अजमेर : देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने अजमेर दरगाह में चादर पेश करने की शुरुआत की थी. इसके बाद देश के प्रधानमंत्रियों की ओर से उर्स में चादर भेजने का सिलसिला शुरू हो गया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी दरगाह में वर्षों से चले आ रहे इस सिलसिले का अनुसरण कर रहे हैं. यह कहना है हिंदू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता का.
अजमेर वाद प्रकरण में परिवादी विष्णु गुप्ता ने वैशाली नगर स्थित सनातन रक्षा संघ के कार्यालय में प्रेस वार्ता में एक सवाल के जवाब में यह बात कही. उन्होंने कहा कि "दरगाह में कौन चादर पेश कर रहा है और कौन मत्था टेक रहा है, यह उनकी आस्था का विषय है. मेरा मकसद किसी की आस्था को ठेस पहुंचाना नहीं है. मेरा उद्देश्य भगवान संकट मोचन महादेव के मंदिर का सच कोर्ट के माध्यम से सामने लाना है और न्याय मांगना मेरा अधिकार है."
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प्लेस ऑफ वरशिप एक्ट को लेकर कही ये बात : हिंदू सेना के अध्यक्ष विष्णु गुप्ता ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट के प्लेस ऑफ वरशिप एक्ट को लेकर हाल ही में दिए गए फैसले का असर दरगाह वाद प्रकरण पर नहीं पड़ेगा. उन्होंने बताया कि कोर्ट ने जिन पक्षकारों को नोटिस भेजे हैं, वे पक्षकार शुक्रवार को कोर्ट में अपना जवाब पेश करेंगे. गुप्ता ने कहा कि यदि कोर्ट दरगाह वाद प्रकरण को प्लेस ऑफ वरशिप एक्ट के दायरे में लेकर देखती है तो यह साबित किया जाएगा कि अजमेर दरगाह इस एक्ट के दायरे में नहीं आती. उन्होंने कहा कि कोर्ट में अपना पक्ष रखने के लिए पूरी तैयारी कर ली गई है. इसके अलावा कई साक्ष्य भी जुटाए गए हैं, जिनसे यह साबित होता है कि दरगाह से पहले वहां संकट मोचन महादेव का मंदिर हुआ करता था और चौहान वंश के राजा उसकी पूजा करते थे.
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सर्वे करवाने की मांग : गुप्ता ने पृथ्वीराज विजय समेत कई पुस्तकों का हवाला देते हुए कहा कि इन साक्ष्यों को कोर्ट में पेश किया जाएगा. साथ ही अजमेर दरगाह में पुरातत्व विभाग से सर्वे करवाने की मांग भी कोर्ट से की जाएगी. उन्होंने कहा कि यदि मुस्लिम पक्ष कोर्ट में प्लेस ऑफ वरशिप एक्ट 1991 की बात रखता है, तो हमारे पास भी सुप्रीम कोर्ट का आदेश है. इसे कोर्ट में पेश किया जाएगा और यह बताया जाएगा कि अजमेर दरगाह इस एक्ट के दायरे में क्यों नहीं आती. गुप्ता ने हर विलास शारदा की 1911 में लिखी पुस्तक का हवाला देते हुए कहा कि सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने आमिर खुसरो की पुस्तक का जिक्र किया है, जो 1300 ईस्वी में लिखी गई थी, जबकि पृथ्वीराज विजय पुस्तक 1200 ईस्वी की है और यह संस्कृत में लिखी गई थी. इसका हिंदी अनुवाद भी कोर्ट में पेश किया जाएगा. इस पुस्तक में अजमेर के इतिहास के बारे में लिखा गया है, जैसे मोहम्मद गौरी कैसे अजमेर आया, उसने पृथ्वीराज चौहान के साथ कैसे धोखा किया.
नेहरू ने पेश की थी पहली चादर : गुप्ता ने कहा कि दरगाह में महादेव का मंदिर है और सर्वे के दौरान मंदिर के साक्ष्य मिलेंगे. उन्होंने यह भी कहा कि पंडित जवाहरलाल नेहरू अजमेर दरगाह में चादर पेश करने वाले पहले प्रधानमंत्री थे. उनके बाद जो भी प्रधानमंत्री बने, उन्होंने इस परंपरा को निभाया. यह एक फॉर्मल प्रक्रिया है. उन्होंने कहा कि दरगाह में जिनकी आस्था है, वे अपनी आस्था के अनुसार कार्य करें. बता दें कि अजमेर दरगाह वाद प्रकरण में सुनवाई 20 दिसंबर को अजमेर सिविल कोर्ट में होगी. पिछली सुनवाई में कोर्ट ने पक्षकारों को नोटिस भेजकर 20 दिसंबर तक जवाब पेश करने के लिए कहा था.