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लोहिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज में भर्तियों का मामला : हाईकोर्ट के अंतिम आदेशों के अधीन होंगी नियुक्तियां

हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने डॉ. राम मनोहर लोहिया मेडिकल साइंसेज, लखनऊ में प्रोफेसर्स की भर्ती के सम्बंध में महत्वपूर्ण आदेश जारी करते हुए नियुक्तियों को अपने अंतिम आदेशों के अधीन कर लिया है.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Feb 8, 2024, 9:59 PM IST

लखनऊ : हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने डॉ. राम मनोहर लोहिया मेडिकल साइंसेज, लखनऊ में जनरल सर्जरी, ऑर्थोपेडिक्स, अब्स्टेट्रिक्स एंड गॉयनेकोलॉजी, फिजियॉलॉजी, नेफ्रोलॉजी व बॉयोकेमेस्ट्री विभागों के लिए प्रोफेसर्स की भर्ती के सम्बंध में महत्वपूर्ण आदेश जारी करते हुए नियुक्तियों को अपने अंतिम आदेशों के अधीन कर लिया है. न्यायालय ने कहा है कि सम्बंधित विज्ञापन के क्रम में यदि उक्त विभागों में प्रोफेसर्स के पदों पर नियुक्तियां होती हैं तो वे वर्तमान याचिका पर पारित अंतिम आदेशों के अधीन होंगी और यदि नियुक्ति पत्र दिया जाता है तो उसमें भी इस तथ्य का उल्लेख किया जाए.
यह आदेश न्यायमूर्ति मनीष माथुर की एकल पीठ ने डॉ. संजय कुमार भट व पाँच अन्य याचियों की याचिका पर पारित किया. याचियों की ओर से अधिवक्ता गौरव मेहरोत्रा ने दलील दी कि उक्त विज्ञापन के जारी किए जाने से पूर्व आरक्षण की प्रक्रिया ही नहीं लागू की गई, जिसकी वजह से पूरे इंस्टीट्यूट को एक यूनिट मानते हुए आरक्षण की व्यवस्था लागू कर दी गई है. याचियों की ओर से यह भी दलील दी गई कि रोस्टर इस तरह से बनाया गया है कि वे स्वयं आवेदन नहीं कर पा रहे हैं. यह भी कहा गया कि क्रिटिकल कोर यूनिट में अढॉक के टीचर से काम चलाया जा रहा है. इस पर न्यायालय ने राज्य सरकार व लोहिया इंस्टीट्यूट को दो सप्ताह में अपना जवाब दाखिल करने का आदेशी दिया है. मामले की अगली सुनवाई 23 फरवरी को होगी.

यह भी पढ़ें : गोमती के रिवर बेड पर अवैध कब्जा मामले में हाईकोर्ट सख्त, एसडीएम मलिहाबाद से रिपोर्ट तलब

लखनऊ : हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने डॉ. राम मनोहर लोहिया मेडिकल साइंसेज, लखनऊ में जनरल सर्जरी, ऑर्थोपेडिक्स, अब्स्टेट्रिक्स एंड गॉयनेकोलॉजी, फिजियॉलॉजी, नेफ्रोलॉजी व बॉयोकेमेस्ट्री विभागों के लिए प्रोफेसर्स की भर्ती के सम्बंध में महत्वपूर्ण आदेश जारी करते हुए नियुक्तियों को अपने अंतिम आदेशों के अधीन कर लिया है. न्यायालय ने कहा है कि सम्बंधित विज्ञापन के क्रम में यदि उक्त विभागों में प्रोफेसर्स के पदों पर नियुक्तियां होती हैं तो वे वर्तमान याचिका पर पारित अंतिम आदेशों के अधीन होंगी और यदि नियुक्ति पत्र दिया जाता है तो उसमें भी इस तथ्य का उल्लेख किया जाए.
यह आदेश न्यायमूर्ति मनीष माथुर की एकल पीठ ने डॉ. संजय कुमार भट व पाँच अन्य याचियों की याचिका पर पारित किया. याचियों की ओर से अधिवक्ता गौरव मेहरोत्रा ने दलील दी कि उक्त विज्ञापन के जारी किए जाने से पूर्व आरक्षण की प्रक्रिया ही नहीं लागू की गई, जिसकी वजह से पूरे इंस्टीट्यूट को एक यूनिट मानते हुए आरक्षण की व्यवस्था लागू कर दी गई है. याचियों की ओर से यह भी दलील दी गई कि रोस्टर इस तरह से बनाया गया है कि वे स्वयं आवेदन नहीं कर पा रहे हैं. यह भी कहा गया कि क्रिटिकल कोर यूनिट में अढॉक के टीचर से काम चलाया जा रहा है. इस पर न्यायालय ने राज्य सरकार व लोहिया इंस्टीट्यूट को दो सप्ताह में अपना जवाब दाखिल करने का आदेशी दिया है. मामले की अगली सुनवाई 23 फरवरी को होगी.

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