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RU प्रशासन पर पीएचडी एंट्रेंस की फाइनल लिस्ट में धांधली का आरोप, PAT पर सीनेट में विचार करने की मांग - PhD Admission Test

PAT Controversy, राजस्थान विश्वविद्यालय में सीनेट की विशेष बैठक में सिंडिकेट की ओर पारित अध्यादेशों में परिवर्तन और संशोधन पर विचार किया जाएगा, लेकिन पीएचडी एंट्रेंस के नियमों में बिना सिंडिकेट में फैसला लिए बदलाव कर दिए गए. नए नियमों के आधार पर फाइनल मेरिट लिस्ट जारी कर दी गई, जिसे धांधली बताते हुए छात्रों ने इस विषय को सीनेट में शामिल करने की मांग उठाई है. हालांकि, यूनिवर्सिटी कुलपति ने भर्ती नियमानुसार कराने की बात कही है.

Rajasthan University Administration
राजस्थान विश्वविद्यालय प्रशासन पर आरोप (ETV Bharat Jaipur)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : May 17, 2024, 9:02 PM IST

जयपुर. राजस्थान विश्वविद्यालय में करीब 2 साल बाद हुए पीएचडी एंट्रेंस पर अभी भी विवादों का साया मंडरा रहा है. अभ्यर्थियों ने फाइनल मेरिट लिस्ट में धांधली करते हुए चहेतों को फर्जी प्रवेश देने का आरोप लगाते हुए इसकी शिकायत राष्ट्रीय अनुसूचित आयोग में भी की है. छात्रों का आरोप है कि राजस्थान यूनिवर्सिटी में PAT परीक्षा के लिए एकेडमिक काउंसिल ने यूजीसी गाइडलाइन के तहत 2 जनवरी को कुलपति ने आर्डर जारी किए. जिसके बाद अभ्यर्थियों ने फॉर्म भरे, जिसमें ये नियम निर्धारित था कि लिखित परीक्षा 70% + 30% इंटरव्यू के आधार पर मेरिट सूची जारी की जाएगी, लेकिन फाइनल मेरिट लिस्ट में सभी नियमों को ताक पर रखते हुए मनमर्जी से 30% इंटरव्यू के नियम को लांघकर सीधे फाइनल में बोनस मार्क्स दिए गए.

ऐसे में उन्होंने पूरी प्रवेश प्रक्रिया को नियम विरुद्ध बताया है, साथ ही नियमों का हवाला देते हुए अभ्यर्थियों ने ईमेल के जरिए इसकी शिकायत राष्ट्रीय अनुसूचित आयोग को भी की है. एनएसयूआई के राष्ट्रीय प्रवक्ता रमेश भाटी ने कहा कि यूनिवर्सिटी प्रशासन मनमानी ढंग से पीएचडी एंट्रेंस कर रहा है. फिलहाल, पीएचडी एंट्रेंस देने वाले अधिकतर अभ्यर्थी आरपीएससी की ओर से कराई जा रही असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती परीक्षा में व्यस्त हैं. इस परीक्षा के बाद यूनिवर्सिटी प्रशासन के खिलाफ आंदोलन किया जाएगा. इस दौरान उन्होंने इस विषय को आगामी 23 मई को होने वाली सीनेट की विशेष बैठक में शामिल करने की भी मांग की. वहीं, पीएचडी एंट्रेंस में धांधली के आरोप पर यूनिवर्सिटी कुलपति प्रो. अल्पना कटेजा ने कहा कि ये भर्ती पूरी पारदर्शी तरीके से नियमानुसार कराई गई है.

पढ़ें : PAT विवाद : 'हमने परीक्षा पास की है, साक्षात्कार के लिए बुलाया जाए' के पर्चे कुलपति आवास के बाहर चस्पा - Rajasthan University

आपको बता दें कि सीनेट की इस विशेष बैठक में राजस्थान विश्वविद्यालय में सत्र 2022 की परीक्षा में सफल रहे अभ्यर्थियों को डॉक्टर ऑफ साइंस, डॉक्टर का लिटरेचर और डॉक्टर का फिलासफी की उपाधि देने पर भी विचार किया जाएगा.

जयपुर. राजस्थान विश्वविद्यालय में करीब 2 साल बाद हुए पीएचडी एंट्रेंस पर अभी भी विवादों का साया मंडरा रहा है. अभ्यर्थियों ने फाइनल मेरिट लिस्ट में धांधली करते हुए चहेतों को फर्जी प्रवेश देने का आरोप लगाते हुए इसकी शिकायत राष्ट्रीय अनुसूचित आयोग में भी की है. छात्रों का आरोप है कि राजस्थान यूनिवर्सिटी में PAT परीक्षा के लिए एकेडमिक काउंसिल ने यूजीसी गाइडलाइन के तहत 2 जनवरी को कुलपति ने आर्डर जारी किए. जिसके बाद अभ्यर्थियों ने फॉर्म भरे, जिसमें ये नियम निर्धारित था कि लिखित परीक्षा 70% + 30% इंटरव्यू के आधार पर मेरिट सूची जारी की जाएगी, लेकिन फाइनल मेरिट लिस्ट में सभी नियमों को ताक पर रखते हुए मनमर्जी से 30% इंटरव्यू के नियम को लांघकर सीधे फाइनल में बोनस मार्क्स दिए गए.

ऐसे में उन्होंने पूरी प्रवेश प्रक्रिया को नियम विरुद्ध बताया है, साथ ही नियमों का हवाला देते हुए अभ्यर्थियों ने ईमेल के जरिए इसकी शिकायत राष्ट्रीय अनुसूचित आयोग को भी की है. एनएसयूआई के राष्ट्रीय प्रवक्ता रमेश भाटी ने कहा कि यूनिवर्सिटी प्रशासन मनमानी ढंग से पीएचडी एंट्रेंस कर रहा है. फिलहाल, पीएचडी एंट्रेंस देने वाले अधिकतर अभ्यर्थी आरपीएससी की ओर से कराई जा रही असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती परीक्षा में व्यस्त हैं. इस परीक्षा के बाद यूनिवर्सिटी प्रशासन के खिलाफ आंदोलन किया जाएगा. इस दौरान उन्होंने इस विषय को आगामी 23 मई को होने वाली सीनेट की विशेष बैठक में शामिल करने की भी मांग की. वहीं, पीएचडी एंट्रेंस में धांधली के आरोप पर यूनिवर्सिटी कुलपति प्रो. अल्पना कटेजा ने कहा कि ये भर्ती पूरी पारदर्शी तरीके से नियमानुसार कराई गई है.

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आपको बता दें कि सीनेट की इस विशेष बैठक में राजस्थान विश्वविद्यालय में सत्र 2022 की परीक्षा में सफल रहे अभ्यर्थियों को डॉक्टर ऑफ साइंस, डॉक्टर का लिटरेचर और डॉक्टर का फिलासफी की उपाधि देने पर भी विचार किया जाएगा.

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