पटना: शिक्षा विभाग और राजभवन के बीच विवाद का असर बिहार के विश्वविद्यालय पर भी पड़ने लगा है. बिहार के विश्वविद्यालय में काम करने वाले शिक्षक और शिक्षकेत्तरकर्मियों को पिछले फरवरी माह से वेतन नहीं मिला है, वहीं जनवरी से पेंशन का भुगतान भी नहीं हुआ है. राज्यपाल ने सभी विश्वविद्यालय से रिपोर्ट मंगी थी, जिसमें सभी विश्वविद्यालयों ने यह जानकारी दी है. बताया गया है कि इस मामले में 17 में को हाईकोर्ट में सुनवाई होने वाली है.
क्या है पूरा मामला?: दरअसल राजभवन और शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव के बीच का विवाद लंबे समय से चल रहा है. एक तरफ जहां शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक की ओर से कुलपतियों की बुलाई बैठक में कुलपति नहीं पहुंच रहे हैं तो दूसरी तरफ राज्यपाल की ओर से बुलाई गई बैठक में शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक नहीं पहुंच रहे हैं.
पटना विश्वविद्यालय के कुलसचिव ने भेजी रिपोर्ट: पटना विश्वविद्यालय के कुल सचिव प्रोफेसर खगेंद्र कुमार ने राज्यपाल को भेज अपने रिपोर्ट में कहा है कि 'सरकार की ओर से पेंशन और वेतनमान में कोई राशि नहीं आई है. हाई कोर्ट के निर्देश के अनुसार आंतरिक संसाधन से शिक्षकों और शिक्षकेत्तर कर्मियों के वेतन और पेंशन का भुगतान किया गया है.'
दूसरे विश्वविद्यालय का भी वही हाल: राजभवन को भेजे गए रिपोर्ट में पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय के कुल सचिव प्रोफेसर शालिनी ने बताया है जनवरी से शिक्षक और शिक्षकेत्तरकर्मी को पेंशन नहीं मिली है. वहीं शिक्षकों का वेतन फरवरी से बकाया है जिसके कारण काफी परेशान है. इसी तरह अन्य विश्वविद्यालयों के तरफ से भी वेतन और पेंशन मद में विश्वविद्यालय को राशि नहीं मिलने की बात कही है. शिक्षक और शिक्षकेत्तरकर्मी में इसको लेकर काफी आक्रोश है.
17 मई का इंतजार: फुटाब और फुसटाब की ओर से कई बार सरकार को ज्ञापन दिया गया है. बिहार के 10 विश्वविद्यालय में 5000 से अधिक शिक्षक कार्यरत हैं, तो वहीं हजारों की संख्या में शिक्षकेत्तरकर्मी भी काम कर रहे हैं. पेंशन भोगियों की संख्या भी हजारों में है. ऐसे में अब सब की नजर 17 मई को हाई कोर्ट में होने वाली सुनवाई पर है.
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