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धुर नक्सल प्रभावित क्षेत्र अरनपुर जगरगुंडा में रोड पूरी,लौटेगी इमली बाजार की खोई पहचान - Aranpur Jagargunda road

Aranpur Jagargunda road work completed छत्तीसगढ़ के धुर नक्सल एरिया में से एक जगरगुंडा अब तीन जिला मुख्यालयों से पूरी तरह से जुड़ चुका है.इसकी सबसे बड़ी वजह है वो सड़क जो 10 साल के लंबे इंतजार के बाद पूरी हुई है. इस सड़क के पूरा होने पर सुरक्षाबलों ने राहत की सांस ली है.वहीं स्थानीय लोग सड़क निर्माण से बेहद खुश हैं.

Aranpur Jagargunda road work completed
धुर नक्सल प्रभावित क्षेत्र में पहुंची सड़क (ETV Bharat Chhattisgarh)
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Aug 8, 2024, 2:29 PM IST

Updated : Aug 8, 2024, 11:04 PM IST

रायपुर/सुकमा : छत्तीसगढ़ सरकार के सहयोग से सुरक्षा बलों ने अरनपुर-जगरगुंडा सड़क को पूरा करने में सफलता हासिल की है.छत्तीसगढ़ के उग्रवाद प्रभावित सुकमा जिले के जगरगुंडा इमली की बिक्री के लिए एशिया का सबसे बड़ा बाजार है.सुरक्षा बलों का मानना है कि अरनपुर- जगरगुंडा सड़क का निर्माण पूरा होने के बाद, छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले में उग्रवाद प्रभावित क्षेत्र जगरगुंडा एक बार फिर एशिया के सबसे बड़े इमली बाजार के रूप में अपना पुराना स्थान हासिल करेगा.

धुर नक्सल प्रभावित क्षेत्र में पहुंची सड़क (ETV Bharat Chhattisgarh)

नक्सलियों के कारण छीन गई थी पहचान : बस्तर रेंज के पुलिस महानिरीक्षक सुंदरराज पी ने कहा कि पहले, सुकमा में जगरगुंडा क्षेत्र इमली की बिक्री के लिए एशिया के सबसे बड़े बाजार के रूप में लोकप्रिय था, लेकिन नक्सली गतिविधियों में वृद्धि के कारण बाजार ने अपना अस्तित्व खो दिया. ये क्षेत्र नक्सलियों का सबसे सुरक्षित ठिकाना था. लेकिन इस मिथक को तोड़ने के लिए पुलिस और फोर्स ने अपनी कमर कसी.इसके बाद सबसे पहले धुर नक्सल क्षेत्र में सड़क का निर्माण करवाया गया.ताकि सरकारी योजनाओं के साथ स्थानीय लोग विकास से जुड़ सके.

''यह सड़क स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के अवसर पैदा करने में मदद करेगी.स्थानीय आबादी को बाहरी दुनिया से जोड़ने का माध्यम भी बनेगी. सीआरपीएफ और पुलिस ने इस महत्वपूर्ण खंड के निर्माण के लिए व्यापक अभियान चलाया है. कई सुरक्षा कर्मियों ने ड्यूटी के दौरान अपने जीवन का बलिदान दिया है. इस महत्वपूर्ण सड़क को पूरा होने में लगभग 5-6 साल लगे हैं.''सुंदरराज पी, आईजी बस्तर

स्थानीय लोगों को मिलेगा रोजगार : वहीं इस बारे में बस्तर रेंज के आईजी सुंदरराज पी का कहना है कि सड़क के निर्माण से स्थानीय लोगों को रोजगार के अवसर मिलेंगे.दक्षिण बस्तर के जगरगुंडा क्षेत्र को सभी दिशाओं से (उत्तर अरनपुर-जगरगुंडा, पूर्व दोरनापाल-जगरगुंडा, पश्चिम आवापल्ली-जगरगुंडा और दक्षिण से गोलापल्ली-किस्टाराम-जगरगुंडा) से जोड़ने के लिए सावधानीपूर्वक योजना के तहत काम किया जा रहा है. इस परियोजना के तहत कार्य के प्रथम चरण में अरनपुर-जगरगुंडा सड़क का कार्य पूरा हो चुका है.



आसान नहीं था सड़क निर्माण : आपको बता दें कि अरनपुर-जगरगुंडा मार्ग को बनाने में कई जवानों ने शहादत भी दी है. इस सड़क को बनाने से पहले कच्चे रास्ते में प्लांट किए गए 56 आईईडी को निकालकर डिस्पोज किया गया.साथ ही साथ कई बार नक्सली हिंसा के कारण ठेकेदारों ने काम बंद किया.लेकिन फोर्स ने इस सड़क को चुनौती के तौर पर स्वीकारते हुए अपने सख्त पहरे में सड़क का निर्माण पूरा करवाया.

''सड़क निर्माण का उद्देश्य सिर्फ नक्सल विरोधी अभियानों में सहायता करना नहीं था, बल्कि यह लोगों को समर्पित है. पिछले कुछ वर्षों से सड़क का निर्माण कार्य पूरा नहीं हो पाया था. सुरक्षाकर्मियों के अतिरिक्त प्रयास से यह कार्य पूरा हो सका.अब सरकार के उपलब्ध कराये जा रहे संसाधन इस क्षेत्र तक पहुंच जाएंगे और इसका परिणाम सर्वांगीण विकास के तौर पर सामने आएगा.'' विकास कटारिया, डीआईजी सीआरपीएफ

कई जवान हुए शहीद : इस सड़क को बनाने के लिए कई जवानों और नागरिकों को अपनी शहादत देनी पड़ी है. पुलिस रिपोर्ट के अनुसार साल 2017 में बुरकपाल में 25 जवान और तालमेटला में 76 जवानों की शहादत हुई. आपको बता दें कि जगरगुंडा में जहां तक सड़क बनी है, वो कभी नक्सली कमांडर हिड़मा का क्षेत्र हुआ करता था. इसे लोग नक्सलियों की पहाड़ी भी कहते हैं. क्योंकि यहां के चप्पे-चप्पे पर नक्सलियों की तूती बोलती थी.सड़क बनाने के लिए कुल 5 पुलिस कैंप बैठाए गए. वहीं 200 से ज्यादा आईईडी रिकवर की गई. चार फेज में इस सड़क का निर्माण किया गया है. साल 2014 में शुरु हुआ ये काम 2024 में जाकर पूरा हुआ है.

किन चीजों में होगी आसानी : इस सड़क के बनने से यहां रहने वाले लोगों को आसपास के तीन जिलों में आवागमन करने में सुविधा होगी.स्थानीय लोग अपना धान और वनोपज आसानी से बड़े बाजारों में ले जाकर बेच सकेंगे.जिससे इन्हें बिचौलियों को कम दामों में अपना माल नहीं बेचना होगा.इसी के साथ सड़क बनने से सरकारी सुविधाएं जैसे पीडीएस, स्कूल, आंगनबाड़ी,स्वास्थ्य केंद्र दूर दराज के इलाकों में खुलेंगे.

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धुर नक्सल प्रभावित क्षेत्र में पहुंची सड़क (ETV Bharat Chhattisgarh)

नक्सलियों के कारण छीन गई थी पहचान : बस्तर रेंज के पुलिस महानिरीक्षक सुंदरराज पी ने कहा कि पहले, सुकमा में जगरगुंडा क्षेत्र इमली की बिक्री के लिए एशिया के सबसे बड़े बाजार के रूप में लोकप्रिय था, लेकिन नक्सली गतिविधियों में वृद्धि के कारण बाजार ने अपना अस्तित्व खो दिया. ये क्षेत्र नक्सलियों का सबसे सुरक्षित ठिकाना था. लेकिन इस मिथक को तोड़ने के लिए पुलिस और फोर्स ने अपनी कमर कसी.इसके बाद सबसे पहले धुर नक्सल क्षेत्र में सड़क का निर्माण करवाया गया.ताकि सरकारी योजनाओं के साथ स्थानीय लोग विकास से जुड़ सके.

''यह सड़क स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के अवसर पैदा करने में मदद करेगी.स्थानीय आबादी को बाहरी दुनिया से जोड़ने का माध्यम भी बनेगी. सीआरपीएफ और पुलिस ने इस महत्वपूर्ण खंड के निर्माण के लिए व्यापक अभियान चलाया है. कई सुरक्षा कर्मियों ने ड्यूटी के दौरान अपने जीवन का बलिदान दिया है. इस महत्वपूर्ण सड़क को पूरा होने में लगभग 5-6 साल लगे हैं.''सुंदरराज पी, आईजी बस्तर

स्थानीय लोगों को मिलेगा रोजगार : वहीं इस बारे में बस्तर रेंज के आईजी सुंदरराज पी का कहना है कि सड़क के निर्माण से स्थानीय लोगों को रोजगार के अवसर मिलेंगे.दक्षिण बस्तर के जगरगुंडा क्षेत्र को सभी दिशाओं से (उत्तर अरनपुर-जगरगुंडा, पूर्व दोरनापाल-जगरगुंडा, पश्चिम आवापल्ली-जगरगुंडा और दक्षिण से गोलापल्ली-किस्टाराम-जगरगुंडा) से जोड़ने के लिए सावधानीपूर्वक योजना के तहत काम किया जा रहा है. इस परियोजना के तहत कार्य के प्रथम चरण में अरनपुर-जगरगुंडा सड़क का कार्य पूरा हो चुका है.



आसान नहीं था सड़क निर्माण : आपको बता दें कि अरनपुर-जगरगुंडा मार्ग को बनाने में कई जवानों ने शहादत भी दी है. इस सड़क को बनाने से पहले कच्चे रास्ते में प्लांट किए गए 56 आईईडी को निकालकर डिस्पोज किया गया.साथ ही साथ कई बार नक्सली हिंसा के कारण ठेकेदारों ने काम बंद किया.लेकिन फोर्स ने इस सड़क को चुनौती के तौर पर स्वीकारते हुए अपने सख्त पहरे में सड़क का निर्माण पूरा करवाया.

''सड़क निर्माण का उद्देश्य सिर्फ नक्सल विरोधी अभियानों में सहायता करना नहीं था, बल्कि यह लोगों को समर्पित है. पिछले कुछ वर्षों से सड़क का निर्माण कार्य पूरा नहीं हो पाया था. सुरक्षाकर्मियों के अतिरिक्त प्रयास से यह कार्य पूरा हो सका.अब सरकार के उपलब्ध कराये जा रहे संसाधन इस क्षेत्र तक पहुंच जाएंगे और इसका परिणाम सर्वांगीण विकास के तौर पर सामने आएगा.'' विकास कटारिया, डीआईजी सीआरपीएफ

कई जवान हुए शहीद : इस सड़क को बनाने के लिए कई जवानों और नागरिकों को अपनी शहादत देनी पड़ी है. पुलिस रिपोर्ट के अनुसार साल 2017 में बुरकपाल में 25 जवान और तालमेटला में 76 जवानों की शहादत हुई. आपको बता दें कि जगरगुंडा में जहां तक सड़क बनी है, वो कभी नक्सली कमांडर हिड़मा का क्षेत्र हुआ करता था. इसे लोग नक्सलियों की पहाड़ी भी कहते हैं. क्योंकि यहां के चप्पे-चप्पे पर नक्सलियों की तूती बोलती थी.सड़क बनाने के लिए कुल 5 पुलिस कैंप बैठाए गए. वहीं 200 से ज्यादा आईईडी रिकवर की गई. चार फेज में इस सड़क का निर्माण किया गया है. साल 2014 में शुरु हुआ ये काम 2024 में जाकर पूरा हुआ है.

किन चीजों में होगी आसानी : इस सड़क के बनने से यहां रहने वाले लोगों को आसपास के तीन जिलों में आवागमन करने में सुविधा होगी.स्थानीय लोग अपना धान और वनोपज आसानी से बड़े बाजारों में ले जाकर बेच सकेंगे.जिससे इन्हें बिचौलियों को कम दामों में अपना माल नहीं बेचना होगा.इसी के साथ सड़क बनने से सरकारी सुविधाएं जैसे पीडीएस, स्कूल, आंगनबाड़ी,स्वास्थ्य केंद्र दूर दराज के इलाकों में खुलेंगे.

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Last Updated : Aug 8, 2024, 11:04 PM IST
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