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20 साल पहले शिमला के छोटे से गांव सरोग आकर अभिभूत हुए थे कलाम, सुने थे लोकगीत

2004 में राष्ट्रपति रहते हुए अब्दुल कलाम हिमाचल के सरोग गांव पहुंचे थे. उन्होंने उस दौरान हिमाचल की संस्कृति को करीब से देखा था.

पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम
पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम (फाइल फोटो)
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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Oct 15, 2024, 1:31 PM IST

शिमला: महान वैज्ञानिक, चिंतक और लोकप्रिय राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम 20 साल पहले सर्दियों के दौरान देश के राष्ट्रपति के तौर पर शिमला के छोटे से गांव सरोग में आकर अभिभूत हो गए थे. अब्दुल कलाम की इच्छा थी कि वो हिमाचल का कोई ऐसा गांव देखें, जहां लोकजीवन के सभी सुर मौजूद हों. उनकी इच्छा शिमला के सरोग गांव में पूरी हुई. तब हिमाचल में भाजपा की सरकार थी.

कलाम के सरोग गांव आने पर पूरे इलाके में उत्सव का सा माहौल हो गया था. कलाम जिस समय गांव में पहुंचे, उस समय शाम घिर चुकी थी. कलाम को हिमाचल की लोक संस्कृति से रू-ब-रू करवाने के लिए ठोडा खेला गया. चोल्टू नृत्य पेश किया गया. उसके बाद हिमाचल के युवा लोकगायक किशन वर्मा ने गीत पेश किया. किशन वर्मा ने अपनी मधुर आवाज में 'मेरी साएबुए चूटे लातो दे न कांडे, पांडे नीं आइंदू' गाया. उन्होंने ढीली नाटी (लोकगीतों का एक प्रकार) भी प्रस्तुत की थी.

सरोग गांव में पौधारोपण करते पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम
सरोग गांव में पौधारोपण करते पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम (ETV BHARAT)

एपीजे अब्दुल कलाम के साथ तब तत्कालीन एमएलए राकेश वर्मा मौजूद थे. उन्होंने कलाम साहब को लोकगीतों का मतलब समझाया था. बाद में पूर्व राष्ट्रपति कलाम ने किशन वर्मा की गायकी की तारीफ भी की थी. उन्होंने चोल्टू नृत्य और ठोडा खेल की प्रस्तुति को भी जमकर सराहा था. कड़ाके की सर्दी के बावजूद एपीजे अब्दुल कलाम लंबे समय तक रात घिरने तक वहां मौजूद रहे थे.

ठियोग के पूर्व विधायक राकेश वर्मा
ठियोग के पूर्व विधायक राकेश वर्मा (ETV BHARAT)

बच्चों से की थी खूब बातें

सांस्कृतिक कार्यक्रम स्थल पर अलाव भी जलाया गया था. कलाम के स्वागत के लिए उमड़ी ग्रामीण लोगों की भीड़ उसी समय छंटी, जब वे वापिस शिमला लौटे. कलाम के उस दौरे के बाद सरोग गांव पूरे देश में मशहूर हो गया था. सरोग गांव शिमला से ठियोग जाने वाले रास्ते पर पड़ता है. ठियोग कस्बे से पहले ही सरोग गली से इस गांव के लिए रास्ता मुड़ता है. मिसाइलमैन कलाम ने नवंबर की उस शाम हरे रंग की हिमाचली टोपी और मफलर ओढ़ा था. वो सबसे पहले बच्चों से मिले थे और खूब बातें की थीं.

सरोग गांव की पेयजल समस्या हो गई हल

कलाम की उस यात्रा का लाभ ये हुआ कि सरोग गांव की पेयजल की समस्या दूर हुई और रोड़ भी दुरुस्त हुआ था. ठियोग के तत्कालीन विधायक राकेश वर्मा के अनुसार राष्ट्रपति ने हिमाचल की लोक संस्कृति में गहरी रूचि ली थी. उन्होंने उत्सुकता के साथ हिमाचल के संदर्भ में अनेक बातें पूछीं. खासकर लोक संस्कृति को लेकर. इसके अलावा भी कलाम कई दफा हिमाचल आए थे. वो कांगड़ा में चौधरी सरवण कुमार कृषि विश्वविद्यालय सहित सोलन स्थित शूलिनी विश्वविद्यालय में छात्रों को संबोधित कर चुके हैं. उन्होंने विधानसभा के विशेष सत्र को भी संबोधित किया था.

ये भी पढ़ें: हिमाचल आकर देवभूमि को तरक्की के नौ सूत्र बता गए थे कलाम

शिमला: महान वैज्ञानिक, चिंतक और लोकप्रिय राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम 20 साल पहले सर्दियों के दौरान देश के राष्ट्रपति के तौर पर शिमला के छोटे से गांव सरोग में आकर अभिभूत हो गए थे. अब्दुल कलाम की इच्छा थी कि वो हिमाचल का कोई ऐसा गांव देखें, जहां लोकजीवन के सभी सुर मौजूद हों. उनकी इच्छा शिमला के सरोग गांव में पूरी हुई. तब हिमाचल में भाजपा की सरकार थी.

कलाम के सरोग गांव आने पर पूरे इलाके में उत्सव का सा माहौल हो गया था. कलाम जिस समय गांव में पहुंचे, उस समय शाम घिर चुकी थी. कलाम को हिमाचल की लोक संस्कृति से रू-ब-रू करवाने के लिए ठोडा खेला गया. चोल्टू नृत्य पेश किया गया. उसके बाद हिमाचल के युवा लोकगायक किशन वर्मा ने गीत पेश किया. किशन वर्मा ने अपनी मधुर आवाज में 'मेरी साएबुए चूटे लातो दे न कांडे, पांडे नीं आइंदू' गाया. उन्होंने ढीली नाटी (लोकगीतों का एक प्रकार) भी प्रस्तुत की थी.

सरोग गांव में पौधारोपण करते पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम
सरोग गांव में पौधारोपण करते पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम (ETV BHARAT)

एपीजे अब्दुल कलाम के साथ तब तत्कालीन एमएलए राकेश वर्मा मौजूद थे. उन्होंने कलाम साहब को लोकगीतों का मतलब समझाया था. बाद में पूर्व राष्ट्रपति कलाम ने किशन वर्मा की गायकी की तारीफ भी की थी. उन्होंने चोल्टू नृत्य और ठोडा खेल की प्रस्तुति को भी जमकर सराहा था. कड़ाके की सर्दी के बावजूद एपीजे अब्दुल कलाम लंबे समय तक रात घिरने तक वहां मौजूद रहे थे.

ठियोग के पूर्व विधायक राकेश वर्मा
ठियोग के पूर्व विधायक राकेश वर्मा (ETV BHARAT)

बच्चों से की थी खूब बातें

सांस्कृतिक कार्यक्रम स्थल पर अलाव भी जलाया गया था. कलाम के स्वागत के लिए उमड़ी ग्रामीण लोगों की भीड़ उसी समय छंटी, जब वे वापिस शिमला लौटे. कलाम के उस दौरे के बाद सरोग गांव पूरे देश में मशहूर हो गया था. सरोग गांव शिमला से ठियोग जाने वाले रास्ते पर पड़ता है. ठियोग कस्बे से पहले ही सरोग गली से इस गांव के लिए रास्ता मुड़ता है. मिसाइलमैन कलाम ने नवंबर की उस शाम हरे रंग की हिमाचली टोपी और मफलर ओढ़ा था. वो सबसे पहले बच्चों से मिले थे और खूब बातें की थीं.

सरोग गांव की पेयजल समस्या हो गई हल

कलाम की उस यात्रा का लाभ ये हुआ कि सरोग गांव की पेयजल की समस्या दूर हुई और रोड़ भी दुरुस्त हुआ था. ठियोग के तत्कालीन विधायक राकेश वर्मा के अनुसार राष्ट्रपति ने हिमाचल की लोक संस्कृति में गहरी रूचि ली थी. उन्होंने उत्सुकता के साथ हिमाचल के संदर्भ में अनेक बातें पूछीं. खासकर लोक संस्कृति को लेकर. इसके अलावा भी कलाम कई दफा हिमाचल आए थे. वो कांगड़ा में चौधरी सरवण कुमार कृषि विश्वविद्यालय सहित सोलन स्थित शूलिनी विश्वविद्यालय में छात्रों को संबोधित कर चुके हैं. उन्होंने विधानसभा के विशेष सत्र को भी संबोधित किया था.

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