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यूपी पुलिस का गजब कारनामा; मुर्दे के खिलाफ पहले लिखी FIR, फिर लगाई चार्जशीट - Agra Police FIR Against Dead Man

वर्ष 2018 में कोर्ट के आदेश पर हरीपर्वत थाने में धोखाधड़ी, मारपीट व गाली-गलौज की धारा में मुकदमा दर्ज हुआ था. ये मुकदमा श्रीराम फाइनेंस ट्रांसपोर्ट कंपनी लिमिटेड के नवीन गौतम ने कराया था. जिसमें दयानंद नगर, नगला पदी निवासी मंगल सिंह राना और प्रताप सिंह नामजद किए गए थे. जबकि मुख्य आरोपी प्रताप की 2016 में ही मौत हो चुकी थी.

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यूपी पुलिस का गजब कारनामा. (Photo Credit; ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Sep 17, 2024, 3:14 PM IST

आगरा: यूपी पुलिस का गजब कारनामा सामने आया है. पुलिस कमिश्नरेट आगरा की हरीपर्वत पुलिस ने धोखाधड़ी के मुकदमे में मर चुके व्यक्ति के विरुद्ध चार्जशीट लगा दी. ये खुलासा जेल से जमानत पर बाहर आए एक अन्य आरोपी ने किया है. पुलिस ने मुख्य आरोपी की मौत के दस्तावेज को नकारते हुए चार्जशीट फाइल कर दी थी. ये खुलासा होने से पुलिस महकमा में खलबली मची हुई है. मामले में एसीपी हरीपर्वत आदित्य कुमार का कहना है कि जांच की जा रही है.

वर्ष 2018 में कोर्ट के आदेश पर हरीपर्वत थाने में धोखाधड़ी, मारपीट व गाली-गलौज की धारा में मुकदमा दर्ज हुआ था. ये मुकदमा श्रीराम फाइनेंस ट्रांसपोर्ट कंपनी लिमिटेड के नवीन गौतम ने कराया था. जिसमें दयानंद नगर, नगला पदी निवासी मंगल सिंह राना और प्रताप सिंह नामजद किए गए थे.

वादी का आरोप था कि, प्रताप सिंह ने एक गाड़ी फाइनेंस कराई थी. जिसमें मंगल सिंह गारंटर बने. प्रताप सिंह ने किस्त नहीं चुकाई. इस पर कर्मचारियों ने प्रताप सिंह से जानकारी की तो उन्होंने गाली-गलौज और धमकी दी. इस पर हरीपर्वत थाना पुलिस ने मुकदमा दर्ज करके विवेचना की. जबकि, मुख्य आरोपी की 2016 में ही मौत हो गई थी.

पुलिस ने दिसंबर 2019 में आरोप पत्र न्यायालय में दाखिल किया. इसके बाद पुलिस ने 27 जनवरी 2024 को आरोपी मंगल सिंह को जेल भेज दिया. आरोपी ने जमानत पर जेल से बाहर आने के बाद पुलिस की विवेचना सवाल उठाए और एक दावा कोर्ट में किया. जिसमें मुख्य आरोपी की मुकदमा दर्ज होने से पहले सितंबर 2016 में मृत्यु होने की जानकारी दी. अपने दावे में प्रताप सिंह का मृत्यु प्रमाण पत्र भी शामिल किया.

मगर, पुलिस ने ये तथ्य नकार कर कोर्ट में आरोप पत्र दाखिल कर दिया था. जिसकी वजह से मुझे जेल में 19 दिन रहना पड़ा. जबकि, मैंने जब मुकदमा दर्ज हुआ था, उस समय भी पुलिस को मुख्य आरोपी की मौत के दस्तावेज दिए थे. मगर, पुलिस ने मेरी एक नहीं सुनी. पुलिस की मनमानी से मुझे जेल भी जाना पड़ा.

एसीपी हरीपर्वत आदित्य का कहना है कि प्रकरण संज्ञान में आया है. पूर्व में की गई विवेचना की स्थिति के बारे में जानकारी की जा रही है. इसके बाद ही अब इस मामले में अग्रिम कार्रवाई की जाएगी.

ये भी पढ़ेंः फतेहपुर में खेत की खोदाई करते समय निकली भगवान विष्णु की मूर्ति, छिपा है चंदेल वंश का इतिहास

आगरा: यूपी पुलिस का गजब कारनामा सामने आया है. पुलिस कमिश्नरेट आगरा की हरीपर्वत पुलिस ने धोखाधड़ी के मुकदमे में मर चुके व्यक्ति के विरुद्ध चार्जशीट लगा दी. ये खुलासा जेल से जमानत पर बाहर आए एक अन्य आरोपी ने किया है. पुलिस ने मुख्य आरोपी की मौत के दस्तावेज को नकारते हुए चार्जशीट फाइल कर दी थी. ये खुलासा होने से पुलिस महकमा में खलबली मची हुई है. मामले में एसीपी हरीपर्वत आदित्य कुमार का कहना है कि जांच की जा रही है.

वर्ष 2018 में कोर्ट के आदेश पर हरीपर्वत थाने में धोखाधड़ी, मारपीट व गाली-गलौज की धारा में मुकदमा दर्ज हुआ था. ये मुकदमा श्रीराम फाइनेंस ट्रांसपोर्ट कंपनी लिमिटेड के नवीन गौतम ने कराया था. जिसमें दयानंद नगर, नगला पदी निवासी मंगल सिंह राना और प्रताप सिंह नामजद किए गए थे.

वादी का आरोप था कि, प्रताप सिंह ने एक गाड़ी फाइनेंस कराई थी. जिसमें मंगल सिंह गारंटर बने. प्रताप सिंह ने किस्त नहीं चुकाई. इस पर कर्मचारियों ने प्रताप सिंह से जानकारी की तो उन्होंने गाली-गलौज और धमकी दी. इस पर हरीपर्वत थाना पुलिस ने मुकदमा दर्ज करके विवेचना की. जबकि, मुख्य आरोपी की 2016 में ही मौत हो गई थी.

पुलिस ने दिसंबर 2019 में आरोप पत्र न्यायालय में दाखिल किया. इसके बाद पुलिस ने 27 जनवरी 2024 को आरोपी मंगल सिंह को जेल भेज दिया. आरोपी ने जमानत पर जेल से बाहर आने के बाद पुलिस की विवेचना सवाल उठाए और एक दावा कोर्ट में किया. जिसमें मुख्य आरोपी की मुकदमा दर्ज होने से पहले सितंबर 2016 में मृत्यु होने की जानकारी दी. अपने दावे में प्रताप सिंह का मृत्यु प्रमाण पत्र भी शामिल किया.

मगर, पुलिस ने ये तथ्य नकार कर कोर्ट में आरोप पत्र दाखिल कर दिया था. जिसकी वजह से मुझे जेल में 19 दिन रहना पड़ा. जबकि, मैंने जब मुकदमा दर्ज हुआ था, उस समय भी पुलिस को मुख्य आरोपी की मौत के दस्तावेज दिए थे. मगर, पुलिस ने मेरी एक नहीं सुनी. पुलिस की मनमानी से मुझे जेल भी जाना पड़ा.

एसीपी हरीपर्वत आदित्य का कहना है कि प्रकरण संज्ञान में आया है. पूर्व में की गई विवेचना की स्थिति के बारे में जानकारी की जा रही है. इसके बाद ही अब इस मामले में अग्रिम कार्रवाई की जाएगी.

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