लखनऊ : सरकारी पशु अस्पतालों में सप्लाई किया जाने वाला एंटीबायोटिक इंजेक्शन जांच में मानकों पर खरा नहीं उतरा. इसे बनाने वाली कंपनी को पशुपालन विभाग की तरफ से नोटिस जारी किया गया है. संबंधित बैच के इस इंजेक्शन के प्रयोग पर तत्काल रोक भी लगा दी गई है. पशुपालन विभाग की तरफ से इस इंजेक्शन को वापस करने के निर्देश सभी जिलों के चिकित्सालयों को जारी किए गए हैं.
सरकारी पशु चिकित्सालयों और गौशालाओं के लिए पशुओं की दवाओं की पशुपालन विभाग सप्लाई करता है. विभाग ने कंपनी से इंजेक्शन इनरोफ्लाक्सासिन आईपी (20%) की खरीद वित्तीय वर्ष के लिए की थी. इसकी सप्लाई भी सभी जनपदों को कर दी गई. इसी बीच एफएसडीए लखनऊ ने इसकी जांच राजकीय प्रयोगशाला मेरठ में कराई. जांच रिपोर्ट में जिस बैच के इंजेक्शन का सैंपल भेजा गया वह मानकों पर खरा नहीं उतरा. एफएसडीए की तरफ से यह रिपोर्ट पशुपालन विभाग के निदेशक को भेजी गई. पशुपालन निदेशक डॉ. पीएन सिंह ने इस रिपोर्ट के आधार पर संबंधित बैच के इंजेक्शन पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी. सभी मुख्य पशु चिकित्साधिकारियों को निर्देश दिए कि इस इंजेक्शन का वितरण तत्काल प्रभाव से रोक दिया जाए. उन्होंने कंपनी को पांच दिन के अंदर अपना जवाब देने के लिए नोटिस भी जारी की है.
सप्लाई के बाद हुई जांच पर उठे सवाल : पशुओं की दवाओं की आपूर्ति के बाद जांच करवाए जाने पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं. इस पर पशुपालन विभाग के निदेशक डॉ. पीएन सिंह का कहना है कि कंपनी अपने स्तर से जांच कर सभी मानकों का पालन करने का भरोसा देती है. इतनी दवाओं की एक साथ खरीद की जाती है कि सभी की जांच कर पाना संभव नहीं होता है. विभाग भी निदेशालय और जिला स्तर से समय-समय पर सैंपल भेज कर दबाव की जांच करता है. अगर किसी बैच का एक भी सैंपल गलत पाया जाता है तो उस बैच की सभी दवाओं के प्रयोग पर रोक लगा दी जाती है.
यह भी पढ़ें : यूपी पशुपालन विभाग में बछियों की वैक्सीन में हुआ फर्जीवाड़ा, कागजों पर लग गए चार गुना ज्यादा टीके - Calves Vaccination Scam in UP
मानकों पर खरा नहीं उतरा एंटीबायोटिक इंजेक्शन, FSDA की जांच में फेल होने के बाद लगी रोक, पशुपालन विभाग ने जारी की नोटिस
ANIMAL HUSBANDRY DEPARTMENT : इंजेक्शन को वापस करने के निर्देश सभी जिलों के चिकित्सालयों को जारी.
By ETV Bharat Uttar Pradesh Team
Published : 2 hours ago
लखनऊ : सरकारी पशु अस्पतालों में सप्लाई किया जाने वाला एंटीबायोटिक इंजेक्शन जांच में मानकों पर खरा नहीं उतरा. इसे बनाने वाली कंपनी को पशुपालन विभाग की तरफ से नोटिस जारी किया गया है. संबंधित बैच के इस इंजेक्शन के प्रयोग पर तत्काल रोक भी लगा दी गई है. पशुपालन विभाग की तरफ से इस इंजेक्शन को वापस करने के निर्देश सभी जिलों के चिकित्सालयों को जारी किए गए हैं.
सरकारी पशु चिकित्सालयों और गौशालाओं के लिए पशुओं की दवाओं की पशुपालन विभाग सप्लाई करता है. विभाग ने कंपनी से इंजेक्शन इनरोफ्लाक्सासिन आईपी (20%) की खरीद वित्तीय वर्ष के लिए की थी. इसकी सप्लाई भी सभी जनपदों को कर दी गई. इसी बीच एफएसडीए लखनऊ ने इसकी जांच राजकीय प्रयोगशाला मेरठ में कराई. जांच रिपोर्ट में जिस बैच के इंजेक्शन का सैंपल भेजा गया वह मानकों पर खरा नहीं उतरा. एफएसडीए की तरफ से यह रिपोर्ट पशुपालन विभाग के निदेशक को भेजी गई. पशुपालन निदेशक डॉ. पीएन सिंह ने इस रिपोर्ट के आधार पर संबंधित बैच के इंजेक्शन पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी. सभी मुख्य पशु चिकित्साधिकारियों को निर्देश दिए कि इस इंजेक्शन का वितरण तत्काल प्रभाव से रोक दिया जाए. उन्होंने कंपनी को पांच दिन के अंदर अपना जवाब देने के लिए नोटिस भी जारी की है.
सप्लाई के बाद हुई जांच पर उठे सवाल : पशुओं की दवाओं की आपूर्ति के बाद जांच करवाए जाने पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं. इस पर पशुपालन विभाग के निदेशक डॉ. पीएन सिंह का कहना है कि कंपनी अपने स्तर से जांच कर सभी मानकों का पालन करने का भरोसा देती है. इतनी दवाओं की एक साथ खरीद की जाती है कि सभी की जांच कर पाना संभव नहीं होता है. विभाग भी निदेशालय और जिला स्तर से समय-समय पर सैंपल भेज कर दबाव की जांच करता है. अगर किसी बैच का एक भी सैंपल गलत पाया जाता है तो उस बैच की सभी दवाओं के प्रयोग पर रोक लगा दी जाती है.
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