कुल्लू: हिमाचल प्रदेश में अब किसानों को कृषि विभाग से एंटी हेलनेट नहीं मिलेंगे. प्रदेश सरकार द्वारा एंटी हेलनेट स्कीम के लिए कृषि विभाग को इस साल बजट जारी नहीं किया गया है. ऐसे में अब इस योजना को उद्यान विभाग में शामिल कर दिया गया है. जिसके चलते अब जिन भी किसानों ने कृषि विभाग के पास एंटी हेलनेट योजना का लाभ लेने के लिए आवेदन किया है. उन्हें अब नए सिरे से यह आवेदन बागवानी विभाग को करना होगा. सरकार ने अब इस योजना को उद्यान विभाग में शामिल किया है. जिसके चलते अब किसानों को खासी दिक्कतों का सामना भी करना पड़ेगा.
कुल्लू में 500 से ज्यादा किसानों ने किया था एंटी हेलनेट के लिए आवेदन
जिला कुल्लू की अगर बात करें तो यहां पर 500 से ज्यादा किसान हैं, जिन्होंने इस योजना का लाभ लेने के लिए कृषि विभाग के पास आवेदन किया था. ऐसे में जब उन्हें इस योजना का लाभ नहीं मिला तो उन्होंने इस बारे में कृषि विभाग में जाकर जानकारी ली. जिसके बाद किसानों को पता चला कि अब इसके लिए उन्हें बागवानी विभाग के पास फिर से आवेदन करना होगा. ऐसे में अब किसानों को बागवानी विभाग के चक्कर काटने होंगे.
इन फसलों के लिए इस्तेमाल किया जाता है एंटी हेलनेट
गौरतलब है कि सरकार द्वारा अंतिम हेलनेट योजना में किसानों-बागवानों को 80 फीसदी का अनुदान दिया जाता है. वहीं, जिला कुल्लू में बागवान सेब और जापानी फल के लिए एंटी हेलनेट का सबसे अधिक उपयोग करते हैं. इसके अलावा हेलनेट के द्वारा विभिन्न फसलों को ओलावृष्टि से भी बचाया जाता है. एंटी हेलनेट जापानी फल को पक्षियों से होने वाले नुकसान से भी बचाता है, लेकिन कृषि विभाग में अब यह स्कीम बंद होने से किसानों की चिंता बढ़ गई है.
कृषि विभाग में योजना बंद होने से बढ़ी किसानों की चिंता
हिमाचल प्रदेश में करीब 6000 करोड़ से ज्यादा बागवानी का कारोबार किया जाता है. ऐसे में पूर्व भाजपा सरकार ने इस योजना को बागवानी के साथ-साथ कृषि विभाग में भी लागू किया था. वर्तमान कांग्रेस सरकार ने कृषि विभाग के जरिए मिलने वाली एंटी हेलनेट की सुविधा को बंद कर दिया और अब इसे बागवानी विभाग में शामिल कर दिया है. इससे हिमाचल प्रदेश के लाखों किसानों को दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा.
वहीं, कृषि विभाग के उपनिदेशक डॉ. सुशील शर्मा ने बताया कि इस साल एंटी हेलनेट योजना के लिए बजट नहीं आया है और सरकार ने इस योजना को बागवानी विभाग में शामिल किया है. ऐसे में कृषि विभाग के पास जिस भी किसान ने इस योजना के लिए आवेदन किया था.अब उन्हें दोबारा से बागवानी विभाग के पास आवेदन करना होगा.