फिरोजाबाद : यूपी के फिरोजाबाद जिले में रक्षा मंत्रालय के अधीन काम करने वाली आयुध उपस्कर निर्माणी इकाई ने एक ऐसा ड्रोन तैयार किया है जो सेना की खाद्य सामग्री को देश की सीमाओं पर स्थित पहाड़ियों पर कैम्प करने वाली सैन्य टुकड़ियों तक पहुंचा सकेंगे. अभी तक यह सामग्री खच्चर या फिर पैराशूट के जरिये भेजी जाती थी, लेकिन खराब मौसम और अत्याधिक बर्फबारी के चलते यह दोनों ही व्यवस्था डगमगा जाती थी और इसका खामियाजा सैनिकों को उठाना पड़ता था, लेकिन अब ऐसा नहीं हो सकेगा.
फिरोजाबाद जिले के टूंडला इलाके में स्थित आयुध उपस्कर निर्माणी के महाप्रबंधक अमित सिंह के मुताबिक, इस ड्रोन को ऐरावत 2 का नाम दिया गया है, जोकि दूर दराज, ऊंची और बर्फीली पहाड़ियों में तैनात सैनिकों को दवाएं और रसद सामग्री की सप्लाई का काम करेगा. इसमें आठ रोटर लगे होते हैं जिससे ड्रोन को चारों दिशाओं में घुमाया जा सकता है. ऐरावत 2 ड्रोन 40 किलो वजन लेकर पांच हजार मीटर की ऊंचाई पर 10 किलोमीटर राउंड ट्रिप कर 40 मिनट तक हवा में रह सकता है. डिस्चार्ज होने पर यह एक घंटे में फुल चार्ज भी हो जाता है.
महाप्रबंधक अमित सिंह ने बताया कि अंर्न्तराष्ट्रीय सीमाओं से सटी हमारी पर्वत श्रृंखलाओं पर तैनात जवानों के लिए रसद और अन्य साजो सामान पारंपरिक तौर पर घोड़े-खच्चरों से पहुंचाई जाती है, लेकिन 18 हजार फीट से अधिक ऊंची पहाड़ियों पर अधिकांश समय बर्फबारी होती रहती है. ऐसे दुर्गम इलाकों में ताजा भोजन सामग्री, हथियार और आवश्यक दवाएं पहुंचना मुश्किल हो जाता है. हैलीकॉप्टर सेवा भी अधिक कारगर नहीं रहती है. इन परिस्थितियों मे आपात कालीन सेवाओं को बहाल रखने के लिए फिरोजाबाद के हजरतपुर स्थिति आयुध उपस्कर निर्माणी ने सफलता का झंडा गाड़ा है.
उन्होंने बताया कि रक्षा मंत्रालय के अधीन इस संस्थान ने स्वदेशी तकनीक से दुनिया का पहला हाई एल्टीट्यूड लॉजिस्टिक ड्रोन बनाया है. ऐरावत-2 नाम का यह ड्रोन खराब मौसम में भी सफलता पूर्वक सैंनिकों तक आवश्यक वस्तुएं पहुंचाने मे सक्षम है. शुरुआत में ऐरावत -2 लॉजिस्टिक ड्रोन का उत्तरी कश्मीर में उरी और कुपवाड़ा, पूर्वी लद्दाख में न्योमा और अरुणाचल प्रदेश में तवांग सेक्टर में 12 हजार 500 फीट तक हाई एल्टीट्यूड इलाकों में सफल परीक्षण हो चुका है. इस ड्रोन ने भारत-चीन सीमा में पांच हजार मीटर की ऊंचाई तक भी उड़ान भरी है.