नई दिल्ली: नीट परीक्षा पर पूरे देश में धरने-प्रदर्शन का दौर जारी है. एक तरफ कांग्रेस देशव्यापी विरोध प्रदर्शन कर रही है तो वहीं दूसरी तरफ डीयू में भी छात्र नीट में हुई गड़बड़ियों के खिलाफ भड़के हुए हैं.
21 जून को केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान के दिल्ली विश्वविद्यालय में आयोजित योग दिवस कार्यक्रम से पहले डीयू के छात्रों और आइसा कार्यकर्ताओं ने काले झंडे लहराकर विरोध प्रदर्शन किया. जैसे ही गुरूवार को छात्रों और आइसा कार्यकर्ताओं को धर्मेंद्र प्रधान के डीयू में योग दिवस कार्यक्रम में आने की जानकारी मिली उन्होंने प्रधान को काले झंडे दिखाने की तैयारी कर ली.
छात्रों का कहना था कि नीट यूजी और यूजीसी नेट परीक्षा में हुई गड़बड़ियों को लेकर धर्मेंद्र प्रधान एक शिक्षा मंत्री के रूप में लाखों छात्रों के भविष्य के लिए जिम्मेदार हैं. आइसा कार्यकर्ताओं ने कहा कि इतने बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ करने वाले प्रधान को डीयू में आने की बात सोचने भी नहीं चाहिए. आइसा कार्यकर्ताओं ने दावा किया कि हमारे विरोध प्रदर्शन के चलते ही धर्मेंद्र प्रधान ने डीयू में आने का अपना कार्यक्रम रद्द कर दिया. छात्रों ने कहा कि शिक्षा मंत्रालय की एजेंसी एनटीए ने छात्रों के भविष्य को खतरे में डाल दिया है.
पहले नीट और अब यूजीसी नेट में हुए घोटाले ने नेशनल टेस्टिंग एजेंसी के भ्रष्टाचार को पूरी तरह से उजागर कर दिया है.
छात्रों ने कहा कि हम एनटीए को तुरंत खत्म करने की मांग करते हैं. छात्रों ने कहा कि भ्रष्ट और अहंकारी शिक्षा मंत्री का हमारे विश्वविद्यालय में स्वागत नहीं है. धर्मेंद्र प्रधान इस्तीफा दो, एनटीए को खत्म करो और फिर से नीट यूजी परीक्षा आयोजित करो. बता दें कि चार जून को एनटीए द्वारा जारी किए गए नीट यूजी के परीक्षा परिणाम में गड़बड़ी के बाद छात्र लगातार नीट यूजी परीक्षा को रद्द करने की मांग कर रहे हैं और इसकी सीबीआई से जांच कराने की भी मांग कर रहे हैं. इसके साथ ही शिक्षा मंत्रालय ने 18 जून को आयोजित यूजीसी नेट परीक्षा को भी अगले ही दिन यह कहते हुए रद्द कर दिया था कि इस परीक्षा में भी हमें गड़बड़ी की शिकायतें मिली हैं. इसलिए यूजीसी नेट परीक्षा को रद्द करके उसकी सीबीआई को जांच सौंप दी है.