ETV Bharat / state

हाईकोर्ट ने फैमिली कोर्ट के आदेश पर लगाई रोक, पत्नी पर व्यभिचार का आरोप तय किए बगैर अंतरिम गुजारा भत्ता नहीं - HIGH COURT ORDER

High Court Order : हाईकोर्ट ने पति की अर्जी को विचारणीय माना. पत्नी को नोटिस जारी कर तीन सप्ताह में जवाब मांगा है.

हाईकोर्ट का आर्डर.
हाईकोर्ट का आर्डर. (Photo Credit : ETV Bharat)
author img

By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Oct 30, 2024, 10:53 PM IST

प्रयागराज : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि सीआरपीसी की धारा 125 (4) के तहत पति द्वारा पत्नी पर व्यभिचार में लिप्त रहने का आरोप है तो फैमिली कोर्ट पहले इस मुद्दे को तय करेगी. इस पर निष्कर्ष के बाद ही वह गुजारा भत्ता देने का आदेश दे सकती है. कोर्ट ने कहा कि अपर प्रधान पारिवारिक न्यायाधीश फिरोजाबाद के पत्नी को सात हजार अंतरिम गुजारा भत्ता देने के आदेश में व्यभिचार का मुद्दा तय नहीं किया गया है. इसी के कोर्ट ने अंतरिम गुजारा भत्ता देने के फैमिली कोर्ट के आदेश के क्रियान्वयन पर रोक लगा दी है और पत्नी को नोटिस जारी कर तीन सप्ताह में जवाब मांगा है.

यह आदेश न्यायमूर्ति मंजीव शुक्ल ने पति की अर्जी की सुनवाई करते हुए दिया है. अर्जी में फैमिली कोर्ट फिरोजाबाद के 13 अप्रैल 2023 के अंतरिम आदेश को चुनौती दी गई है. याची का कहना है कि सीआरपीसी की धारा 125 की पत्नी की अर्जी पर आपत्ति में पति ने उस पर व्यभिचार में रहने का आरोप लगाया, लेकिन फैमिली कोर्ट ने इसे तय नहीं किया और गुजारा भत्ता देने का आदेश दिया है. याची का कहना है कि सीआरपीसी की धारा 125 (4) के अनुसार आपत्ति तय किए बिना फैमिली कोर्ट को गुजारा भत्ता देने का आदेश देने का अधिकार नहीं है. हाईकोर्ट ने मुद्दा विचारणीय माना है.

प्रयागराज : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि सीआरपीसी की धारा 125 (4) के तहत पति द्वारा पत्नी पर व्यभिचार में लिप्त रहने का आरोप है तो फैमिली कोर्ट पहले इस मुद्दे को तय करेगी. इस पर निष्कर्ष के बाद ही वह गुजारा भत्ता देने का आदेश दे सकती है. कोर्ट ने कहा कि अपर प्रधान पारिवारिक न्यायाधीश फिरोजाबाद के पत्नी को सात हजार अंतरिम गुजारा भत्ता देने के आदेश में व्यभिचार का मुद्दा तय नहीं किया गया है. इसी के कोर्ट ने अंतरिम गुजारा भत्ता देने के फैमिली कोर्ट के आदेश के क्रियान्वयन पर रोक लगा दी है और पत्नी को नोटिस जारी कर तीन सप्ताह में जवाब मांगा है.

यह आदेश न्यायमूर्ति मंजीव शुक्ल ने पति की अर्जी की सुनवाई करते हुए दिया है. अर्जी में फैमिली कोर्ट फिरोजाबाद के 13 अप्रैल 2023 के अंतरिम आदेश को चुनौती दी गई है. याची का कहना है कि सीआरपीसी की धारा 125 की पत्नी की अर्जी पर आपत्ति में पति ने उस पर व्यभिचार में रहने का आरोप लगाया, लेकिन फैमिली कोर्ट ने इसे तय नहीं किया और गुजारा भत्ता देने का आदेश दिया है. याची का कहना है कि सीआरपीसी की धारा 125 (4) के अनुसार आपत्ति तय किए बिना फैमिली कोर्ट को गुजारा भत्ता देने का आदेश देने का अधिकार नहीं है. हाईकोर्ट ने मुद्दा विचारणीय माना है.

यह भी पढ़ें : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा- टीचरों का स्कूल से गायब रहना शिक्षा के लिए अभिशाप

यह भी पढ़ें : बच्चे न होने पर पत्नी ने कर ली खुदकुशी, हाईकोर्ट का आदेश-पति के पौरुष की जांच हो

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.