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ग्रेवल फिल्टर दिलाएगा कीचड़, दुर्गंध और संक्रमण से छुटकारा, खूबियां कर देंगी हैरान - Ambikapur Gravel filter - AMBIKAPUR GRAVEL FILTER

बारिश के दिनों में अगर आप भी कीचड़, संक्रमण और दुर्गंध से परेशान हैं तो ये प्रयोग आपके काम की है. आप भी ग्रेवल फिल्टर का इस्तेमाल कर बारिश के दिनों के पानी और संक्रमण से छुटकारा पा सकते हैं.

AMBIKAPUR GRAVEL FILTER
ग्रेवल फिल्टर दिलाएगा संक्रमण से छुटकारा (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Aug 5, 2024, 8:09 PM IST

ग्रेवल फिल्टर के जरिए संक्रमण से छुटकारा (ETV Bharat)

सरगुजा: बारिश के मौसम में जलजमाव से होने वाली गंदगी संक्रमण का कारण बनती है. आस-पास खुले पड़े मैदान में जमा होने वाला गंदा पानी बीमारियों का घर बन जाता है. जरूरी नहीं कि स्थानीय प्रशासन हर तरफ साफ-सफाई करा सके. ग्रामीण क्षेत्र हो या शहरी क्षेत्र हर किसी को अपने स्वास्थ्य के लिए सतर्क रहने की जरूरत है. ऐसे में अम्बिकापुर नगर निगम का एक प्रयोग इस संक्रमण से बचाने का काम कर सकता है. आइए आपको बताते हैं कि वो प्रयोग क्या है? कैसे उस प्रयोग के माध्यम से बिना किसी खर्च के आप अपने आस-पास के जमीन में बने दलदल, जल जमाव को गंदा और संक्रमित होने से रोक सकते हैं?

बारिश के दिनों में दिलाएगा संक्रमण से निजात: दरअसल, अम्बिकापुर नगर निगम ने यह प्रयोग साल 2016 में अपने एक तालाब को बचाने के लिए किया था. जो कि आज भी काम कर रहा है, क्योंकि इसमें खर्च कुछ होना नहीं है तो आप भी इस प्रयोग को कर सकते हैं. इस प्रयोग के जरिए आप अपने आस-पास कीचड़, दलदल और जलभराव वाली जमीन को साफ रख सकते हैं, उसमें से आने वाली दुर्गंध और संक्रमण से भी बचाव कर सकते हैं.

जानिए क्या कहते हैं नोडल अधिकारी: इस बारे में ईटीवी भारत ने अम्बिकापुर नगर निगम के स्वच्छ भारत मिशन के नोडल अधिकारी रितेश सैनी से बातचीत की. उन्होंने कहा, " ऐसे स्थानों पर आप केना प्लांट लगा दें. केना प्लांट पानी में लगने वाला ही प्लांट है. बिना किसी देखभाल के ये इसमें बढ़ जाता है. केना प्लांट का गुण ही है कि वो पानी या कीचड़ के गंदे नैनो पार्टिकल को खाता है. इसकी जड़ ये काम करती है. जैसे ही गंदा पानी केना प्लांट की जड़ के संपर्क में आता है तो वो उसके नैनो पार्टिकल को खा लेता है, जो दुर्गन्ध या संक्रमण फैलाते हैं. इसके बाद जो पानी शेष बचता है, वो स्वच्छ हो जाता है."

"अगर कीचड़ या जल भराव वाली जगह से गंदा पानी किसी नदी नाले में जाने की स्थिती में है, तो आप उसमे ग्रेवल फिल्टर बना सकते हैं. ये ग्रेवल फिल्टर भी बिना खर्च या बेहद कम खर्च में तैयार हो जाता है. इसमें रेत, चारकोल, गिट्टी और बड़े साइज के बोल्डर को क्रमशः पानी के मार्ग में जमाया जाता है, जिससे निकलने वाला गंदा पानी और भी अधिक साफ हो जाता है. इसके बाद अगर पानी को ऑक्सीडाइज्ड करके साफ करना हो तो वो भरे हुए जल में ही सम्भव है. इसके लिए आप भरे हुए जल भाग में बत्तख छोड़ दीजिए, क्योंकि बत्तख जिस तरह से चलती है, उससे ऑक्सीडाइज्ड की प्रक्रिया होती है, बतख में पंखों से पानी में ऑक्सीजन जनरेट होती है, जिससे पानी साफ होता है." -रितेश सैनी, नोडल अधिकारी, स्वच्छ भारत मिशन, निगम

इस तरह आप पहले कीचड़ के पानी को केना इंडिका प्लांट से साफ करते हैं. दूसरे चरण में ग्रेवल फिल्टर का उपयोग कर सकते हैं. यदि उस पानी को तालाब या किसी जलाशय में छोड़ रहे हैं, तो वहां बत्तख पालन कर पानी को साफ कर सकते हैं. बत्तख पालन से आप पैसे भी कमा सकते हैं.

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बारिश के दिनों में दिलाएगा संक्रमण से निजात: दरअसल, अम्बिकापुर नगर निगम ने यह प्रयोग साल 2016 में अपने एक तालाब को बचाने के लिए किया था. जो कि आज भी काम कर रहा है, क्योंकि इसमें खर्च कुछ होना नहीं है तो आप भी इस प्रयोग को कर सकते हैं. इस प्रयोग के जरिए आप अपने आस-पास कीचड़, दलदल और जलभराव वाली जमीन को साफ रख सकते हैं, उसमें से आने वाली दुर्गंध और संक्रमण से भी बचाव कर सकते हैं.

जानिए क्या कहते हैं नोडल अधिकारी: इस बारे में ईटीवी भारत ने अम्बिकापुर नगर निगम के स्वच्छ भारत मिशन के नोडल अधिकारी रितेश सैनी से बातचीत की. उन्होंने कहा, " ऐसे स्थानों पर आप केना प्लांट लगा दें. केना प्लांट पानी में लगने वाला ही प्लांट है. बिना किसी देखभाल के ये इसमें बढ़ जाता है. केना प्लांट का गुण ही है कि वो पानी या कीचड़ के गंदे नैनो पार्टिकल को खाता है. इसकी जड़ ये काम करती है. जैसे ही गंदा पानी केना प्लांट की जड़ के संपर्क में आता है तो वो उसके नैनो पार्टिकल को खा लेता है, जो दुर्गन्ध या संक्रमण फैलाते हैं. इसके बाद जो पानी शेष बचता है, वो स्वच्छ हो जाता है."

"अगर कीचड़ या जल भराव वाली जगह से गंदा पानी किसी नदी नाले में जाने की स्थिती में है, तो आप उसमे ग्रेवल फिल्टर बना सकते हैं. ये ग्रेवल फिल्टर भी बिना खर्च या बेहद कम खर्च में तैयार हो जाता है. इसमें रेत, चारकोल, गिट्टी और बड़े साइज के बोल्डर को क्रमशः पानी के मार्ग में जमाया जाता है, जिससे निकलने वाला गंदा पानी और भी अधिक साफ हो जाता है. इसके बाद अगर पानी को ऑक्सीडाइज्ड करके साफ करना हो तो वो भरे हुए जल में ही सम्भव है. इसके लिए आप भरे हुए जल भाग में बत्तख छोड़ दीजिए, क्योंकि बत्तख जिस तरह से चलती है, उससे ऑक्सीडाइज्ड की प्रक्रिया होती है, बतख में पंखों से पानी में ऑक्सीजन जनरेट होती है, जिससे पानी साफ होता है." -रितेश सैनी, नोडल अधिकारी, स्वच्छ भारत मिशन, निगम

इस तरह आप पहले कीचड़ के पानी को केना इंडिका प्लांट से साफ करते हैं. दूसरे चरण में ग्रेवल फिल्टर का उपयोग कर सकते हैं. यदि उस पानी को तालाब या किसी जलाशय में छोड़ रहे हैं, तो वहां बत्तख पालन कर पानी को साफ कर सकते हैं. बत्तख पालन से आप पैसे भी कमा सकते हैं.

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