प्रयागराज: आगरा के जामा मस्जिद की सीढ़ियों में श्री कृष्ण के विग्रह का एएसआई सर्वे कराए जाने के मामले में हिन्दू पक्ष ने शाही ईदगाह कमेटी के पक्षकार बनने की अर्जी का विरोध किया है. कहा गया कि ईदगाह कमेटी का इस मामले से कोई सरोकार नहीं है. सिर्फ मामले को लंबित करने के लिए पक्षकार बनना चाहती है. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सोमवार को इस मामले को लेकर दाखिल याचिका में शाही ईदगाह कमेटी ने पक्षकार बनने के लिए अर्जी दाखिल की.
ASI को जवाब दाखिल करने का एक और मौका: कोर्ट ने पिछली सुनवाई में ईदगाह कमेटी को अर्ज़ी दाखिल करने के लिए कहा था. वहीं, कोर्ट के निर्देश के बावजूद एएसआई की ओर से कोई जवाब सोमवार को दाखिल नहीं किया गया. याचिका की सुनवाई कर रहे न्यायमूर्ति मयंक कुमार जैन ने अगली तिथि 12 अगस्त तक एएसआई को जवाब दाखिल करने के लिए कहा है. पूर्व में अभियोजन की अनुपस्थिति के चलते कोर्ट ने इसे खारिज कर दिया था. हिंदू पक्ष के अधिवक्ता महेंद्र प्रताप सिंह और अधिवक्ता राधेश्याम यादव ने कहा कि शाही ईदगाह कमेटी का इस मामले से कोई सरोकार नहीं है. वह सिर्फ इसलिए पक्षकार बनना चाहते हैं कि मामले को लंबे समय तक कोर्ट में लंबित रखा जा सके. हिंदू पक्ष की ओर से दाखिल आपत्ति में त्रुटियां होने पर कोर्ट ने उसे दुरुस्त करने के लिए कहा है.
एडवोकेट कमिश्नरी नियुक्त करने की मांगः याचिका दाखिल करने वाले अधिवक्ता महेंद्र प्रताप सिंह का कहना है कि 1670 में औरंगजेब ने श्रीकृष्ण जन्मभूमि मंदिर का विध्वंस किया था. इस दौरान गर्भगृह के विग्रह को खंडित कर हिंदू धर्म की आस्था को ठेस पहुंचाने के लिए जामा मस्जिद आगरा की सीढ़ियों में लगा दिया गया था. उन्होंने जांच के लिए एडवोकेट कमिश्नरी नियुक्त करने व एएसआई से जांच कराने की मांग की है.