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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने फौजदारी अदालतों में NSTES लागू करने के दिए आदेश - ALLAHABAD HIGH COURT

कोर्ट ने कहा- अदालती आदेशों के अमल में लापरवाही बरतने वाले पुलिसकर्मियों के खिलाफ होगी कड़ी कार्रवाई.

इलाहाबाद हाईकोर्ट
इलाहाबाद हाईकोर्ट (Photo Credit; ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Jan 3, 2025, 11:54 AM IST

प्रयागराज : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने फौजदारी अदालतों में नेशनल सर्विस एवं ट्रैकिंग इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम (NSTES) लागू कर अदालत से जारी सम्मन, वारंट व कुर्की आदेशों का समय से तामील कराने के आदेश दिए. प्रदेश की न्याय व्यवस्था को चुस्त-दुरुस्त करने के लिए हाईकोर्ट ने यह आदेश दिए.

कोर्ट ने कहा कि अदालती आदेशों के अमल में लापरवाही बरतने वाले पुलिसकर्मियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी. इसके लिए न्यायिक अधिकारी सम्मन, वारंट आदेश तामील कराने के लिए सीधे एसपी, एसएसपी व पुलिस कमिश्नर को लिखें और हाईकोर्ट को रिपोर्ट करें. कोई भी पीठासीन न्यायिक अधिकारी लापरवाह पुलिस अधिकारियों पर कार्रवाई के लिए डीजीपी या मुख्य सचिव को पत्र न लिखें. वे हाईकोर्ट को रिपोर्ट करें, जो कड़ी कार्रवाई करेगा.

कोर्ट ने शुरुआती दौर में लखनऊ, गाजियाबाद व मेरठ को पायलट प्रोजेक्ट में शामिल कर एनएसटीईपी सिस्टम लागू करने और फिर क्रमवार पूरे प्रदेश की फौजदारी अदालतों में इसे लागू करने का निर्देश दिया है. कोर्ट ने कहा कि पीठासीन अधिकारी आदेश पर अमल न करने वाले उच्च अधिकारियों को कारण बताओ नोटिस जारी करें. साथ ही आदेश जारी होने के बाद की स्थिति का आर्डर शीट में संक्षिप्त विवरण दर्ज किया जाए.

कोर्ट ने एनआईसी के डिप्टी डायरेक्टर जनरल, एडीजी तकनीकी सेवाएंव सीपीसी को तलब किया है. इसके अलावा महानिबंधक को कॉपी सभी जिला जजों को अनुपालन के लिए भेजने का निर्देश दिया है. आदेश की प्रति डीजीपी, एनआईसी, एडीजी तकनीकी सेवाएं व डायरेक्टर न्यायिक प्रशिक्षण एवं शोध संस्थान को भी भेजने को कहा है.

कोर्ट ने डीजीपी से सम्मन, वारंट आदेश तामील कराने के लिए उठाए गए कदमों के साथ व्यक्तिगत हलफनामा मांगा है. यह आदेश न्यायमूर्ति अरुण कुमार सिंह सिंह देशवाल ने रामपुर के सचिन की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया है.

कोर्ट ने पीठासीन अधिकारियों को प्रासेस फीस जमा न करने की स्थिति में मुकदमा खारिज करने का भी आदेश दिया है और कहा कि मामले को लंबे समय तक लंबित न रखा जाए.

याचिका में चेक बाउंस के मुकदमे के शीघ्र निस्तारण की मांग की गई है. याची का कहना है कि सम्मन, वारंट व अन्य प्रक्रिया अपनाने के बावजूद पुलिस की लापरवाही से आरोपी हाजिर नहीं हो रहा है. इस पर कोर्ट ने कई बार डीजीपी सहित जिम्मेदार अधिकारियों को तलब किया. अधिकारियों ने कहा कि सिस्टम लागू करने से ही समस्या का हल निकलेगा. कोर्ट आदेश सम्मन, वारंट आदि तामील कराने के लिए कई सर्कुलर जारी किए गए हैं, जिसमें पुलिस के साथ कोर्ट स्टाफ की कमी के कारण ठीक से अमल नहीं किया जा रहा है.

पुलिस के पास क्राइम एंड क्रिमिनल ट्रैकिंग नेटवर्क है. क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम पोर्टल है. यदि एनआईसी इनकी खामियां दुरुस्त कर दे तो सिस्टम ठीक से काम करने लगेगा और आदेश का समय से निष्पादन होने लगेगा. यह भी बताया कि हर जिले में न्यायिक सम्मन सेल गठित किया गया है. जिसमें 800 पुलिसकर्मियों की तैनाती की गई है. लापरवाह पुलिसकर्मियों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी. तीन संस्थानों के अधिकारियों की बैठक के बाद कोर्ट को बताया गया कि कुछ जिलों को पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर शामिल किया गया है. मेरठ में सिस्टम काम कर रहा है.

इस पर कोर्ट ने तीनों जिलों को शामिल कर उसके बाद धीरे-धीरे पूरे प्रदेश में लागू करने का आदेश दिया. कहा कि न्यायिक अधिकारियों को प्रशिक्षित भी किया जाए. कोर्ट ने कहा कि सभी आपराधिक अदालतें प्रासेस रजिस्टर रखें, जिसमें सम्मन वारंट आदि जारी करने, तामील होने या वापस होने की स्थिति दर्ज की जाए.

यह भी पढ़ें: हाईकोर्ट ने हमाम तोड़ने पर लगाई रोक, पुलिस कमिश्नर को दिए सुरक्षा के निर्देश, 27 जनवरी को अलगी सुनवाई

यह भी पढ़ें: टीजीटी 2013 भर्ती: निदेशक ने HC में दाखिल किया हलफनामा, कहा- नियुक्ति देना चयन बोर्ड का काम

प्रयागराज : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने फौजदारी अदालतों में नेशनल सर्विस एवं ट्रैकिंग इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम (NSTES) लागू कर अदालत से जारी सम्मन, वारंट व कुर्की आदेशों का समय से तामील कराने के आदेश दिए. प्रदेश की न्याय व्यवस्था को चुस्त-दुरुस्त करने के लिए हाईकोर्ट ने यह आदेश दिए.

कोर्ट ने कहा कि अदालती आदेशों के अमल में लापरवाही बरतने वाले पुलिसकर्मियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी. इसके लिए न्यायिक अधिकारी सम्मन, वारंट आदेश तामील कराने के लिए सीधे एसपी, एसएसपी व पुलिस कमिश्नर को लिखें और हाईकोर्ट को रिपोर्ट करें. कोई भी पीठासीन न्यायिक अधिकारी लापरवाह पुलिस अधिकारियों पर कार्रवाई के लिए डीजीपी या मुख्य सचिव को पत्र न लिखें. वे हाईकोर्ट को रिपोर्ट करें, जो कड़ी कार्रवाई करेगा.

कोर्ट ने शुरुआती दौर में लखनऊ, गाजियाबाद व मेरठ को पायलट प्रोजेक्ट में शामिल कर एनएसटीईपी सिस्टम लागू करने और फिर क्रमवार पूरे प्रदेश की फौजदारी अदालतों में इसे लागू करने का निर्देश दिया है. कोर्ट ने कहा कि पीठासीन अधिकारी आदेश पर अमल न करने वाले उच्च अधिकारियों को कारण बताओ नोटिस जारी करें. साथ ही आदेश जारी होने के बाद की स्थिति का आर्डर शीट में संक्षिप्त विवरण दर्ज किया जाए.

कोर्ट ने एनआईसी के डिप्टी डायरेक्टर जनरल, एडीजी तकनीकी सेवाएंव सीपीसी को तलब किया है. इसके अलावा महानिबंधक को कॉपी सभी जिला जजों को अनुपालन के लिए भेजने का निर्देश दिया है. आदेश की प्रति डीजीपी, एनआईसी, एडीजी तकनीकी सेवाएं व डायरेक्टर न्यायिक प्रशिक्षण एवं शोध संस्थान को भी भेजने को कहा है.

कोर्ट ने डीजीपी से सम्मन, वारंट आदेश तामील कराने के लिए उठाए गए कदमों के साथ व्यक्तिगत हलफनामा मांगा है. यह आदेश न्यायमूर्ति अरुण कुमार सिंह सिंह देशवाल ने रामपुर के सचिन की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया है.

कोर्ट ने पीठासीन अधिकारियों को प्रासेस फीस जमा न करने की स्थिति में मुकदमा खारिज करने का भी आदेश दिया है और कहा कि मामले को लंबे समय तक लंबित न रखा जाए.

याचिका में चेक बाउंस के मुकदमे के शीघ्र निस्तारण की मांग की गई है. याची का कहना है कि सम्मन, वारंट व अन्य प्रक्रिया अपनाने के बावजूद पुलिस की लापरवाही से आरोपी हाजिर नहीं हो रहा है. इस पर कोर्ट ने कई बार डीजीपी सहित जिम्मेदार अधिकारियों को तलब किया. अधिकारियों ने कहा कि सिस्टम लागू करने से ही समस्या का हल निकलेगा. कोर्ट आदेश सम्मन, वारंट आदि तामील कराने के लिए कई सर्कुलर जारी किए गए हैं, जिसमें पुलिस के साथ कोर्ट स्टाफ की कमी के कारण ठीक से अमल नहीं किया जा रहा है.

पुलिस के पास क्राइम एंड क्रिमिनल ट्रैकिंग नेटवर्क है. क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम पोर्टल है. यदि एनआईसी इनकी खामियां दुरुस्त कर दे तो सिस्टम ठीक से काम करने लगेगा और आदेश का समय से निष्पादन होने लगेगा. यह भी बताया कि हर जिले में न्यायिक सम्मन सेल गठित किया गया है. जिसमें 800 पुलिसकर्मियों की तैनाती की गई है. लापरवाह पुलिसकर्मियों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी. तीन संस्थानों के अधिकारियों की बैठक के बाद कोर्ट को बताया गया कि कुछ जिलों को पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर शामिल किया गया है. मेरठ में सिस्टम काम कर रहा है.

इस पर कोर्ट ने तीनों जिलों को शामिल कर उसके बाद धीरे-धीरे पूरे प्रदेश में लागू करने का आदेश दिया. कहा कि न्यायिक अधिकारियों को प्रशिक्षित भी किया जाए. कोर्ट ने कहा कि सभी आपराधिक अदालतें प्रासेस रजिस्टर रखें, जिसमें सम्मन वारंट आदि जारी करने, तामील होने या वापस होने की स्थिति दर्ज की जाए.

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