भरतपुर : अपना घर आश्रम में शनिवार को रिश्ते, इंसानियत और प्यार का एक अनूठा दृश्य देखने को मिला. आश्रम में शनिवार को कर्नाटक के गांव मटौली निवासी शिवलिगप्पा 16 शृंगार का सामान लेकर पहुंचे और 18 साल बाद मिली पत्नी को आश्रम में ही सिंदूर का टीका लगाकर, मंगलसूत्र, कंगन, झुमके, बाली और वस्त्र पहनाए. उसके बाद खुशी-खुशी अपने साथ घर लेकर गए. आश्चर्य की बात यह है कि शिवलिगप्पा को ये 16 शृंगार का सामान उनकी दूसरी पत्नी ने पहली पत्नी के लिए भिजवाया. शिवलिगप्पा ने अपनी पहली पत्नी को मृत समझकर तीन बच्चों की परवरिश के लिए दूसरी शादी कर ली थी.
अपना घर आश्रम के सचिव बसंतलाल गुप्ता ने बताया कि महिला प्रभुजी ललिता 2013 में चेरिटेबल ट्रस्ट सूरत में रेस्क्यू की गई थी और स्थान अभाव के कारण अपना घर भरतपुर में भर्ती कराया था. इनका तभी से उपचार चल रहा था. इनके स्वास्थ्य में सुधार होने पर इन्होंने अपना पता बताया और इनके बताए गए पते पर पुलिस के माध्यम से संपर्क किया गया. कर्नाटक से आश्रम पहुंचे पति शिवलिगप्पा ने बताया कि जब ललिता घर से निकली थी, तब घर पर उनके दो बेटे और एक छोटी बेटी थी. काफी तलाशने के बाद भी ललिता नहीं मिली. यहां ताकि सभी ने उन्हें मृत समझ लिया था. ऐसे में बच्चों की परवरिश के लिए शिवलिगप्पा ने महानंदा के साथ दूसरी शादी कर ली. दूसरी पत्नी महानंदा ने इन तीनों बच्चों की परिवरिश की पढा लिखाकर बड़ा किया. बेटी की शादी कर दी और दोनों बेटे नौकरी करते हैं.
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ललिता के जीवित होने की सूचना लेकर जैसे ही पुलिस वाले घर पहुंचे तो भरोसा ही नहीं हुआ कि पहली पत्नी जिंदा है. वीडियो कांफ्रसिंग से बात कर सत्यापन किया गया. यह बात शिवलिगप्पा ने अपनी दूसरी पत्नी महानंदा को बताई. पता चलते ही सभी लोग खुश हो गए. दूसरी पत्नी और बच्चों ने कहा उन्हें अभी जल्दी लेकर आओ. इसमें सबसे ज्यादा खुशी दूसरी पत्नी महानंदा को हो रही थी. महानंदा ने अपने पति से कहा की आप दीदी ललिता को लेने जाएं तो यह श्रृंगार का सामान मंगलसूत्र, झुमके, बाली, कंगन, वस्त्र आदि दे रही हूं. आप भरतपुर जाकर पहनाएं एवं पूरी रस्म के साथ दीदी को घर लेकर आएं.
शनिवार को शिवलिगप्पा का 18 साल पूर्व बिछुडी पत्नी ललिता से अपना घर आश्रम में मिलना हुआ. पति ने अपनाघर में आकर ललिता को एक बार फिर मंगलसूत्र पहनाया, सिंदूर से मांग भरी, कंगन, कानों के झुमके व नाक में बाली भी पहनाई. वहीं लाल रंग की साडी एवं श्रृंगार आदि का जो भी सामान लेकर आए थे वह पहनाया. जिस तरह से नवविवाहिता को पहली बार घर ले जाते हैं शिवलिगप्पा उसी तरह खुशी खुशी अपनी पहली पत्नी ललिता को आश्रम से अपने साथ गांव मटौली, थाना अफजलपुर, जिला गुलबर्गा, कर्नाटक के लिए रवाना हुए.