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कचहरी की हड़ताल पर इलाहाबाद हाईकोर्ट का आदेश, प्रस्ताव को न्यायिक अधिकारियों में सर्कुलेट करने पर रोक, शोकसभा 3.30 बजे से करने को कहा - allahabad high court

कचहरी की हड़ताल के प्रस्ताव को न्यायिक अधिकारियों में सर्कुलेट करने पर इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने रोक लगाई है. चलिए जानते हैं इस आदेश के बारे में.

allahabad high court judgement order ban on circulating strike proposal among judicial officers in hindi
हाईकोर्ट ने दिया अहम आदेश. (photo credit: etv bharat archive)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Sep 30, 2024, 6:48 AM IST

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने जिला न्यायालयों में बार एसोसिएशन द्वारा आए दिन हड़ताल पर चिंता व्यक्त करते हुए प्रदेश के सभी जिला जजों को निर्देश दिया है कि बार एसोसिएशन (Bar Association) के हड़ताल के प्रस्ताव को न्यायिक अधिकारियों में सर्कुलेट न करें. साथ ही बार एसोसिएशनों से उम्मीद जताई है कि वे अदालती कामकाज सुचारू रूप से चलने देने में सहयोग करेंगे। कोर्ट ने कहा कि वैसे ही अदालतें मुकदमों के भारी बोझ से दबी हैं, हड़ताल इसे और बढ़ा ही रही है.

शोकसभा प्रस्ताव 3.30 बजे के बादः कोर्ट ने कहा कि अधिवक्ता के निधन पर शोक सभा के लिए बार कौंसिल के प्रस्ताव साढ़े तीन बजे से करने का पालन करें ताकि अदालती कामकाज प्रभावित न हो सके. यह आदेश न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार मिश्र एवं न्यायमूर्ति डॉ गौतम चौधरी की खंडपीठ ने जिला अधिवक्ता संघ प्रयागराज के खिलाफ चल रही अवमानना कार्यवाही की सुनवाई करते हुए दिया है.

हड़ताल के दुष्परिणाम बताएः गौतमबुद्धनगर व गाजियाबाद के अधिवक्ता केआर चित्रा व सत्यकेतु सिंह ने कोर्ट को आए दिन वकीलों की हड़ताल के दुष्परिणामों की जानकारी दी. कहा कि अधिकतर वकील काम करना चाहते हैं लेकिन कुछ वकील अपने वैधानिक व्यावसायिक दायित्व निभाने की बजाय हड़ताल कराते हैं और वकीलों व वादकारियों को परेशान करते हैं. उन्होंने बताया कि जिला जज हड़ताल के प्रस्ताव को सभी न्यायिक अधिकारियों में सर्कुलेट करते हैं, जिससे अदालतें कार्य से विरत हो जाती हैं.

बार कौंसिल ने भी हड़ताल को सही नहीं मानाः कोर्ट ने कहा कि पहले ही कैप्टन हरीश उप्पल केस में सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन करने का निर्देश दिया गया है. साफ कहा गया है कि हड़ताल करने पर जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. बार कौंसिल ने भी हड़ताल को सही नहीं माना और शोकसभा साढ़े तीन बजे करने का प्रस्ताव दिया है. इसके बावजूद 10 बजे शोक प्रस्ताव पास कर अदालती कामकाज रोका जा रहा है.

हड़ताल को लेकर पेश की रिपोर्टः हाईकोर्ट के अधिवक्ता सुधीर मेहरोत्रा ने जिला न्यायालयों की हड़ताल को लेकर रिपोर्ट पेश की. बार काउंसिल ऑफ इंडिया की ओर से गिरधर द्विवेदी व यूपी बार कौंसिल के अधिवक्ता अशोक त्रिपाठी व वरिष्ठ अधिवक्ता ने पक्ष रखा. कोर्ट ने वकीलों से कहा कि हड़ताल न कर वकालत व्यवसाय के गौरव को बहाल करें. हड़ताल से नागरिकों में न्यायिक तंत्र को लेकर सवाल उठ रहे हैं.

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ये भी पढ़ेंः हाईकोर्ट में पेश हुआ चाइनीज लहसुन, जज ने सरकार-प्रशासन से पूछा, जब बैन है तो कैसे बिक रहा?

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने जिला न्यायालयों में बार एसोसिएशन द्वारा आए दिन हड़ताल पर चिंता व्यक्त करते हुए प्रदेश के सभी जिला जजों को निर्देश दिया है कि बार एसोसिएशन (Bar Association) के हड़ताल के प्रस्ताव को न्यायिक अधिकारियों में सर्कुलेट न करें. साथ ही बार एसोसिएशनों से उम्मीद जताई है कि वे अदालती कामकाज सुचारू रूप से चलने देने में सहयोग करेंगे। कोर्ट ने कहा कि वैसे ही अदालतें मुकदमों के भारी बोझ से दबी हैं, हड़ताल इसे और बढ़ा ही रही है.

शोकसभा प्रस्ताव 3.30 बजे के बादः कोर्ट ने कहा कि अधिवक्ता के निधन पर शोक सभा के लिए बार कौंसिल के प्रस्ताव साढ़े तीन बजे से करने का पालन करें ताकि अदालती कामकाज प्रभावित न हो सके. यह आदेश न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार मिश्र एवं न्यायमूर्ति डॉ गौतम चौधरी की खंडपीठ ने जिला अधिवक्ता संघ प्रयागराज के खिलाफ चल रही अवमानना कार्यवाही की सुनवाई करते हुए दिया है.

हड़ताल के दुष्परिणाम बताएः गौतमबुद्धनगर व गाजियाबाद के अधिवक्ता केआर चित्रा व सत्यकेतु सिंह ने कोर्ट को आए दिन वकीलों की हड़ताल के दुष्परिणामों की जानकारी दी. कहा कि अधिकतर वकील काम करना चाहते हैं लेकिन कुछ वकील अपने वैधानिक व्यावसायिक दायित्व निभाने की बजाय हड़ताल कराते हैं और वकीलों व वादकारियों को परेशान करते हैं. उन्होंने बताया कि जिला जज हड़ताल के प्रस्ताव को सभी न्यायिक अधिकारियों में सर्कुलेट करते हैं, जिससे अदालतें कार्य से विरत हो जाती हैं.

बार कौंसिल ने भी हड़ताल को सही नहीं मानाः कोर्ट ने कहा कि पहले ही कैप्टन हरीश उप्पल केस में सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन करने का निर्देश दिया गया है. साफ कहा गया है कि हड़ताल करने पर जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. बार कौंसिल ने भी हड़ताल को सही नहीं माना और शोकसभा साढ़े तीन बजे करने का प्रस्ताव दिया है. इसके बावजूद 10 बजे शोक प्रस्ताव पास कर अदालती कामकाज रोका जा रहा है.

हड़ताल को लेकर पेश की रिपोर्टः हाईकोर्ट के अधिवक्ता सुधीर मेहरोत्रा ने जिला न्यायालयों की हड़ताल को लेकर रिपोर्ट पेश की. बार काउंसिल ऑफ इंडिया की ओर से गिरधर द्विवेदी व यूपी बार कौंसिल के अधिवक्ता अशोक त्रिपाठी व वरिष्ठ अधिवक्ता ने पक्ष रखा. कोर्ट ने वकीलों से कहा कि हड़ताल न कर वकालत व्यवसाय के गौरव को बहाल करें. हड़ताल से नागरिकों में न्यायिक तंत्र को लेकर सवाल उठ रहे हैं.

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