रांची: जिनकी सोच से आजसू का जन्म हुआ उस झारखंड के सपूत निर्मल महतो के शहादत को पार्टी कभी नहीं भूलेगी. उनकी हत्या राजनीतिक नहीं बल्कि आज भी पहेली बनी हुई है, जिसकी जांच होनी चाहिए. यह मानना है आजसू प्रमुख सुदेश महतो का जिन्होंने निर्मल दा की शहादत पर श्रद्धासुमन अर्पित किए.
रांची के पुराना जेल चौक स्थित शहीद निर्मल महतो के प्रतिमा पर श्रद्धांजलि अर्पित करने के बाद पत्रकारों से बात करते हुए सुदेश महतो ने कहा कि जिस उद्देश्य के साथ इस राज्य का गठन हुआ वह आज भी पूरा नहीं हुआ है. निर्मल दा का जो सोच थी वह आज तक जमीन पर नहीं उतर पाई, ऐसे में पार्टी उनके विचारों को हमेशा याद रखेगी.
निर्मल महतो को शहीद का दर्जा अब तक नहीं दिए जाने पर नाराजगी जताते हुए सुदेश महतो ने कहा कि उनकी शहादत को झारखंड के मूलवासी हमेशा याद रखेंगे. इधर निर्मल दा की शहादत दिवस पर दिनभर जेल चौक स्थित उनके प्रतिमा पर श्रद्धा सुमन अर्पित करने वालों का तांता लगा रहा. झारखंड मुक्ति मोर्चा के विनोद पांडे, छात्र नेता देवेंद्र महतो सहित विभिन्न सामाजिक राजनीतिक क्षेत्र से जुड़े लोग श्रद्धा सुमन अर्पित करते नजर आए.
विष्ठुपुर चमरिया गेस्ट हाउस में हुई थी हत्या
झारखंड के लोग 8 अगस्त 1987 के दिन को कभी नहीं भूल पाएंगे. इसी दिन बिष्टुपुर चमरिया गेस्ट हाउस से बाहर निकलते वक्त निर्मल महतो को गोली मारी गई थी. इसके बाद यह खबर पूरे राज्य में आग की तरफ फैल गई थी. इस दौरान उनके साथ चल रहे सूरज मंडल भी घायल हो गए. गोली लगने से घायल निर्मल महतो और सूरज मंडल को एमजीएम ले जाया गया. जहां निर्मल महतो को मृत घोषित कर दिया गया. निर्मल दा की हत्या की गुत्थी आज तक सुलझ नहीं पाई है. मगर उनके द्वारा अलग राज्य के लिए किया गया आंदोलन और आजसू के प्रति सोच आज भी लोगों के जुबान पर है.
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