बगहा : वाल्मिकी टाइगर रिजर्व में नए पर्यटन सत्र का आगाज 21 अक्टूबर यानी सोमवार से शुरू हो रहा है. वन विभाग ने सभी तैयारियां पूरी कर ली है. विभाग इस वर्ष मुख्य टूरिज्म सेंटर वाल्मिकीनगर, मंगुराहा समेत गोवर्धना में पर्यटकों के लिए कई सुविधाएं मुहैया करा रहा है. यहां आने वाले पर्यटकों को बैंबू हट खूब भाता है. पर्यटक बांस के बने इको फ्रेंडली बेड पर सोना ज्यादा पसंद करते हैं.
पर्यटकों की पसंद बेंबू हट : वाल्मीकि टाइगर रिजर्व पर्यटकों के लिए जन्नत से कम नहीं है. देशी या विदेशी पर्यटक यहां एक बार आने के बाद दोबारा आने की ख्वाहिश लिए लौटते हैं. दरअसल, बिहार के इस इकलौते टाइगर रिजर्व को ' मिनी कश्मीर ' कहा जाता है. यह पर्यटन स्थल जल, जंगल और पहाड़ की खूबसूरती को खुद में समेटे हुए है. लिहाजा पर्यटक और प्रकृति प्रेमी यहां के प्रकृति की मनोरम छटा का आनंद लेने और प्रदूषण मुक्त हिमालय पर्वतमाला का दीदार करने पहुंचते हैं.
टूरिज्म सेंटर में सुविधाओं का इजाफा : इस वर्ष 2024 - 2024 के पर्यटन सेवा सत्र का शुभारंभ सोमवार 21 अक्टूबर से होने जा रहा है. जिसके लिए वन विभाग ने सभी तैयारियां पूरी कर ली है. पर्यटकों को ठहरने के लिए गेस्ट हाउस, ट्री हट और बंबू हट खास आकर्षण के केंद्र हैं. वन संरक्षक सह उपनिदेशक नेशामणि के ने बताया कि प्रतिवर्ष लाखों की संख्या में पर्यटक वीटीआर का भ्रमण करने पहुंचते हैं. यह संख्या विगत एक दशक में साल दर साल बढ़ी है. लिहाजा पर्यटकों के लिए हमारे वाल्मीकि टाइगर रिजर्व के तीनों मुख्य टूरिज्म सेंटर में कई सुविधाओं का इजाफा किया गया है.
जंगल सफारी रूट पर साइटिंग : पर्यटक वाल्मीकि टाइगर रिजर्व में अधिकांशतः जंगल सफारी का लुफ्त उठाने आते हैं, इसलिए वन विभाग प्रशासन ने जंगल सफारी रूट पर बेहतर साइटिंग करवाया है, ताकि पर्यटकों को आसानी से वन्य जीवों का दीदार हो सके. इसके अलावा सैलानियों के रहने खाने और घूमने के लिए सुलभ संसाधनों की व्यवस्था की गई है.
बंबू बेड के फायदे : बता दें कि वाल्मिकी टाइगर रिजर्व में आने वाले देशी और विदेशी पर्यटक ठहरने के लिए बंबू हट को ज्यादा पसंद करते हैं. दरअसल, बांस से बने कमरे और बेड पर्यटकों को खूब भाते हैं. वनस्पति विभाग के शिक्षक रत्नेश कुमार का कहना है कि एक तो बांस का पौराणिक महत्व बहुत ज्यादा है, और दूसरा यह प्राकृतिक रूप से जीवाणुरोधी और एंटी-फंगल होता है. जिस कारण नींद बहुत अच्छी आती है.
बांस है खास : बांस को शक्ति, सादगी और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है. भगवान कृष्ण हमेशा अपने साथ बांस की बांसुरी रखते हैं. इसके अलावा यह इको फ्रेंडली होता है और इसमें मॉइश्चराइज करने की क्षमता ज्यादा होती है. नतीजतन बांस के बेड पर सोने से गर्मी के दिनों में ठंड का अहसास होता है और जाड़ा के दिनों में सोने पर गर्मी की अनुभूति होती है.
विदेशी पर्यटक भी करते हैं तारीफ : यहीं नहीं यूएसए से आए पर्यटक डेव टकी बताते हैं कि ''भारत भ्रमण के दौरान मुंबई, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, भुवनेश्वर, कर्नाटक जैसे कई जगहों पर ठहरा लेकिन वाल्मीकि टाइगर रिजर्व का बंबू हट काफी यूनिक लगा. यह इको फ्रेंडली होने के साथ साथ काफी खूबसूरत और आरामदायक है.'' उन्होंने VTR की तारीफ करते हुए कहा कि ''यह एक ऐसी जगह है जहां बार बार घूमने आने का दिल करता है.''
रोमांचकारी है जंगल सफारी : वहीं फ्रांस से आए पर्यटक डिजूलियन ने बताया कि ''यह एक शानदार टूरिस्ट डेस्टिनेशन है. मैं यहां चार दिनों तक रहा और यहां की खूबसूरती काफी अच्छी लगी. यहां प्रदूषण काफी कम है और व्यवस्थाएं भी अच्छी हैं. जंगल सफारी के दौरान दो तरह के हिरण व अन्य जंगली जीव नजर आए जो काफी रोमांचक लगा.''
1200 में VTR का पर्यटक लें आनंद : बता दें कि वाल्मिकी टाइगर रिजर्व अंतर्गत वाल्मिकीनगर में जहां पर्यटकों को घूमने के लिए कई तीर्थस्थल हैं. वहीं मौज-मस्ती करने के लिए कौलेश्वर झूला, बोट सफारी, साइकिल सफारी और जंगल सफारी की व्यवस्था है. इस पर्यटन सेवा के तहत पर्यटकों को पटना से दो दिवसीय और तीन दिवसीय टूर पैकेज पर वाल्मीकि टाइगर रिजर्व घूमने की व्यवस्था है. इसके अलावा जिला के लोगों के लिए एक दिवसीय टूर पैकेज घोषित किया गया है जिसके तहत पर्यटक महज 1200 में VTR के एडवेंचर का आनंद ले सकते हैं.
ये भी पढ़ें-