वाराणसी : धान की खेती में अब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का प्रयोग किया जाएगा, जिससे मिट्टी के स्वास्थ्य, मौसम, कीटों के साथ फसल प्रबंधन को बेहतर बनाया जा सके. इस बारे में बुधवार को अंतरराष्ट्रीय चावल अनुसंधान केंद्र वाराणसी में माइक्रोसॉफ्ट व तकनीकी कंपनियों के अधिकारियों ने मंथन किया.
बता दें कि उत्तर प्रदेश सरकार ने प्रदेश में कृषि व प्रमुख क्षेत्र में विकास को बेहतर करने के लिए एआई और डिजिटल तकनीक का सहारा लेना शुरू कर दिया है. इसके लिए बाकायदा लखनऊ में एक उत्कृष्ट केंद्र का भी निर्माण किया गया है. यूपी एक्सीलेटर प्रगति परियोजना के तहत चावल किसानों तक एआई और डिजिटल तकनीक का लाभ पहुंचाने के लिए वाराणसी में विचार मंथन का आयोजन किया गया. इसमें वैज्ञानिकों ने चावल की खेती में एआई का प्रयोग किस स्तर पर किया जा सकता है, इस पर मंथन किया.
बैठक में प्रमुख वैज्ञानिकों ने कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस क प्रयोग करने से धान की खेती में मिट्टी के स्वास्थ्य, मौसम कीटों पर नियंत्रण, फसल प्रबंधन को बेहतर किया जा सकता है. यही नहीं इससे पैदावार बढ़ाने के साथ अन्य संसाधनों का उपयोग भी कम होगा. इससे लागत और पर्यावरण पर दुष्प्रभाव भी कम होगा.
चावल की खेती में आएगा बड़ा परिवर्तन : वैज्ञानिकों ने कहा कि एआई बेहतर भंडारण और परिवहन प्रबंधन के माध्यम से कटाई के बाद होने वाले नुकसान को भी कम करता है. यही नहीं कृषि व्यवसाय और कृषि उद्यम का समर्थन करने के लिए यह पारदर्शी दक्षता और खाद्य सुरक्षा को भी बेहतर कर सकता है. उन्होंने कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के जरिए बाजार की प्रवृत्ति की पहले ही भविष्यवाणी और मांग का पूर्वानुमान भी ज्ञात किया जा सकता है, इससे किसान सशक्त बनेंगे उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा. चावल आधारित कृषि की खाद्य प्रणालियों में लचीलापन भी बेहतर होगा.
जल्द एआई का होगा प्रयोग : बैठक में वैज्ञानिकों ने बताया कि चावल उत्पादन में नई क्रांति लाने और किसानों की आजीविका को बढ़ाने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एक बेहतर कदम के रूप में देखा जा रहा है. आगामी दिनों में इसका प्रयोग कर चावल के उत्पादकता को बेहतर करने की आवश्यकता है. इन प्रौद्योगिकियों के माध्यम से जलवायु परिवर्तन से लड़ने के प्रयास को बढ़ावा मिलेगा.
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