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बैनामा निरस्त कराने के लिए सिविल सूट उचित प्रक्रिया, संपत्ति विक्रय में मूल्य भुगतान अनिवार्य नहीं: हाईकोर्ट

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Jan 25, 2024, 10:53 PM IST

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्लॉट सौदे से जुड़ी याचिका पर सुनवाई करते हुए महत्वपूर्ण टिप्पणी की है. कोर्ट ने कहा कि बैनामा निरस्त कराने के लिए सिविल सूट उचित प्रक्रिया है.

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प्रयागराजः इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा है कि किसी संपत्ति के विक्रय का बैनामा निरस्त करने के लिए सिविल कोर्ट में सिविल सूट उचित विकल्प है. यह कहीं से भी यूपी रिवेन्यू कोड द्वारा बाधित नहीं है. साथ ही कोर्ट ने कहा है कि किसी संपत्ति के स्वामित्व का अंतरण किसी मूल्य के भुगतान के बदले में या आंशिक भुगतान या भुगतान के वादे के साथ होना चाहिए. लेकिन यदि भुगतान पूरा नहीं हुआ है और दस्तावेजों की प्रक्रिया पूरी करके उसे रजिस्टर्ड कर लिया गया है. संपत्ति का मूल 100 रुपए से अधिक हो तो विक्रय को पूरा माना जाएगा.

कोर्ट ने खारिज की निगरानी याचिकाः कोर्ट ने कहा कि विक्रय की प्रक्रिया के लिए संपत्ति के स्वामित्व का एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति को स्थानांतरित होना अनिवार्य है. अर्थात प्रॉपर्टी के सभी अधिकार व हित एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति को अंतरित होने चाहिए. अंतरण में संपत्ति के किसी एक हिस्से पर अधिकार या हित को विक्रेता द्वारा अपने पास सुरक्षित नहीं रखा जा सकता. अन्यथा यह विक्रय नहीं होगा. गोरखपुर के सफी अहमद खान की निगरानी याचिक खारिज करते हुए यह आदेश न्यायमूर्ति सरल श्रीवास्तव ने प्रतिवादी पक्ष की ओर से अधिवक्ता वाजिद अली को सुनकर दिया.

याची ने 59 लाख में प्लॉट खरीदने का किया था सौदाः मामले के अनुसार याची ने विपक्षी से अप्रैल 2012 में 59 लाख में एक प्लाट खरीदने का सौदा किया. याची ने प्रतिवादी को 5 लाख रुपए एडवांस दे दिया और शेष राशि विभिन्न चेक के माध्यम से दी. 9 जुलाई 2012 को प्रतिवादी ने सेल डीड रजिस्टर्ड करा दी. लेकिन इसके बाद याची द्वारा दिए गए सभी चेक बाउंस हो गए. प्रतिवादी ने बैनामा निरस्त करने के लिए सिविल कोर्ट में सिविल सूट दाखिल किया. जिस पर याची की ओर से सिविल प्रक्रिया संहिता के आदेश सात नियम 11 के तहत प्रार्थना पत्र देकर कहा गया कि विक्रय की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है. इस स्थिति में प्रतिवादी सिर्फ भूमि के मूल्य की मांग कर सकता है .वह बैनामा निरस्त करने की मांग नहीं कर सकता है. यह भी कहा गया कि सिविल सूट में बैनामा निरस्त नहीं कराया जा सकता है, क्योंकि यह यूपी रिवेन्यू कोड से बाधित है. सिविल कोर्ट ने प्रार्थना पत्र खारिज कर दिया. इसके बाद उसने निगरानी दाखिल की. निगरानी न्यायालय ने भी याची का प्रार्थना पत्र खारिज कर दिया. जिसे हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी.

कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद कहा कि बैनामा निरस्त करने के लिए सिविल सूट उचित प्रक्रिया है. लेकिन संपत्ति का विक्रय पूरा हुआ है या नहीं तथा संपत्ति पर कब्जा किस पक्ष का है. इन तथ्यात्मक प्रश्नों को विचरण न्यायालय में ही सुलझाया जा सकता है. इस निष्कर्ष के साथ कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी.

इसे भी पढ़ें-नाराज पत्नी को वापस लाने के लिए बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पोषणीय नहीं


प्रयागराजः इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा है कि किसी संपत्ति के विक्रय का बैनामा निरस्त करने के लिए सिविल कोर्ट में सिविल सूट उचित विकल्प है. यह कहीं से भी यूपी रिवेन्यू कोड द्वारा बाधित नहीं है. साथ ही कोर्ट ने कहा है कि किसी संपत्ति के स्वामित्व का अंतरण किसी मूल्य के भुगतान के बदले में या आंशिक भुगतान या भुगतान के वादे के साथ होना चाहिए. लेकिन यदि भुगतान पूरा नहीं हुआ है और दस्तावेजों की प्रक्रिया पूरी करके उसे रजिस्टर्ड कर लिया गया है. संपत्ति का मूल 100 रुपए से अधिक हो तो विक्रय को पूरा माना जाएगा.

कोर्ट ने खारिज की निगरानी याचिकाः कोर्ट ने कहा कि विक्रय की प्रक्रिया के लिए संपत्ति के स्वामित्व का एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति को स्थानांतरित होना अनिवार्य है. अर्थात प्रॉपर्टी के सभी अधिकार व हित एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति को अंतरित होने चाहिए. अंतरण में संपत्ति के किसी एक हिस्से पर अधिकार या हित को विक्रेता द्वारा अपने पास सुरक्षित नहीं रखा जा सकता. अन्यथा यह विक्रय नहीं होगा. गोरखपुर के सफी अहमद खान की निगरानी याचिक खारिज करते हुए यह आदेश न्यायमूर्ति सरल श्रीवास्तव ने प्रतिवादी पक्ष की ओर से अधिवक्ता वाजिद अली को सुनकर दिया.

याची ने 59 लाख में प्लॉट खरीदने का किया था सौदाः मामले के अनुसार याची ने विपक्षी से अप्रैल 2012 में 59 लाख में एक प्लाट खरीदने का सौदा किया. याची ने प्रतिवादी को 5 लाख रुपए एडवांस दे दिया और शेष राशि विभिन्न चेक के माध्यम से दी. 9 जुलाई 2012 को प्रतिवादी ने सेल डीड रजिस्टर्ड करा दी. लेकिन इसके बाद याची द्वारा दिए गए सभी चेक बाउंस हो गए. प्रतिवादी ने बैनामा निरस्त करने के लिए सिविल कोर्ट में सिविल सूट दाखिल किया. जिस पर याची की ओर से सिविल प्रक्रिया संहिता के आदेश सात नियम 11 के तहत प्रार्थना पत्र देकर कहा गया कि विक्रय की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है. इस स्थिति में प्रतिवादी सिर्फ भूमि के मूल्य की मांग कर सकता है .वह बैनामा निरस्त करने की मांग नहीं कर सकता है. यह भी कहा गया कि सिविल सूट में बैनामा निरस्त नहीं कराया जा सकता है, क्योंकि यह यूपी रिवेन्यू कोड से बाधित है. सिविल कोर्ट ने प्रार्थना पत्र खारिज कर दिया. इसके बाद उसने निगरानी दाखिल की. निगरानी न्यायालय ने भी याची का प्रार्थना पत्र खारिज कर दिया. जिसे हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी.

कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद कहा कि बैनामा निरस्त करने के लिए सिविल सूट उचित प्रक्रिया है. लेकिन संपत्ति का विक्रय पूरा हुआ है या नहीं तथा संपत्ति पर कब्जा किस पक्ष का है. इन तथ्यात्मक प्रश्नों को विचरण न्यायालय में ही सुलझाया जा सकता है. इस निष्कर्ष के साथ कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी.

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