लखनऊ: इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ( Allahabad High Court Lucknow Bench) ने अकबर नगर एक व दो के झुग्गीवासी कब्जेदारों याचिकाओं को अंतिम रूप से निस्तारित करते हुए, आदेश दिया है कि वे 31 मार्च 2024 की मध्य रात्रि तक विवादित परिसरों को खाली कर दें. न्यायालय ने उक्त निवासियों को बड़ी राहत देते हुए, यह भी आदेश दिया है कि एलडीए द्वारा गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने वाले (बीपीएल) कब्जेदारों के लिए लाई गई पुनर्वास योजना का लाभ सभी झुग्गीवासियों को दिया जाए.
न्यायालय ने स्पष्ट करते हुए कहा है कि गरीबी रेखा के नीचे आने वाले निवासियों के साथ-साथ अकबर नगर का कोई भी विस्थापित ईडब्ल्यूएस के फ्लैट्स के लिए आवेदन कर सकता है. न्यायालय के इस आदेश का लाभ उन विस्थापितों को भी मिलेगा जिन्होंने हाईकोर्ट में याचिका अथवा हस्तक्षेप प्रार्थना पत्र नहीं दाखिल किया है. यह आदेश न्यायमूर्ति विवेक चौधरी व न्यायमूर्ति ओम प्रकाश शुक्ला की खंडपीठ ने अकबर नगर के सैकड़ों निवासियों की ओर से दाखिल कुल 74 याचिकाओं पर पारित किया है. उल्लेखनीय है कि 27 फरवरी को आयकर और जीएसटी भरने वाले अकबर नगर के कई कब्जेदारों को झुग्गीवासी न मानते हुए, न्यायालय ने उनकी याचिकाएं खारिज कर दी थीं.
वर्तमान याचियों को झुग्गीवासी मानते हुए न्यायालय ने अपने आदेश में कहा कि एलडीए पहले से ही बीपीएल श्रेणी के कब्जेदारों के पुनर्वास के लिए ईडब्ल्यूएस फ्लैट्स दे रही है जिनका बाजार मूल्य प्रति फ्लैट 15 लाख रुपये है, हालांकि इसे पीएम आवास योजना के तहत महज चार लाख 18 हजार रुपये में दिया जा रहा है और इसके आवेदन के लिए पाँच हजार रुपये का पंजीकरण शुल्क लिया जा रहा है. न्यायालय ने पाया कि फ्लैट की कीमत दस सालों में चार हजार रुपये प्रतिमाह की किश्तें अदा कर चुकानी होंगी.
हालांकि कुछ याचियों की ओर से अधिवक्ता गौरव मेहरोत्रा ने दलील दी कि बीपीएल श्रेणी के लोगों के अलावा वहाँ ऐसे भी लोग हैं जो भले ही बीपीएल में न आते हों लेकिन उनकी आर्थिक स्थिति इतनी भी अच्छी नहीं है कि वे ईडब्ल्यूएस से बेहतर फ्लैट खरीद सकें.न्यायालय ने इस पर सहमति जताते हुए, आदेश दिया कि अकबर नगर का कोई भी विस्थापित एलडीए की उक्त पुनर्वास योजना के तहत फ्लैट के लिए आवेदन दे सकता है और पंजीकरण शुल्क के तौर पर पाँच हजार रुपये के बजाय एक हजार रुपये ही देने होंगे.
वहीं न्यायालय ने यह भी राहत दी कि दस साल में किश्तें न चुका पाने पर अगले पाँच साल का और समय दिया जाएगा, इसके बावजूद किश्तें न चुका पाने पर मुख्यमंत्री को सम्बंधित व्यक्ति आवेदन दे सकेंगे. न्यायालय ने मुख्यमंत्री को भी आदेश दिया है कि ऐसा आवेदन मिलने पर वह मुख्यमंत्री लाभार्थी कोष अथवा ऐसी किसी अन्य योजना के तहत विचार करेंगे व वास्तविक जरूरतमन्द को राहत देंगे.