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चिकित्सा प्रमाण पत्र सही होने पर स्थानांतरण नहीं निरस्त कर सकते: इलाहाबाद हाईकोर्ट - Allahabad High Court Order - ALLAHABAD HIGH COURT ORDER

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मंगलवार को अपने एक आदेश में कहा कि चिकित्सा प्रमाण पत्र सही होने पर स्थानांतरण नहीं निरस्त कर सकते. यह आदेश बेसिक शिक्षा विभाग में सहायक अध्यापकों के अंतर्जनपदीय स्थानांतरण को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दिया.

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Etv Bharat चिकित्सा प्रमाण पत्र सही होने पर स्थानांतरण नहीं निरस्त कर सकते: हाईकोर्ट
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Apr 23, 2024, 9:45 PM IST

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मंगलवार को बेसिक शिक्षा विभाग में सहायक अध्यापकों के अंतर्जनपदीय स्थानांतरण के मामले में कहा है कि बेसिक शिक्षा परिषद शासन के अधीन अधीनस्थ निकाय होने के कारण शैक्षणिक वर्ष 2023-24 के अंतर्जनपदीय स्थानांतरण के लिए दो जून एवं 29 जून 2023 के शासनादेशों में प्रतिपादित नीति से बाध्य है.

सहायक अध्यापकों के अंतर्जनपदीय स्थानांतरण के लिए आवेदन पत्रों पर विचार करते समय बेसिक शिक्षा अधिकारी या बेसिक शिक्षा परिषद मनमाने तरीके से आवेदन या स्थानांतरण निरस्त नहीं कर सकते. न ही रिलीव हो चुकी शिक्षिका को ज्वाइन कराने से मना कर सकते हैं. यह महत्वपूर्ण टिप्पणी न्यायमूर्ति एम सी त्रिपाठी एवं न्यायमूर्ति अनीस कुमार गुप्ता की खंडपीठ ने शाहजहांपुर में तैनात सहायक अध्यापिका खुशबू चौधरी की अपील पर उनके अधिवक्ता रजत ऐरन एवं राजकुमार सिंह को सुनकर की.

सहायक अध्यापिका के अधिवक्ता द्वय ने एकल पीठ एवं सचिव बेसिक शिक्षा परिषद के आदेशों को चुनौती देते हुए अपनी बहस में कहा कि अपीलार्थी ने अपने तीन वर्षीय बेटे के हृदय की असाध्य बीमारी से पीड़ित होने के कारण याची दो जून 2023 के शासनादेश के तहत शाहजहांपुर से अमरोहा अंतर्जनपदीय स्थानांतरण के लिए आवेदन किया था. इसे स्वीकार करते हुए याची अपीलार्थी को अमरोहा के लिए कार्यमुक्त भी कर दिया गया, लेकिन बीएसए अमरोहा ने उसे चार माह तक अकारण ज्वाइन नहीं कराया.

इसके बाद सचिव बेसिक शिक्षा परिषद ने 16 जनवरी 2024 को अपीलार्थी का स्थानांतरण इस आधार पर निरस्त कर दिया कि उसके बेटे के मेरठ मेडिकल कॉलेज एवं सीएमओ शाहजहांपुर द्वारा जारी चिकित्सा प्रमाण पत्र पर सीएमओ की मोहर नहीं लगी है. एडवोकेट रजत ऐरन ने दलील दी कि केवल 29 जून 2023 के शासनादेश में निहित आधारों पर ही अपीलार्थी का स्थानांतरण निरस्त किया जा सकता है. अपीलार्थी पर फर्जी या कूटरचित मेडिकल दस्तावेज जमा करने का कोई आरोप नहीं है. एकल पीठ ने भी अध्यापिका का प्रकरण सही पाया, लेकिन किसी प्रकार की राहत नहीं दी.

लगभग आठ माह से सेवा न कर पा रही सहायक अध्यापिका को राहत देते हुए खंडपीठ ने लक्ष्मी शुक्ला मामले के फैसले का हवाला देते हुए बीएसए अमरोहा, सचिव बेसिक शिक्षा परिषद एवं एकल पीठ के आदेशों को रद्द करते हुए दो सप्ताह के अंदर अध्यापिका के प्रकरण पर पुनर्विचार करते हुए स्थानांतरण आदेश करने का निर्देश दिया.

ये भी पढ़ें- स्मृति ईरानी बोलीं, मोदी श्रीराम, हमें हनुमान बनकर कांग्रेस की लंका जला डालनी है

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मंगलवार को बेसिक शिक्षा विभाग में सहायक अध्यापकों के अंतर्जनपदीय स्थानांतरण के मामले में कहा है कि बेसिक शिक्षा परिषद शासन के अधीन अधीनस्थ निकाय होने के कारण शैक्षणिक वर्ष 2023-24 के अंतर्जनपदीय स्थानांतरण के लिए दो जून एवं 29 जून 2023 के शासनादेशों में प्रतिपादित नीति से बाध्य है.

सहायक अध्यापकों के अंतर्जनपदीय स्थानांतरण के लिए आवेदन पत्रों पर विचार करते समय बेसिक शिक्षा अधिकारी या बेसिक शिक्षा परिषद मनमाने तरीके से आवेदन या स्थानांतरण निरस्त नहीं कर सकते. न ही रिलीव हो चुकी शिक्षिका को ज्वाइन कराने से मना कर सकते हैं. यह महत्वपूर्ण टिप्पणी न्यायमूर्ति एम सी त्रिपाठी एवं न्यायमूर्ति अनीस कुमार गुप्ता की खंडपीठ ने शाहजहांपुर में तैनात सहायक अध्यापिका खुशबू चौधरी की अपील पर उनके अधिवक्ता रजत ऐरन एवं राजकुमार सिंह को सुनकर की.

सहायक अध्यापिका के अधिवक्ता द्वय ने एकल पीठ एवं सचिव बेसिक शिक्षा परिषद के आदेशों को चुनौती देते हुए अपनी बहस में कहा कि अपीलार्थी ने अपने तीन वर्षीय बेटे के हृदय की असाध्य बीमारी से पीड़ित होने के कारण याची दो जून 2023 के शासनादेश के तहत शाहजहांपुर से अमरोहा अंतर्जनपदीय स्थानांतरण के लिए आवेदन किया था. इसे स्वीकार करते हुए याची अपीलार्थी को अमरोहा के लिए कार्यमुक्त भी कर दिया गया, लेकिन बीएसए अमरोहा ने उसे चार माह तक अकारण ज्वाइन नहीं कराया.

इसके बाद सचिव बेसिक शिक्षा परिषद ने 16 जनवरी 2024 को अपीलार्थी का स्थानांतरण इस आधार पर निरस्त कर दिया कि उसके बेटे के मेरठ मेडिकल कॉलेज एवं सीएमओ शाहजहांपुर द्वारा जारी चिकित्सा प्रमाण पत्र पर सीएमओ की मोहर नहीं लगी है. एडवोकेट रजत ऐरन ने दलील दी कि केवल 29 जून 2023 के शासनादेश में निहित आधारों पर ही अपीलार्थी का स्थानांतरण निरस्त किया जा सकता है. अपीलार्थी पर फर्जी या कूटरचित मेडिकल दस्तावेज जमा करने का कोई आरोप नहीं है. एकल पीठ ने भी अध्यापिका का प्रकरण सही पाया, लेकिन किसी प्रकार की राहत नहीं दी.

लगभग आठ माह से सेवा न कर पा रही सहायक अध्यापिका को राहत देते हुए खंडपीठ ने लक्ष्मी शुक्ला मामले के फैसले का हवाला देते हुए बीएसए अमरोहा, सचिव बेसिक शिक्षा परिषद एवं एकल पीठ के आदेशों को रद्द करते हुए दो सप्ताह के अंदर अध्यापिका के प्रकरण पर पुनर्विचार करते हुए स्थानांतरण आदेश करने का निर्देश दिया.

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