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पैरालंपिक पदक से अर्जुन अवार्ड तक का सफर, जानिए मोना अग्रवाल के संघर्ष की कहानी - NATIONAL SPORTS AWARDS

पेरिस पैरालंपिक में कांस्य पदक जीतकर देश और प्रदेश का नाम रोशन करने वाली मोना अग्रवाल को अर्जुन अवार्ड के लिए नामित किया गया है.

Paris Paralympics Bronze Medalist
ओलंपिक पदक से अर्जुन अवार्ड तक का सफर (ETV Bharat GFX)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Jan 3, 2025, 4:48 PM IST

जयपुर: खेल जगत में खास उपलब्धियों के लिए दिए जाने वाले अर्जुन पुरस्कारों की घोषणा की पहली सुबह पैराशूटर मोना अग्रवाल रोजमर्रा की तरह अपने घर और बच्चों में व्यस्त रहीं. ईटीवी भारत की टीम जब उनसे मिलने पहुंची, तो वह अस्पताल से अपने बच्चों को दिखाने के बाद घर पहुंची थी. मोना अग्रवाल ने बताया कि उनके बच्चों को जुखाम हुआ था. 2 साल की उम्र में पोलियो होने के बाद भी मोना ने हर नहीं मानी और खेल को अपने जीने की राह के विकल्प के रूप में चुन लिया.

अपने लिए अर्जुन अवार्ड की घोषणा पर उन्होंने कहा कि 2025 में उनके लिए यह है एक बेहतरीन तोहफा साबित हुआ है. मोना अग्रवाल इस बात को लेकर खुश हैं कि उनकी इस मेहनत को दुनिया ने देखा और समझा है. वहीं, इस मौके पर ईटीवी भारत के ब्यूरो चीफ अश्विनी विजय प्रकाश पारीक ने उनसे खास बात की और संघर्ष की कहानी को जाना.

मोना अग्रवाल के संघर्ष की कहानी, सुनिए... (ETV Bharat Jaipur)

शारीरिक चुनौतियों से नहीं मानी हार : निशानेबाज के रूप में अपने खेल करियर में मोना अग्रवाल को अभी ढाई साल का वक्त बीता है. इस छोटी सी मियाद में उन्होंने ओलंपिक में अपने पहले ही ओलंपिक मुकाबले में कांस्य पदक जीत लिया और अर्जुन अवार्ड के लिए नामित हो गई. मोना बताती हैं कि साल 2016 में उन्होंने खेलों को अपने करियर के रूप में चुना था.

पहले वह अलग-अलग खेलों में कोशिश करती रहीं, लेकिन शारीरिक चुनौतियों के आगे उन्हें निशानेबाजी मुफीद लगी और फिर उन्होंने ढाई साल से इस खेल में फोकस किया और ओलंपिक में कामयाबी हासिल की. मोना कहती है कि जब यह महसूस होता है कि आपके पास अब और कोई विकल्प नहीं है, तो फिर हिम्मत खुद ब खुद आ जाती है. उन्होंने भी करना है या मरना है की तर्ज पर शूटिंग में कामयाबी अर्जित की.

Paris Paralympics Bronze Medalist
पेरिस पैरालंपिक के दौरान मोना अग्रवाल (ETV Bharat Jaipur)

ससुराल का भी मिला साथ : मोना अग्रवाल के मुताबिक उनकी सफलता में ससुराल वालों का भी पूरा हाथ रहा है. उनकी बच्चों की पूरी देखभाल करती है. मोना बताती हैं कि उनके लिए ट्रेनिंग काफी मुश्किल रही थी. कुछ वक्त के लिए उन्हें परिवार से अलग भी रहना पड़ा. इस दौरान बच्चे छोटे थे और पति के सिर में चोट लगी थी, लेकिन सास-ससुर ने उनके इस संघर्ष में पूरा सहयोग किया. मोना बताती हैं कि उनकी बेटी आर्मी थोड़ी बड़ी हो गई है तो फिर भी उन्हें मां के साथ रहने की चिंता सताती है, लेकिन बेटा अभी काफी छोटा है. वह खाने-पाने की चीजों और खेल-खिलौने से बहक जाता है और उन्हें ऐसे में अपनी तैयारी के लिए वक्त मिल जाता है.

Mona Agarwal with Family
अपने परिवार के साथ मोना अग्रवाल (ETV Bharat Jaipur)

पढ़ें : पैराशूटर मोना अग्रवाल को मिलेगा अर्जुन अवॉर्ड, शुरू हुआ बधाइयों का दौर - MONA AGARWAL

पढ़ें : राष्ट्रीय खेल पुरस्कार 2024 का ऐलान, मनु भाकर समेत इन 4 खिलाड़ियों को खेल रत्न अवार्ड - NATIONAL SPORTS AWARDS 2024

पेरिस पैरालंपिक के लिए बहाया पसीना : पेरिस पैरालंपिक से पहले मोना अग्रवाल ने रोजाना 7 से 8 घंटे तक प्रैक्टिस की है. वह बताती हैं कि बीते 7 सालों में उन्होंने क्वांटिटी प्रैक्टिस कर ली है, अब उनका फोकस क्वालिटी प्रैक्टिस पर है, ताकि वह अपने खेलों को और बेहतर बना सके. 2025 में वह अपनी सेहत और फिटनेस के साथ-साथ मजबूती और डाइट पर फोकस रखेंगी. उसके साथ खुद को भी मानसिक रूप से मजबूत बनाना चाहती हैं, ताकि 2026 की शुरुआत के साथ आने वाले इवेंट्स में अपने बेहतरीन खेल के प्रदर्शन को जारी रख सकें.

कर्जा लेकर की थी पेरिस की तैयारी : मोना अग्रवाल बताती हैं कि पेरिस ओलंपिक की तैयारी के लिए उन्होंने 30 से 40 लाख रुपये का कर्ज लिया था. जाहिर है कि शूटिंग का खेल काफी महंगा होता है. ऐसे में इसकी तैयारी के लिए काफी रुपयों की जरूरत होती है. इसमें अपनी सेविंग्स के साथ-साथ नजदीकी दोस्त और रिश्तेदारों ने भी उनकी मदद की. इस तरह से उन्होंने अपनी आर्थिक चुनौतियों का सामना किया और खेलों में कामयाबी अर्जित की.

Diya Kumari and Mona Agarwal
उप मुख्यमंत्री दीया कुमारी के साथ मोना अग्रवाल (ETV Bharat Jaipur)

परिवार वाले भी काफी खुश : मोना की सास रहती है कि वह अपनी बहू को बच्चों की परवरिश से मुक्त रख रही हैं, ताकि वह अपनी प्रैक्टिस पर फोकस कर सकें. मोना की सास ने कहा कि उनकी बहू इस बार तीसरा पदक लेकर आई थी, लेकिन उनका आशीर्वाद है कि अगले पैरा ओलंपिक मुकाबले में वह पहला मेडल यानी की स्वर्ण पदक हासिल करें. होना अग्रवाल की बेटी आर्वी कहती हैं कि वह भी खेलों में जाना चाहती है और अपनी मम्मी की तरह शूटिंग को ही चुनना चाहती हैं. जबकि मोना अग्रवाल के पति रविंद्र का कहना है कि वह अपनी पत्नी की कामयाबी पर काफी खुश हैं. अर्जुन अवार्ड का ऐलान निश्चित तौर पर उनके परिवार और मोना के लिए विशेष रूप से मनोबल बढ़ाने वाला होगा.

जयपुर: खेल जगत में खास उपलब्धियों के लिए दिए जाने वाले अर्जुन पुरस्कारों की घोषणा की पहली सुबह पैराशूटर मोना अग्रवाल रोजमर्रा की तरह अपने घर और बच्चों में व्यस्त रहीं. ईटीवी भारत की टीम जब उनसे मिलने पहुंची, तो वह अस्पताल से अपने बच्चों को दिखाने के बाद घर पहुंची थी. मोना अग्रवाल ने बताया कि उनके बच्चों को जुखाम हुआ था. 2 साल की उम्र में पोलियो होने के बाद भी मोना ने हर नहीं मानी और खेल को अपने जीने की राह के विकल्प के रूप में चुन लिया.

अपने लिए अर्जुन अवार्ड की घोषणा पर उन्होंने कहा कि 2025 में उनके लिए यह है एक बेहतरीन तोहफा साबित हुआ है. मोना अग्रवाल इस बात को लेकर खुश हैं कि उनकी इस मेहनत को दुनिया ने देखा और समझा है. वहीं, इस मौके पर ईटीवी भारत के ब्यूरो चीफ अश्विनी विजय प्रकाश पारीक ने उनसे खास बात की और संघर्ष की कहानी को जाना.

मोना अग्रवाल के संघर्ष की कहानी, सुनिए... (ETV Bharat Jaipur)

शारीरिक चुनौतियों से नहीं मानी हार : निशानेबाज के रूप में अपने खेल करियर में मोना अग्रवाल को अभी ढाई साल का वक्त बीता है. इस छोटी सी मियाद में उन्होंने ओलंपिक में अपने पहले ही ओलंपिक मुकाबले में कांस्य पदक जीत लिया और अर्जुन अवार्ड के लिए नामित हो गई. मोना बताती हैं कि साल 2016 में उन्होंने खेलों को अपने करियर के रूप में चुना था.

पहले वह अलग-अलग खेलों में कोशिश करती रहीं, लेकिन शारीरिक चुनौतियों के आगे उन्हें निशानेबाजी मुफीद लगी और फिर उन्होंने ढाई साल से इस खेल में फोकस किया और ओलंपिक में कामयाबी हासिल की. मोना कहती है कि जब यह महसूस होता है कि आपके पास अब और कोई विकल्प नहीं है, तो फिर हिम्मत खुद ब खुद आ जाती है. उन्होंने भी करना है या मरना है की तर्ज पर शूटिंग में कामयाबी अर्जित की.

Paris Paralympics Bronze Medalist
पेरिस पैरालंपिक के दौरान मोना अग्रवाल (ETV Bharat Jaipur)

ससुराल का भी मिला साथ : मोना अग्रवाल के मुताबिक उनकी सफलता में ससुराल वालों का भी पूरा हाथ रहा है. उनकी बच्चों की पूरी देखभाल करती है. मोना बताती हैं कि उनके लिए ट्रेनिंग काफी मुश्किल रही थी. कुछ वक्त के लिए उन्हें परिवार से अलग भी रहना पड़ा. इस दौरान बच्चे छोटे थे और पति के सिर में चोट लगी थी, लेकिन सास-ससुर ने उनके इस संघर्ष में पूरा सहयोग किया. मोना बताती हैं कि उनकी बेटी आर्मी थोड़ी बड़ी हो गई है तो फिर भी उन्हें मां के साथ रहने की चिंता सताती है, लेकिन बेटा अभी काफी छोटा है. वह खाने-पाने की चीजों और खेल-खिलौने से बहक जाता है और उन्हें ऐसे में अपनी तैयारी के लिए वक्त मिल जाता है.

Mona Agarwal with Family
अपने परिवार के साथ मोना अग्रवाल (ETV Bharat Jaipur)

पढ़ें : पैराशूटर मोना अग्रवाल को मिलेगा अर्जुन अवॉर्ड, शुरू हुआ बधाइयों का दौर - MONA AGARWAL

पढ़ें : राष्ट्रीय खेल पुरस्कार 2024 का ऐलान, मनु भाकर समेत इन 4 खिलाड़ियों को खेल रत्न अवार्ड - NATIONAL SPORTS AWARDS 2024

पेरिस पैरालंपिक के लिए बहाया पसीना : पेरिस पैरालंपिक से पहले मोना अग्रवाल ने रोजाना 7 से 8 घंटे तक प्रैक्टिस की है. वह बताती हैं कि बीते 7 सालों में उन्होंने क्वांटिटी प्रैक्टिस कर ली है, अब उनका फोकस क्वालिटी प्रैक्टिस पर है, ताकि वह अपने खेलों को और बेहतर बना सके. 2025 में वह अपनी सेहत और फिटनेस के साथ-साथ मजबूती और डाइट पर फोकस रखेंगी. उसके साथ खुद को भी मानसिक रूप से मजबूत बनाना चाहती हैं, ताकि 2026 की शुरुआत के साथ आने वाले इवेंट्स में अपने बेहतरीन खेल के प्रदर्शन को जारी रख सकें.

कर्जा लेकर की थी पेरिस की तैयारी : मोना अग्रवाल बताती हैं कि पेरिस ओलंपिक की तैयारी के लिए उन्होंने 30 से 40 लाख रुपये का कर्ज लिया था. जाहिर है कि शूटिंग का खेल काफी महंगा होता है. ऐसे में इसकी तैयारी के लिए काफी रुपयों की जरूरत होती है. इसमें अपनी सेविंग्स के साथ-साथ नजदीकी दोस्त और रिश्तेदारों ने भी उनकी मदद की. इस तरह से उन्होंने अपनी आर्थिक चुनौतियों का सामना किया और खेलों में कामयाबी अर्जित की.

Diya Kumari and Mona Agarwal
उप मुख्यमंत्री दीया कुमारी के साथ मोना अग्रवाल (ETV Bharat Jaipur)

परिवार वाले भी काफी खुश : मोना की सास रहती है कि वह अपनी बहू को बच्चों की परवरिश से मुक्त रख रही हैं, ताकि वह अपनी प्रैक्टिस पर फोकस कर सकें. मोना की सास ने कहा कि उनकी बहू इस बार तीसरा पदक लेकर आई थी, लेकिन उनका आशीर्वाद है कि अगले पैरा ओलंपिक मुकाबले में वह पहला मेडल यानी की स्वर्ण पदक हासिल करें. होना अग्रवाल की बेटी आर्वी कहती हैं कि वह भी खेलों में जाना चाहती है और अपनी मम्मी की तरह शूटिंग को ही चुनना चाहती हैं. जबकि मोना अग्रवाल के पति रविंद्र का कहना है कि वह अपनी पत्नी की कामयाबी पर काफी खुश हैं. अर्जुन अवार्ड का ऐलान निश्चित तौर पर उनके परिवार और मोना के लिए विशेष रूप से मनोबल बढ़ाने वाला होगा.

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