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Rajasthan: सोच ने बदला जीवन : हुनर को मिल रही पहचान, मिट्टी के आइटम की डिमांड केरल तक

Demand of Clay Items. कुछ खास करने की सोच ने बदला जीवन. अब हुनर को मिल रही पहचान. मिट्टी के आइटम की डिमांड केरल तक.

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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : 2 hours ago

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अलवर: आमतौर पर कुम्हार वर्ग के लोग मिट्टी से बने दीपक और मटके तैयार कर बाजार में बेचते हैं, लेकिन अलवर के बहाला गांव के एक व्यक्ती ने मिट्टी से ही कुछ अलग आइटम बनाने की सोच रखी और आज वे दिल्ली, यूपी, एमपी, केरल, झारखंड, हैदराबाद, विशाखापट्टनम सहित अन्य राज्यों तक फेमस हो चुके हैं. उनका कहना है कि वह मिट्टी से सैकड़ों तरह आइटम बना सकते हैं. खास बात यह है कि उन्होंने अपने बच्चों को पढ़ाई के क्षेत्र में आगे बढ़ने दिया और कारीगरों के साथ मिलकर वे खुद इस कार्य को आगे बढ़ा रहे हैं.

पिता बनाते थे मटके, बेटे ने ठानी कुछ अलग करने की : मिट्टी के आइटम बनाने वाले शिल्पकार पप्पी राम ने बताया कि जब उन्होंने अपने कार्य की शुरुआत की तब मिट्टी के बर्तन बनाने का कार्य करने वाले कई लोग थे. उनके पिता भी मिट्टी के ही बर्तन बनाते थे. इसलिए उन्होंने इन चीजों को छोड़कर कुछ अलग बनाने की सोची. उन्होंने बताया कि 25 साल पहले उनकी इस सोच ने ही आज उन्हें एक पहचान दिलाई. आज के दौर में मिट्टी के दीपक व घड़े बनाने वाले लोगों का काम सीजन के तौर पर चलता है. वहीं, पप्पी राम का काम पूरे साल भर जारी रहता है. उन्होंने बताया कि वह टेराकोटा के कई तरह के आइटम बड़ी आसानी से तैयार कर लेते हैं.

हुनर को मिल रही पहचान (ETV Bharat Alwar)

इलेक्ट्रिक चाक पर बनाते हैं आइटम : पप्पी राम ने बताया कि जैसे-जैसे समय बदल रहा है, वैसे ही हमने भी टेक्नोलॉजी का उपयोग करना शुरू कर दिया है. कई आइटम हमारे द्वारा इलेक्ट्रॉनिक चाक पर बनाए जाते हैं. इसके लिए वे खुद और चार मजदूर मिलकर इस कार्य को संभालते हैं. उन्होंने बताया कि वे सैकड़ों तरह के आइटम बनाने में सक्षम है. यदि कोई व्यक्ति कोई आइटम बनवाना चाहता है, तो वह उसका मॉडल दिखाकर उसे आसानी से तैयार कर सकते हैं.

पढ़ें : रेल यात्रियों के लिए खुशखबरी ! बीकानेर से वलसाड के बीच दिवाली पर चलेगी स्पेशल ट्रेन, इन शहरों के यात्रियों को होगा फायदा - DIWALI SPECIAL TRAIN

कई राज्यों में टेराकोटा के आइटम की मांग : पप्पी राम ने कहा कि मिट्टी के दीपक व घड़ों को मांग त्योहारी सीजन में अलवर शहर में ही रहती है, लेकिन उनके द्वारा बनाए जा रहे टेराकोटा के आइटम की मांग कई राज्यों में है, जिसमें दिल्ली, जयपुर, मुंबई, केरल, विशाखापट्टनम, एमपी, यूपी अहमदाबाद सहित अन्य राज्य हैं. उन्होंने बताया कि वह मिट्टी से पानी वाला फाउंटेन, गणेश जी, शिव जी की मूर्तियां, स्टैंड, फ्लावर पॉट सहित अन्य सामान बनाते हैं, जिनकी कीमत 50 रुपए से लेकर 800 रुपए तक है.

तीन तरह की मिट्टी से करते हैं सामान तैयार : पप्पी राम ने बताया कि वह टेराकोटा का आइटम मिट्टी से तैयार करते हैं, जिसमें तीन प्रकार की मिट्टी उपयोग में ली जाती है, जिसमें काली मिट्टी, पीली मिट्टी व चिकनी मिट्टी होती है. उन्होंने बताया यह मिट्टी अलवर क्षेत्र से ही मंगाई जाती है. इसके बाद सामान तैयार किया जाता है. उनका कहना है कि आज का युग पढ़ाई का है. इसलिए उनके बच्चे पढ़ाई के क्षेत्र में आगे बढ़े इसलिए, उन्होंने उन्हें इस काम में नहीं लगाया. हालांकि, कभी जरूरत होने पर वे उनके हाथ जरूर बांटते हैं.

अलवर: आमतौर पर कुम्हार वर्ग के लोग मिट्टी से बने दीपक और मटके तैयार कर बाजार में बेचते हैं, लेकिन अलवर के बहाला गांव के एक व्यक्ती ने मिट्टी से ही कुछ अलग आइटम बनाने की सोच रखी और आज वे दिल्ली, यूपी, एमपी, केरल, झारखंड, हैदराबाद, विशाखापट्टनम सहित अन्य राज्यों तक फेमस हो चुके हैं. उनका कहना है कि वह मिट्टी से सैकड़ों तरह आइटम बना सकते हैं. खास बात यह है कि उन्होंने अपने बच्चों को पढ़ाई के क्षेत्र में आगे बढ़ने दिया और कारीगरों के साथ मिलकर वे खुद इस कार्य को आगे बढ़ा रहे हैं.

पिता बनाते थे मटके, बेटे ने ठानी कुछ अलग करने की : मिट्टी के आइटम बनाने वाले शिल्पकार पप्पी राम ने बताया कि जब उन्होंने अपने कार्य की शुरुआत की तब मिट्टी के बर्तन बनाने का कार्य करने वाले कई लोग थे. उनके पिता भी मिट्टी के ही बर्तन बनाते थे. इसलिए उन्होंने इन चीजों को छोड़कर कुछ अलग बनाने की सोची. उन्होंने बताया कि 25 साल पहले उनकी इस सोच ने ही आज उन्हें एक पहचान दिलाई. आज के दौर में मिट्टी के दीपक व घड़े बनाने वाले लोगों का काम सीजन के तौर पर चलता है. वहीं, पप्पी राम का काम पूरे साल भर जारी रहता है. उन्होंने बताया कि वह टेराकोटा के कई तरह के आइटम बड़ी आसानी से तैयार कर लेते हैं.

हुनर को मिल रही पहचान (ETV Bharat Alwar)

इलेक्ट्रिक चाक पर बनाते हैं आइटम : पप्पी राम ने बताया कि जैसे-जैसे समय बदल रहा है, वैसे ही हमने भी टेक्नोलॉजी का उपयोग करना शुरू कर दिया है. कई आइटम हमारे द्वारा इलेक्ट्रॉनिक चाक पर बनाए जाते हैं. इसके लिए वे खुद और चार मजदूर मिलकर इस कार्य को संभालते हैं. उन्होंने बताया कि वे सैकड़ों तरह के आइटम बनाने में सक्षम है. यदि कोई व्यक्ति कोई आइटम बनवाना चाहता है, तो वह उसका मॉडल दिखाकर उसे आसानी से तैयार कर सकते हैं.

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कई राज्यों में टेराकोटा के आइटम की मांग : पप्पी राम ने कहा कि मिट्टी के दीपक व घड़ों को मांग त्योहारी सीजन में अलवर शहर में ही रहती है, लेकिन उनके द्वारा बनाए जा रहे टेराकोटा के आइटम की मांग कई राज्यों में है, जिसमें दिल्ली, जयपुर, मुंबई, केरल, विशाखापट्टनम, एमपी, यूपी अहमदाबाद सहित अन्य राज्य हैं. उन्होंने बताया कि वह मिट्टी से पानी वाला फाउंटेन, गणेश जी, शिव जी की मूर्तियां, स्टैंड, फ्लावर पॉट सहित अन्य सामान बनाते हैं, जिनकी कीमत 50 रुपए से लेकर 800 रुपए तक है.

तीन तरह की मिट्टी से करते हैं सामान तैयार : पप्पी राम ने बताया कि वह टेराकोटा का आइटम मिट्टी से तैयार करते हैं, जिसमें तीन प्रकार की मिट्टी उपयोग में ली जाती है, जिसमें काली मिट्टी, पीली मिट्टी व चिकनी मिट्टी होती है. उन्होंने बताया यह मिट्टी अलवर क्षेत्र से ही मंगाई जाती है. इसके बाद सामान तैयार किया जाता है. उनका कहना है कि आज का युग पढ़ाई का है. इसलिए उनके बच्चे पढ़ाई के क्षेत्र में आगे बढ़े इसलिए, उन्होंने उन्हें इस काम में नहीं लगाया. हालांकि, कभी जरूरत होने पर वे उनके हाथ जरूर बांटते हैं.

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