान कर साफ वस्त्र धारण करें और सूर्य देव को जल अर्पित करें. चौकी पर लाल या पीला कपड़ा बिछाकर भगवान शिव और माता पार्वती की प्रतिमा स्थापित करें. इसके बाद उनका गंगाजल, कच्चे दूध और दही समेत विशेष चीजों से अभिषेक करें.
प्रतिमा के आगे दीपक जलाकर भगवान शिव और मां पार्वती की विधिपूर्वक पूजा करें मंदिर में जाकर भगवान शिवलिंग पर, बेलपत्र, नैवेद्य, भांग, धतूरा, फल, फूल समेत आदि चीजें अर्पित करें महादेव की आरती और शिव चालीसा का पाठ करें. साथ ही भगवान शिव के प्रिय मंत्रों का जाप करें.

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Last Updated : Mar 6, 2024, 11:54 AM IST
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