प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मंगलवार आम जनता से हजारों करोड़ रुपये ठगने के आरोपी शाइन सिटी के डायरेक्टर राशिद नसीम को पकड़ने में देश की टॉप एजेंसियों की नाकामी पर गहरी नाराजगी जताई है. कोर्ट ने एजेंसियों द्वारा की जा रही विवेचना की स्थिति पर भी असंतोष जताया है तथा 31 मई को प्रवर्तन निदेशालय के असिस्टेंट डायरेक्टर, आर्थिक अपराध शाखा के महानिदेशक और सचिव गृह को अदालत ने सुबह 10 बजे हाजिर होने का निर्देश दिया है.
कोर्ट ने अधिकारियों से कहा है कि वह पिछले डेढ़ वर्षो के दौरान की गई जांच की प्रगति रिपोर्ट और सभी संबंधित दस्तावेजों के साथ अदालत के समक्ष उपस्थित हो. श्रीराम राम की याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति सिद्धार्थ और न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार की खंडपीठ ने जहर आदेश दिया है. कोर्ट ने कहा कि इस मामले में वर्ष 2018 से 2021 तक लगातार सैकड़ों प्राथमिकी दर्ज कराई गई.
मामले की जांच सीरियस फ्रॉड इन्वेस्टिगेटिंग ऑफिस, एनफोर्समेंट डायरेक्टरेट के अलावा उत्तर प्रदेश की आर्थिक अपराध शाखा कर रही है. इसके बावजूद अब तक जांच में कोई उल्लेखनीय प्रगति नहीं हो सकी है. अदालत को बताया गया कि भगोड़े डायरेक्टर रशीद के खिलाफ विदेश मंत्रालय ने रेड कॉर्नर नोटिस जारी किया हुआ है. इसके पूर्व की सुनवाई पर एजेंसियों ने कोर्ट से वादा किया था की 3 महीने के अंदर जांच के पूरे नतीजे आ जाएंगे.
प्रवर्तन निदेशालय ने भी अदालत से 60 दिनों की मोहलत मांगी थी. मगर जांच जहां के तहां रही. पूर्व की तिथि पर कोर्ट को बताया गया था कि भगोड़े राशिद नसीम का पासपोर्ट दुबई से जारी किया गया है, जोकि एजेंसियों की जानकारी में था. इसके बाद अदालत ने टिप्पणी की थी कि देश की टॉप एजेंसियां भगोड़े रशीद को ढूंढने में नाकाम रही. जबकि एक महिला जो इस समय अदालत में मौजूद है वह उसके लगातार संपर्क में है.
कोर्ट ने कहा कि 31 जनवरी 2023 के बाद इस मामले में कोई सुनवाई नहीं हुई है और 16 माह के बाद आज 29 मई को सुनवाई हो रही है. सुनवाई के दौरान एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ने एक पेज की रिपोर्ट प्रस्तुत कि जिससे विवेचना की किसी प्रगति का पता नहीं चलता है. कोर्ट का कहना था कि यह रिपोर्ट और कुछ नहीं बल्कि आंख में धूल झोंकने का तरीका है.
कोर्ट ने प्रवर्तन निदेशालय की जांच पर भी असंतोष जाहिर किया है तथा शुक्रवार को सुनवाई के दौरान असिस्टेंट डायरेक्टर, आर्थिक अपराध शाखा के महानिदेशक और सचिव गृह उत्तर प्रदेश को अदालत में मौजूद रहने का निर्देश दिया है.