अजमेर. शहर और देहात के राशन विक्रेता चार सूत्रीय लंबित मांगों को लेकर आंदोलनरत हैं. राशन विक्रेता राज्य सरकार से मानदेय तय करने की मांग कर रहे हैं. उनका कहना है कि कमीशन से उनके परिवार का गुजारा नहीं हो पाता. कमीशन भी समय पर नहीं मिल रहा. राशन डीलरशिप के चलते और कोई काम भी कर सकते. ऐसे में अब राशन डीलरों को भी प्रतिमाह निश्चित मानदेय दिया जाना चाहिए.
जिले के सभी राशन डीलर गुरुवार को रसद विभाग कार्यालय पहुंचे. यहां से वे कलेक्ट्रेट पहुंचे और कलेक्टर को सीएम के नाम मांग पत्र सौंपा. राशन विक्रेताओं का आरोप था कि गत माह सीएम को 9 सूत्रीय मांग पत्र सौंपा गया था, लेकिन न तो सरकार ने और न ही खाद्य विभाग के अधिकारियों ने कोई संज्ञान लिया. उन्होंने बताया कि राशन विक्रेताओं के सामने विकट स्थिति है. राशन विक्रेताओं को अपना कार्य कर पाने में मुश्किल हो रही है. कमीशन कम होने और समय पर नहीं मिलने से परिवार का जीविकोपार्जन मुश्किल हो रहा है.
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अजमेर जिला राशन डीलर एसोसिएशन के अध्यक्ष केसर लाल चौधरी ने बताया कि सुबह से लेकर शाम तक दुकान खोलनी होती है. राशन वितरण में पूरा महीना लगता है. ऐसे में राशन विक्रेता अन्य कोई काम नहीं कर सकता. इससे परिवार का गुजारा करना मुश्किल हो गया है. अब कमीशन भी 5 से 6 हजार रुपए प्रतिमाह ही मिलता है. इससे ज्यादा तो दुकान का किराया ही लग जाता है. इसलिए सरकार से मानदेय की मांग की जा रही है.
पिछली सरकारों ने किया छलावा: एसोसिएशन के पदाधिकारी लोकेंद्र शर्मा का कहना था कि वर्ष 2016 से राशन डीलरों की मानदेय की मांग लंबित है. राज्य सरकार ने उस वक़्त राशन डीलरों को मानदेय देने का वादा किया था, लेकिन उसे पूरा नहीं किया. उन्होंने कहा कि राशन डीलरों को राज्य सरकार मिनिमम इनकम गारंटी दे. शर्मा ने आरोप लगाया कि जब सरकार के कर्मचारियों का वेतन 1 तारीख को आ जाता है तो उनके कमीशन को आने में 8 से 9 महीने में क्यों लगते हैं. उन्होंने कहा कि जयपुर में राजस्थान राशन डीलर्स एसोसिएशन के आवाहन पर 20 जुलाई को प्रदेश स्तरीय बैठक का आयोजन होगा, जिसमें राशन डीलर्स के कार्य बहिष्कार और सामूहिक स्थिति देने को लेकर भी रणनीति तैयार की जाएगी.