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एक मुकदमे के आधार पर नहीं लगाया जा सकता गुंडा एक्ट, हाईकोर्ट ने कहा- कानून के दायरे में रह कर अधिकारों का प्रयोग करें अधिकारी

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Mar 14, 2024, 10:11 PM IST

Updated : Mar 14, 2024, 10:47 PM IST

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि सिर्फ एक मुकदमा दर्ज होने के (Allahabad High Court) आधार पर किसी व्यक्ति पर गुंडा एक्ट के तहत कार्रवाई नहीं की जा सकती है. कोर्ट ने कहा कि गुंडा एक्ट लगने के लिए कानूनी प्रावधानों का पालन किया जाना अनिवार्य है.

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प्रयागराज : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में कहा है कि सिर्फ एक मुकदमा दर्ज होने के आधार पर किसी व्यक्ति पर गुंडा एक्ट के तहत कार्रवाई नहीं की जा सकती है. कोर्ट ने कहा कि गुंडा एक्ट लगने के लिए कानूनी प्रावधानों का पालन किया जाना अनिवार्य है. एक्ट के प्रावधानों के अनुसार तथ्यात्मक आरोप के बिना गुंडा एक्ट के तहत भेजा गया नोटिस वैधानिक माना जाएगा. कोर्ट ने गोरखपुर के रवि पर सिर्फ एक मुकदमे के आधार पर गुंडा एक्ट लगने की कार्रवाई को अवैधानिक करार देते हुए रद्द कर दिया है. साथ ही बिना किसी तथ्य के मनमाने तरीके से उसे परेशान करने पर कोर्ट ने राज्य सरकार पर 20 हजार रुपए हर्जाना लगाया है. यह राशि रवि को दी जाएगी.

कार्यप्रणाली की कड़ी निंदा की : रवि की याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति सिद्धार्थ और न्यायमूर्ति विनोद दिवाकर की खंडपीठ ने अपर जिलाधिकारी प्रशासन गोरखपुर की कार्यप्रणाली की भी कड़ी निंदा की. कोर्ट ने कहा कि एडीएम प्रशासन गोरखपुर ने कानूनी प्रावधानों का घोर उल्लंघन करते हुए गुंडा एक्ट की धारा 3 के तहत नोटिस जारी किया. उनका यह कार्य अपने आधिकारिक कर्तव्य के स्वच्छ निर्वहन की अपेक्षा के विपरीत है. कोर्ट ने प्रमुख सचिव गृह को निर्देश दिया है कि वह यह सुनिश्चित करें कि अधिकारी राज्य की शक्तियों का प्रयोग करते समय कानून के दायरे में रहें तथा कानून का उल्लंघन करने वाले अधिकारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाए. कोर्ट ने कहा कि गुंडा एक्ट के प्रावधानों के तहत जारी नोटिस में महत्वपूर्ण और आवश्यक आरोप का उल्लेख किया जाना अनिवार्य है. यदि ऐसा नहीं है तो उसे नोटिस को कानूनी रूप से वैध नहीं माना जाएगा. याची को बिना अनिवार्य कानूनी प्रावधानों का पालन किए बिना नोटिस जारी किया गया है. सिर्फ एक मुकदमे और बीट रिपोर्ट के आधार पर जिसका की पीड़िता ने समर्थन नहीं किया है. इसलिए नोटिस का यह पक्ष की याची आदतन अपराधी है और गवाह अपनी सुरक्षा के डर से उसके खिलाफ साक्ष्य नहीं दे रहे हैं पूरी तरह से गलत है.

यह था मामला : याची रवि के खिलाफ गोरखपुर के खजनी थाने में आईपीसी की धारा 363, 366, 371, 120 बी और पोक्सो एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज कराया गया था. याची के अधिवक्ता का कहना था कि पीड़िता ने मजिस्ट्रेट के समक्ष दिए बयान में कहा है कि उसने याची के साथ सहमति से संबंध बनाए हैं. वह बालिग है और अपनी मर्जी से याची के साथ घर छोड़कर गई है. उसने यह भी कहा कि याची ने उसके साथ कभी जोर जबरदस्ती नहीं की. उसके इसी बयान के आधार पर याची को जमानत मिली है. पीड़िता ने यह भी कहा है कि वह याची के साथ ही रहना चाहती है. इस एक मुकदमे के अलावा उसके खिलाफ कोई अन्य मुकदमा नहीं है. जबकि, गुंडा एक्ट के तहत कार्रवाई करने के लिए व्यक्ति का किसी गैंग का सदस्य होने या आदतन बार-बार अपराध करने का आदी हो होना अनिवार्य है.

20 हजार रुपए का हर्जाना लगाया : कोर्ट ने कहा कि याची पर किसी गैंग का सदस्य होने का आरोप नहीं है. उस पर आदतन अपराध करने या बार-बार अपराध करने का भी आरोप नहीं है. जैसा की गुंडा एक्ट की प्रावधानों के अनुसार होना चाहिए. कोर्ट ने याची को जारी नोटिस और गुंडा एक्ट के तहत की गई कार्रवाई को रद्द करते हुए प्रदेश सरकार पर 20 हजार रुपए का हर्जाना लगाया है.

यह भी पढ़ें : हाईकोर्ट बार चुनाव में तीसरे दिन 50 प्रत्याशियों ने भरे पर्चे

यह भी पढ़ें : High Court का आदेश, गन्ना किसानों को तय समय पर भुगतान किया जाए

प्रयागराज : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में कहा है कि सिर्फ एक मुकदमा दर्ज होने के आधार पर किसी व्यक्ति पर गुंडा एक्ट के तहत कार्रवाई नहीं की जा सकती है. कोर्ट ने कहा कि गुंडा एक्ट लगने के लिए कानूनी प्रावधानों का पालन किया जाना अनिवार्य है. एक्ट के प्रावधानों के अनुसार तथ्यात्मक आरोप के बिना गुंडा एक्ट के तहत भेजा गया नोटिस वैधानिक माना जाएगा. कोर्ट ने गोरखपुर के रवि पर सिर्फ एक मुकदमे के आधार पर गुंडा एक्ट लगने की कार्रवाई को अवैधानिक करार देते हुए रद्द कर दिया है. साथ ही बिना किसी तथ्य के मनमाने तरीके से उसे परेशान करने पर कोर्ट ने राज्य सरकार पर 20 हजार रुपए हर्जाना लगाया है. यह राशि रवि को दी जाएगी.

कार्यप्रणाली की कड़ी निंदा की : रवि की याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति सिद्धार्थ और न्यायमूर्ति विनोद दिवाकर की खंडपीठ ने अपर जिलाधिकारी प्रशासन गोरखपुर की कार्यप्रणाली की भी कड़ी निंदा की. कोर्ट ने कहा कि एडीएम प्रशासन गोरखपुर ने कानूनी प्रावधानों का घोर उल्लंघन करते हुए गुंडा एक्ट की धारा 3 के तहत नोटिस जारी किया. उनका यह कार्य अपने आधिकारिक कर्तव्य के स्वच्छ निर्वहन की अपेक्षा के विपरीत है. कोर्ट ने प्रमुख सचिव गृह को निर्देश दिया है कि वह यह सुनिश्चित करें कि अधिकारी राज्य की शक्तियों का प्रयोग करते समय कानून के दायरे में रहें तथा कानून का उल्लंघन करने वाले अधिकारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाए. कोर्ट ने कहा कि गुंडा एक्ट के प्रावधानों के तहत जारी नोटिस में महत्वपूर्ण और आवश्यक आरोप का उल्लेख किया जाना अनिवार्य है. यदि ऐसा नहीं है तो उसे नोटिस को कानूनी रूप से वैध नहीं माना जाएगा. याची को बिना अनिवार्य कानूनी प्रावधानों का पालन किए बिना नोटिस जारी किया गया है. सिर्फ एक मुकदमे और बीट रिपोर्ट के आधार पर जिसका की पीड़िता ने समर्थन नहीं किया है. इसलिए नोटिस का यह पक्ष की याची आदतन अपराधी है और गवाह अपनी सुरक्षा के डर से उसके खिलाफ साक्ष्य नहीं दे रहे हैं पूरी तरह से गलत है.

यह था मामला : याची रवि के खिलाफ गोरखपुर के खजनी थाने में आईपीसी की धारा 363, 366, 371, 120 बी और पोक्सो एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज कराया गया था. याची के अधिवक्ता का कहना था कि पीड़िता ने मजिस्ट्रेट के समक्ष दिए बयान में कहा है कि उसने याची के साथ सहमति से संबंध बनाए हैं. वह बालिग है और अपनी मर्जी से याची के साथ घर छोड़कर गई है. उसने यह भी कहा कि याची ने उसके साथ कभी जोर जबरदस्ती नहीं की. उसके इसी बयान के आधार पर याची को जमानत मिली है. पीड़िता ने यह भी कहा है कि वह याची के साथ ही रहना चाहती है. इस एक मुकदमे के अलावा उसके खिलाफ कोई अन्य मुकदमा नहीं है. जबकि, गुंडा एक्ट के तहत कार्रवाई करने के लिए व्यक्ति का किसी गैंग का सदस्य होने या आदतन बार-बार अपराध करने का आदी हो होना अनिवार्य है.

20 हजार रुपए का हर्जाना लगाया : कोर्ट ने कहा कि याची पर किसी गैंग का सदस्य होने का आरोप नहीं है. उस पर आदतन अपराध करने या बार-बार अपराध करने का भी आरोप नहीं है. जैसा की गुंडा एक्ट की प्रावधानों के अनुसार होना चाहिए. कोर्ट ने याची को जारी नोटिस और गुंडा एक्ट के तहत की गई कार्रवाई को रद्द करते हुए प्रदेश सरकार पर 20 हजार रुपए का हर्जाना लगाया है.

यह भी पढ़ें : हाईकोर्ट बार चुनाव में तीसरे दिन 50 प्रत्याशियों ने भरे पर्चे

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Last Updated : Mar 14, 2024, 10:47 PM IST
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