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असिस्टेंट प्रोफेसर नियुक्ति के अभ्यर्थी शैक्षणिक अनुभव का लाभ पाने के हकदार - असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती

इलाहाबाद हाई कोर्ट (Allahabad High Court) ने यूजीसी रेगुलेशन के आधार (UGC regulation unfair) पर असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती के अभ्यर्थियों को शैक्षणिक अनुभव का लाभ नहीं देने के निर्णय को अनुचित माना है. कोर्ट ने कहा, यूजीसी रेगुलेशन की टेबल 3ए (7) के तहत शैक्षणिक अनुभव का लाभ दें.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Jan 20, 2024, 10:27 PM IST

प्रयागराज: इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा है कि असिस्टेंट प्रोफेसर नियुक्ति में शामिल अभ्यर्थी शैक्षणिक अनुभव का लाभ पाने के हकदार है. उनको यूजीसी रेगुलेशन की धारा 10 (f)(3) के आधार पर शैक्षणिक अनुभव का लाभ न दिया जाना उचित नहीं है. कोर्ट ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से कहा है कि वह भविष्य में होने वाली नियुक्तियों में अभ्यर्थियों को साक्षात्कार के लिए शार्ट लिस्ट करते समय यूजीसी रेगुलेशन की टेबल 3ए (7) के तहत शैक्षणिक अनुभव का लाभ दें. गीतांजलि तिवारी सहित दर्जनों अभ्यर्थियों की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश न्यायमूर्ति अश्विनी कुमार मिश्रा और न्यायमूर्ति आशुतोष श्रीवास्तव की खंडपीठ ने दिया है.

याचीगण का कहना था कि उन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय द्वारा जारी विज्ञापन के तहत असिस्टेंट प्रोफेसर पद पर नियुक्ति के लिए आवेदन किया था. सभी याची नियुक्ति हेतु आवश्यक आहर्ताएं पूरी करते हैं. इसके बावजूद साक्षात्कार के लिए बुलाए जाने वाले अभ्यर्थियों को शॉर्ट लिस्ट करते समय उनका नाम उसमें शामिल नहीं किया गया. ऐसा इसलिए हुआ, क्योंकि अभ्यर्थियों को उनके शैक्षणिक अनुभव के लिए अंक नहीं दिए गए. जबकि रेगुलेशन की टेबल 3ए के क्लाज 7 में शैक्षणिक अनुभव के लिए प्रतिवर्ष दो अंक मिलना चाहिए. यदि यह अंक उन्हें मिला होता तो वह शॉर्ट लिस्ट हो सकते थे.

इसे भी पढ़े-हाईकोर्ट ने माफिया मुख्तार अंसारी के साले शरजील को दी जमानत

विश्वविद्यालय ने यूजीसी रेगुलेशन की धारा 10( f)(3) का हवाला देकर याचीगण को शैक्षणिक अनुभव का अंक नहीं दिया. क्योंकि इस धारा के अनुसार शैक्षणिक अनुभव का अंक तभी दिया जा सकता है, जब शिक्षण कार्य करते समय अभ्यर्थी को वही वेतनमान या मानदेय मिल रहा हो, जो की नियमित रूप से नियुक्त असिस्टेंट प्रोफेसर को मिलता है. याचियों का कहना था कि उक्त धारा उन पर लागू नहीं होती है. यह संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन है.

कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद कहा कि यूजीसी रेगुलेशन की धारा 10(f)(3) एसोसिएट प्रोफेसर या प्रोफेसर अथवा करियर एडवांसमेंट स्कीम के तहत प्रोन्नति पर लागू होगी. असिस्टेंट प्रोफेसर का पद एंट्री लेवल का पद है जिसमें शैक्षणिक अनुभव अनिवार्य नहीं है. इसलिए टेबल 3 ए के क्लाज 7 को रेगुलेशन की धारा 10 f 3 के परिपेक्ष में देखना उचित नहीं है. ऐसा करने से सर्वश्रेष्ठ अभ्यर्थियों को चुनने का उद्देश्य पूरा नहीं होता है. इसलिए धारा 10 f 3 असिस्टेंट प्रोफेसर की नियुक्ति पर लागू नहीं नहीं होगी. कोर्ट ने कहा कि चयन प्रक्रिया पूरी हो चुकी है और चयनित अभ्यर्थियों को इस याचिका में पक्ष कर नहीं बनाया गया है, ना ही उनके चयन को चुनौती दी गई है. इसलिए विश्वविद्यालय अब से अभ्यर्थियों को शॉर्ट लिस्ट करते समय टेबल 3 ए की धारा 7 के तहत शैक्षणिक अनुभव का लाभ दें.

यह भी पढ़े-एचआईवी पीड़ित अध्यापक को हाई कोर्ट से मिली राहत, अंतर्जनपदीय स्थानांतरण को लेकर सचिव को निर्देश

प्रयागराज: इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा है कि असिस्टेंट प्रोफेसर नियुक्ति में शामिल अभ्यर्थी शैक्षणिक अनुभव का लाभ पाने के हकदार है. उनको यूजीसी रेगुलेशन की धारा 10 (f)(3) के आधार पर शैक्षणिक अनुभव का लाभ न दिया जाना उचित नहीं है. कोर्ट ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से कहा है कि वह भविष्य में होने वाली नियुक्तियों में अभ्यर्थियों को साक्षात्कार के लिए शार्ट लिस्ट करते समय यूजीसी रेगुलेशन की टेबल 3ए (7) के तहत शैक्षणिक अनुभव का लाभ दें. गीतांजलि तिवारी सहित दर्जनों अभ्यर्थियों की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश न्यायमूर्ति अश्विनी कुमार मिश्रा और न्यायमूर्ति आशुतोष श्रीवास्तव की खंडपीठ ने दिया है.

याचीगण का कहना था कि उन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय द्वारा जारी विज्ञापन के तहत असिस्टेंट प्रोफेसर पद पर नियुक्ति के लिए आवेदन किया था. सभी याची नियुक्ति हेतु आवश्यक आहर्ताएं पूरी करते हैं. इसके बावजूद साक्षात्कार के लिए बुलाए जाने वाले अभ्यर्थियों को शॉर्ट लिस्ट करते समय उनका नाम उसमें शामिल नहीं किया गया. ऐसा इसलिए हुआ, क्योंकि अभ्यर्थियों को उनके शैक्षणिक अनुभव के लिए अंक नहीं दिए गए. जबकि रेगुलेशन की टेबल 3ए के क्लाज 7 में शैक्षणिक अनुभव के लिए प्रतिवर्ष दो अंक मिलना चाहिए. यदि यह अंक उन्हें मिला होता तो वह शॉर्ट लिस्ट हो सकते थे.

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विश्वविद्यालय ने यूजीसी रेगुलेशन की धारा 10( f)(3) का हवाला देकर याचीगण को शैक्षणिक अनुभव का अंक नहीं दिया. क्योंकि इस धारा के अनुसार शैक्षणिक अनुभव का अंक तभी दिया जा सकता है, जब शिक्षण कार्य करते समय अभ्यर्थी को वही वेतनमान या मानदेय मिल रहा हो, जो की नियमित रूप से नियुक्त असिस्टेंट प्रोफेसर को मिलता है. याचियों का कहना था कि उक्त धारा उन पर लागू नहीं होती है. यह संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन है.

कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद कहा कि यूजीसी रेगुलेशन की धारा 10(f)(3) एसोसिएट प्रोफेसर या प्रोफेसर अथवा करियर एडवांसमेंट स्कीम के तहत प्रोन्नति पर लागू होगी. असिस्टेंट प्रोफेसर का पद एंट्री लेवल का पद है जिसमें शैक्षणिक अनुभव अनिवार्य नहीं है. इसलिए टेबल 3 ए के क्लाज 7 को रेगुलेशन की धारा 10 f 3 के परिपेक्ष में देखना उचित नहीं है. ऐसा करने से सर्वश्रेष्ठ अभ्यर्थियों को चुनने का उद्देश्य पूरा नहीं होता है. इसलिए धारा 10 f 3 असिस्टेंट प्रोफेसर की नियुक्ति पर लागू नहीं नहीं होगी. कोर्ट ने कहा कि चयन प्रक्रिया पूरी हो चुकी है और चयनित अभ्यर्थियों को इस याचिका में पक्ष कर नहीं बनाया गया है, ना ही उनके चयन को चुनौती दी गई है. इसलिए विश्वविद्यालय अब से अभ्यर्थियों को शॉर्ट लिस्ट करते समय टेबल 3 ए की धारा 7 के तहत शैक्षणिक अनुभव का लाभ दें.

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