पटना: बिहार सरकार के भवन निर्माण मंत्री अशोक चौधरी ने एक पुस्तक बिहार का गांधी नीतीश कुमार लिखी. किताब का लोकार्पण पिछले दिनों राज्यपाल राजेन्द्र आर्लेकर ने किया. यह पुस्तक खुद अशोक चौधरी और उनकी बेटी शांभवी ने लिखी है. इससे पहले भी नीतीश कुमार पर उनके खास दोस्त उदय कांत ने 'अंतरंग दोस्तों की नजर से' एक किताब लिखी थी.
'बिहार के गांधी नीतीश कुमार': आखिर नीतीश कुमार पर किताब क्यों? इस सवाल के जवाब में अशोक चौधरी बताते हैं कि नीतीश कुमार के साथ जब हम पहली बार जुड़े थे तो हम कांग्रेस के अध्यक्ष थे. इससे पहले हमने बिहार में पदयात्रा की थी, 'बुद्धा से गांधी तक'. तब मुझे पता चला कि नीतीश कुमार के बारे में लोग क्या सोचते हैं?.
'2015 में हम सब साथ मिलकर लड़े': 2014 लोकसभा चुनाव बीत चुका था. पदयात्रा के दौरान क्या आम क्या खास, सबने उनकी (नीतीश कुमार) इतनी प्रशंसा की, हम लौट कर आए और उनसे मिले और अपनी भावना को बताया. 2015 में संयोग ऐसा रहा कि हम सब साथ मिलकर लड़े. इसके बाद शिक्षा मंत्री के रूप में काम करने का मौका मिला.
''मुझे याद है कि साल 2015 में मैट्रिक की परीक्षा हो रही थी. उस समय वो (नीतीश कुमार) 7 अणे नंबर में रहते थे. रात के 8 बजे उन्होंने मुझे फोन किया और कहा कि इस बार बिहार में चोरी न हो. इससे पहले जो उनका इमेज हुआ करता था, लेकिन जो तस्वीर टाइम्स मैगजिन, स्पाईडरमैन, सुपरमैन ऑफ इंडिया नाम से छपा था. उस ईमेज से नीतीश कुमार काफी आहत थे. तब हम लोगों ने पूरी ताकत लगा दी और 2016 के बाद से मैट्रिक परीक्षा में चोरी नहीं होने दी.''- अशोक चौधरी, मंत्री, बिहार सरकार
'भविष्य में नीतीश कुमार पैदा नहीं होगा': जो आदमी इतना संवेदनशील है, अपने प्रदेश के प्रति. इसके बाद जब हम साथ में काम करने लगे, साथ में आ गए तो बहुत सी चीजों को समझा, देखा और पढ़ा. तब मुझे लगा कि, कभी नीतीश कुमार न पैदा हुआ था, न भविष्य में नीतीश कुमार पैदा होगा. इसलिए एक किताब जरूर लिखनी चाहिए जो हमारी नई पीढ़ी नीतीश कुमार के काम को आगे बढ़ाया, इसलिए ये किताब लिखीं.
टाइटल गांधी क्यों?: इस सवाल पर अशोक चौधरी ने कहा कि शराबबंदी दलित समाज के लिए बहुत बड़ा कोढ़ है. क्योंकि मनोविज्ञान का छात्र रहा हूं, मैंने देखा कि महादलित परिवार के लोग अपनी परेशानी को दूर करने के लिए इसका सेवन करने लगते हैं. अपना आनंद उठाने का एक जरिया बना लेते हैं. ऐसे में उनका ग्रोथ रूक जाता है. इसलिए नीतीश कुमार का इतना बड़ा निर्णय कि हम शराबबंदी प्रदेश में लागू करेंगे, यह जानते हुए कि हम प्रोगरेसिव स्टेट नहीं है. रेवन्यू लॉस होगा, फिर भी ये कदम उठाना, कोई हठ योगी होगा, वहीं ऐसा निर्णय ले सकता है, ये मामूली लोगों के बस की बात नहीं है.
" सादा लिबास, धीमी रफ्तार, नर्म लहज़ा, लबों पर हल्की सी मुस्कुराहट और दिल-नशीन अंदाज़ में अपने बातों को कहने का सलीका", माननीय मुख्यमंत्री जी का व्यक्तित्व और उनकी विचारधारा को महज़ चंद शब्दों में समेट पाना असंभव है।
— Dr. Ashok Choudhary (@AshokChoudhaary) August 18, 2024
हमारी बिटिया और लोकसभा सांसद शाम्भवी की मदद से लिखी गई किताब… pic.twitter.com/zASY981drj
''जिस तरह से जिविका की शुरुआत करके स्वयं सहायता समूह बनाकर, जिन्हें 15 अगस्त को प्रधानमंत्री ने दिल्ली बुलाकर सम्मानित किया. उनके बारे में जब जानिएगा तो पता चलेगा कि ऐसी कितनी महिलाएं बिहार में हैं, जिन्होंने 10 हजार से सब्जी बेचने का काम शुरू किया और आज लखपति बन गई है. इसलिए महिला सशक्तिकरण, महिलाओं के उत्थान और अति पिछड़ों, अल्पसंख्यकों के लिए योजनाओं का निर्माण करना, वही (नीतीश कुमार) ऐसा कुछ कर सकता है.''- अशोक चौधरी, मंत्री, बिहार सरकार
19 मार्च 2015 को क्या हुआ था?: बिहार के वैशाली जिले की एक तस्वीर सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुई थी. यह तस्वीर में वैशाली जिले के महनाथ स्थित एक स्कूल विद्या निकेतन की थी. यहां मैट्रिक परीक्षा के दौरान नकल की एक तस्वीर सामने आईं थी.
बिहार बोर्ड परीक्षा में नकल की शर्मनाक तस्वीर: वायरल तस्वीर में देखा गया कि परीक्षा देने आए छात्रों के परिजन ने उन्हें नकल करवाने के लिए स्कूल की इमारत पर चढ़कर खिड़कियों के बाहर लटक-कर चिट पुर्जा दे रहे थे. इस तस्वीर से तब बिहार बोर्ड की खूब थू-थू हुईं. इतना ही नहीं इस तस्वीर को विदेशी मीडिया ने भी छापा, जिससे बिहार सरकार की छवि भी धूमिल हुई.
नीतीश के सबसे भरोसेमंद नेता हैं अशोक चौधरी: बता दें कि अशोक चौधरी बिहार सरकार के पूर्व मंत्री व कांग्रेस नेता महावीर चौधरी के बेटे हैं. बिहार सरकार में भवन निर्माण विभाग के कैबिनेट मंत्री के पद पर हैं. चौधरी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के खास माने जाते हैं. अशोक चौधरी महादलित समुदाय से आते हैं. कांग्रेस छोड़ने के बाद वे जेडीयू में शामिल हो गए थे.