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इस दिन से शुरू हो रहा आषाढ़ मास, इन वस्तुओं का दान करने से नहीं होगी अन्न-धन की कमी - Ashadha Month 2024 - ASHADHA MONTH 2024

Ashadha Month 2024: सनातन धर्म में आषाढ़ मास का बहुत महत्व है. ऐसी मान्यता है कि जो लोग इस माह श्री हरि की पूजा के साथ दान-पुण्य करते हैं उन्हें भौतिक सुखों की प्राप्ति होती है तो आइए जानते हैं...

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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Jun 22, 2024, 2:28 PM IST

नई दिल्ली: सनातन धर्म में आषाढ़ मास उत्तम माना गया है. हिंदू पंचांग के अनुसार रविवार, 23 जून 2024 को आषाढ़ महीने की शुरुआत हो रही है. आषाढ़ मास हिंदू कैलेंडर का चौथा महीना है. धार्मिक दृष्टि से आषाढ़ मास बेहद महत्वपूर्ण माना गया है. आषाढ़ मास भगवान विष्णु को समर्पित है और इस महीने में भगवान विष्णु की विधि विधान के साथ पूजा अर्चना की जाती है. आषाढ़ मास का समापन रविवार, 21 जुलाई 2024 को होगा.

आध्यात्मिक गुरु और ज्योतिषाचार्य शिवकुमार शर्मा के मुताबिक धार्मिक दृष्टि से आषाढ़ का महीना बेहद शुभ माना गया है. आषाढ़ के महीने से वर्षा ऋतु आरंभ होती है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार आषाढ़ के महीने में गुरुवार को केले के वृक्ष की पूजा करना बेहद फलदाई बताया गया है. आषाढ़ मास में दान का भी विशेष महत्व बताया गया है. इस महीने में अन्न जरूर दान करना चाहिए. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार जो लोग आषाढ़ के महीने में अन्न दान करते हैं उनके घर में कभी भी अन्न की कमी नहीं होती है. अन्न दान करने से पाप नष्ट होते हैं.

वस्त्र दान करने से दूर होगी घर की दरिद्रता

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार आषाढ़ के महीने में वस्त्र दान करने से घर की दरिद्रता दूर होती है. हालांकि ध्यान रखना चाहिए कि दान करने वाले वस्त्र फटे और पुराने ना हो. इस महीने में काले तिल का दान करने से पितृ प्रसन्न होते हैं. आषाढ़ महीने से भगवान विष्णु योगनिंद्रा में लीन होते हैं. तीर्थ यात्रा के लिए भी आषाढ़ का महीना उत्तम माना गया है.

कब शुरू हो रहा आषाढ़ मास: उदय तिथि के अनुसार आषाढ़ मास की शुरुआत रविवार, 23 जून को होगी. आषाढ़ महीने के प्रथम दिन ब्रह्म योग, सर्वार्थ सिद्धि योग और त्रिपुष्कर योग बन रहे हैं. सुबह से लेकर दोपहर तक ब्रह्म योग है. जबकि शाम में सर्वार्थ सिद्धि योग और त्रिपुष्कर योग बन रहे हैं.

आषाढ़ मास के नियम

  • आषाढ़ मास में सूरज निकलने से पहले उठें.
  • अपने सामर्थ्य के अनुसार अन्न और वस्त्र दान करें.
  • आषाढ़ महीने में तीर्थ यात्रा करना बेहद पुण्याई माना जाता है.
  • तामसिक चीजों का पूर्णता त्याग करें.
  • वाणी और व्यवहार पर नियंत्रण रखें. किसी से भी अपशब्द या गलत व्यवहार ना करें.

यह भी पढ़ें- गंगा दशहरा, निर्जला एकादशी से लेकर अपरा एकादशी, ये रही जून के त्योहारों की पूरी लिस्ट

नई दिल्ली: सनातन धर्म में आषाढ़ मास उत्तम माना गया है. हिंदू पंचांग के अनुसार रविवार, 23 जून 2024 को आषाढ़ महीने की शुरुआत हो रही है. आषाढ़ मास हिंदू कैलेंडर का चौथा महीना है. धार्मिक दृष्टि से आषाढ़ मास बेहद महत्वपूर्ण माना गया है. आषाढ़ मास भगवान विष्णु को समर्पित है और इस महीने में भगवान विष्णु की विधि विधान के साथ पूजा अर्चना की जाती है. आषाढ़ मास का समापन रविवार, 21 जुलाई 2024 को होगा.

आध्यात्मिक गुरु और ज्योतिषाचार्य शिवकुमार शर्मा के मुताबिक धार्मिक दृष्टि से आषाढ़ का महीना बेहद शुभ माना गया है. आषाढ़ के महीने से वर्षा ऋतु आरंभ होती है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार आषाढ़ के महीने में गुरुवार को केले के वृक्ष की पूजा करना बेहद फलदाई बताया गया है. आषाढ़ मास में दान का भी विशेष महत्व बताया गया है. इस महीने में अन्न जरूर दान करना चाहिए. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार जो लोग आषाढ़ के महीने में अन्न दान करते हैं उनके घर में कभी भी अन्न की कमी नहीं होती है. अन्न दान करने से पाप नष्ट होते हैं.

वस्त्र दान करने से दूर होगी घर की दरिद्रता

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार आषाढ़ के महीने में वस्त्र दान करने से घर की दरिद्रता दूर होती है. हालांकि ध्यान रखना चाहिए कि दान करने वाले वस्त्र फटे और पुराने ना हो. इस महीने में काले तिल का दान करने से पितृ प्रसन्न होते हैं. आषाढ़ महीने से भगवान विष्णु योगनिंद्रा में लीन होते हैं. तीर्थ यात्रा के लिए भी आषाढ़ का महीना उत्तम माना गया है.

कब शुरू हो रहा आषाढ़ मास: उदय तिथि के अनुसार आषाढ़ मास की शुरुआत रविवार, 23 जून को होगी. आषाढ़ महीने के प्रथम दिन ब्रह्म योग, सर्वार्थ सिद्धि योग और त्रिपुष्कर योग बन रहे हैं. सुबह से लेकर दोपहर तक ब्रह्म योग है. जबकि शाम में सर्वार्थ सिद्धि योग और त्रिपुष्कर योग बन रहे हैं.

आषाढ़ मास के नियम

  • आषाढ़ मास में सूरज निकलने से पहले उठें.
  • अपने सामर्थ्य के अनुसार अन्न और वस्त्र दान करें.
  • आषाढ़ महीने में तीर्थ यात्रा करना बेहद पुण्याई माना जाता है.
  • तामसिक चीजों का पूर्णता त्याग करें.
  • वाणी और व्यवहार पर नियंत्रण रखें. किसी से भी अपशब्द या गलत व्यवहार ना करें.

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