अजमेर: राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सदस्य एवं अजमेर उत्तर विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस के दो बार प्रत्याशी रहे महेंद्र सिंह रलावता ने अजमेर में ख्वाजा गरीब नवाज की दरगाह में शिव मंदिर होने के दावे को बीजेपी की साजिश बताया. शनिवार को प्रेस वार्ता में रलावता ने कहा कि अजमेर में सभी धर्म के लोग मिलजुल कर रहते हैं. यहां सांप्रदायिक सौहार्द बिगड़ने के मंसूबाबे कभी कामयाब नहीं हो पाएंगे.
रलावता ने कहा कि अजमेर दरगाह के बहाने महंगाई और बेरोजगारी जैसे जरूरी मुद्दों से ध्यान भटकाकर देश को नफरत की आग में झोंकने का एक नया षड्यंत्र तैयार किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि सन 1991 का पूजा स्थल के लिए कानून साफ कहता है कि 15 अगस्त, 1947 को अस्तित्व में आए किसी भी धार्मिक स्थल का स्वरूप नहीं बदला जा सकता और ना ही कोर्ट में ऐसे मामलों की सुनवाई होनी चाहिए.
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कांग्रेस बने ना बने मैं पक्ष कर बनूंगा: रलावता ने कहा कि सिर्फ मुस्लिम समाज ही नहीं हिन्दू, सिख समाज भी सूफी ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह पर आस्था रखते हैं. संभल जैसी हिंसक घटना ने देश को शर्मसार किया है. अजमेर को संभल नहीं बनने देंगे. यहां के सांप्रदायिक सौहार्द को बिगड़ने की मंसूबों को कभी पूरा नहीं होने दिया जाएगा. उन्होंने यह भी कहा कि अजमेर शहर का सांप्रदायिक सद्भाव बनाए रखने और सन 1991 के प्लेस और वरशिप कानून की हिफाजत के लिए कांग्रेस वाद में पक्षकार बने या ना बने, लेकिन वे खुद दरगाह वाद में पक्षकार बनकर अपना पक्ष रखेंगे.
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अफसर शाही हावी: रलावता ने सड़क, बिजली, पेयजल की समस्या को लेकर भी बीजेपी सरकार पर प्रहार किए. रलावता ने कहा कि अजमेर की जनता गड्डों पर ट्रैकिंग कर रही है और जान से हाथ धो रही है. राजस्थान में अफसर शाही हावी है. वह जनप्रतिनिधियों को तवज्जो नहीं दे रही है. उन्होंने कहा कि अजमेर में महिला उत्पीड़न अपराध और चैन स्नैचिगं की घटना बढ़ रही है और पुलिस प्रशासन मूकदर्शक बनकर देख रहा है.
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पानी की समस्या जस की तस: रलावता ने कहा कि अजमेर उत्तर विधानसभा क्षेत्र के विधायक वासुदेव देवनानी ने चुनावी घोषणा पत्र में अजमेर शहर को 48 घंटे में पानी उपलब्ध कराने का वादा किया था. बीसलपुर बांध लबालब होने के बावजूद अजमेर की जनता को 72 से 96 घंटे में पेयजल की सप्लाई की जा रही है. कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में अजमेर के लिए अमृत योजना के अंतर्गत 186 करोड़ की स्वीकृति हुई थी. उसे अविलम्ब लागू करें जिससे शहर की पेयजल समस्या का निदान हो सके. उन्होंने कहा कि सर्वे के नाम पर बसी बसाई बस्तियों को उजड़ने का प्रयास किया जा रहा है. साथ ही उन्होंने मांग की है कि वन विभाग की भूमि पर बसी बस्तियों का नियमन कर आमजन को राहत प्रदान की जाए.