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जम्मू-कश्मीर में शहीद सुभाष चंद्र को सेना के जवानों ने दी अंतिम सलामी, मां बोली- पूरे देश का बेटा, उस पर गर्व है - Salute to martyr Subhash Chandra

जम्मू कश्मीर के राजौरी में आतंकी हमले में शहीद हुए सुभाष चंद्र का पार्थिव शरीर गुरुवार को उनके गांव लाया गया. इस दौरान शहीद के अंतिम दर्शन करने के लिए जन सैलाब उमड़ पड़ा. सैनिक सम्मान के साथ सेना के जवानों ने उन्हें अंतिम सलामी दी.

जम्मू-कश्मीर में शहीद सुभाष चंद्र को सेना के जवानों ने दी अंतिम सलामी
जम्मू-कश्मीर में शहीद सुभाष चंद्र को सेना के जवानों ने दी अंतिम सलामी (Photo Credit; ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Jul 25, 2024, 8:09 PM IST

जम्मू-कश्मीर में शहीद सुभाष चंद्र को सेना के जवानों ने दी अंतिम सलामी (Video Credit; ETV Bharat)

हाथरस: जम्मू कश्मीर के राजौरी में आतंकी हमले में शहीद हुए सुभाष चंद्र का पार्थिव शरीर गुरुवार को उनके गांव लाया गया. इस दौरान शहीद के अंतिम दर्शन करने के लिए जन सैलाब उमड़ पड़ा. सैनिक सम्मान के साथ सेना के जवानों ने उन्हें अंतिम सलामी दी. भाई बलदेव ने चिता को मुखाग्नि दी. यह देखकर वहां मौजूद सभी की आंखें नम हो गईं. इस दौरान शहीद का मां ने कहा कि उनका बेटा पूरे देश का बेटा था, उस पर गर्व है.

शहीद सुभाष चंद्र की मां ने कहा कि उन्हें बेटे पर गर्व है.
शहीद सुभाष चंद्र की मां ने कहा कि उन्हें बेटे पर गर्व है. (Photo Credit; ETV Bharat)

शहीद सुभाष चंद्र का पार्थिव शरीर करीब 3:15 बजे गांव नगला मनी लाया गया. सैकड़ों की संख्या में मोटरसाइकिल सवार युवक आगे चल रहे थे. लोग भारत माता की जय, सुभाष चंद्र अमर रहे के नारे लगा रहे थे. शहीद के अंतिम दर्शन के लिए हजारों की संख्या में लोग पहुंचे थे.

मथुरा प्रसाद के बेटे सुभाष चंद्र जम्मू-कश्मीर के राजौरी में 7 जाट रेजीमेंट में तैनात थे. वह राजौरी में आतंकी हमले में शहीद हो गए थे. सुभाष 2016 में सेना में भर्ती हुए थे. पिछले दिनों वह छुट्टी से तैनाती पर लौटे थे. सुभाष की शादी 4 साल पहले कांति देवी से हुई थी. उनकी डेढ़ साल की एक बेटी रितिका है, जबकि पत्नी गर्भवती है. सुभाष के शव को लेकर सेना की एक टुकड़ी गांव पहुंची थी. शहीद के पिता ने कहा कि यदि उनका छोटा बेटा और नाती होता तो उसे भी फौज में जरूर भेजते.

पिता ने कहा कि उनका बेटा बचपन से ही पढ़ाई-लिखाई, खेलकूद सबमें तेज था. वहीं मां पुष्पा ने कहा कि उन्हें अपने बेटे पर गर्व है. वो पूरे भारत का बेटा है. जिस दिन वो फ़ौज में गया, उसे सरकार को दे दिया था. वहीं भाई बलदेव ने कहा कि पहले भाई के घायल होने की सूचना मिली थी. उसके बाद शहादत की. कहा कि उसकी शहादत पर गर्व है. जब भी घऱ आता था तो यही कहता था कि मैंने इतने आतंकवादी मार गिराए. शहीद की पत्नी कभी रोती है तो कभी गुमसुम हो जाती है. पूरे इलाके में गम का माहौल है.

यह भी पढ़ें : यूपी का लाल आतंकी हमले में शहीद, दादी के अंतिम संस्कार के बाद 16 जुलाई को लौटा था ड्यूटी पर - Hathras soldier martyr

जम्मू-कश्मीर में शहीद सुभाष चंद्र को सेना के जवानों ने दी अंतिम सलामी (Video Credit; ETV Bharat)

हाथरस: जम्मू कश्मीर के राजौरी में आतंकी हमले में शहीद हुए सुभाष चंद्र का पार्थिव शरीर गुरुवार को उनके गांव लाया गया. इस दौरान शहीद के अंतिम दर्शन करने के लिए जन सैलाब उमड़ पड़ा. सैनिक सम्मान के साथ सेना के जवानों ने उन्हें अंतिम सलामी दी. भाई बलदेव ने चिता को मुखाग्नि दी. यह देखकर वहां मौजूद सभी की आंखें नम हो गईं. इस दौरान शहीद का मां ने कहा कि उनका बेटा पूरे देश का बेटा था, उस पर गर्व है.

शहीद सुभाष चंद्र की मां ने कहा कि उन्हें बेटे पर गर्व है.
शहीद सुभाष चंद्र की मां ने कहा कि उन्हें बेटे पर गर्व है. (Photo Credit; ETV Bharat)

शहीद सुभाष चंद्र का पार्थिव शरीर करीब 3:15 बजे गांव नगला मनी लाया गया. सैकड़ों की संख्या में मोटरसाइकिल सवार युवक आगे चल रहे थे. लोग भारत माता की जय, सुभाष चंद्र अमर रहे के नारे लगा रहे थे. शहीद के अंतिम दर्शन के लिए हजारों की संख्या में लोग पहुंचे थे.

मथुरा प्रसाद के बेटे सुभाष चंद्र जम्मू-कश्मीर के राजौरी में 7 जाट रेजीमेंट में तैनात थे. वह राजौरी में आतंकी हमले में शहीद हो गए थे. सुभाष 2016 में सेना में भर्ती हुए थे. पिछले दिनों वह छुट्टी से तैनाती पर लौटे थे. सुभाष की शादी 4 साल पहले कांति देवी से हुई थी. उनकी डेढ़ साल की एक बेटी रितिका है, जबकि पत्नी गर्भवती है. सुभाष के शव को लेकर सेना की एक टुकड़ी गांव पहुंची थी. शहीद के पिता ने कहा कि यदि उनका छोटा बेटा और नाती होता तो उसे भी फौज में जरूर भेजते.

पिता ने कहा कि उनका बेटा बचपन से ही पढ़ाई-लिखाई, खेलकूद सबमें तेज था. वहीं मां पुष्पा ने कहा कि उन्हें अपने बेटे पर गर्व है. वो पूरे भारत का बेटा है. जिस दिन वो फ़ौज में गया, उसे सरकार को दे दिया था. वहीं भाई बलदेव ने कहा कि पहले भाई के घायल होने की सूचना मिली थी. उसके बाद शहादत की. कहा कि उसकी शहादत पर गर्व है. जब भी घऱ आता था तो यही कहता था कि मैंने इतने आतंकवादी मार गिराए. शहीद की पत्नी कभी रोती है तो कभी गुमसुम हो जाती है. पूरे इलाके में गम का माहौल है.

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