अलवर: पिछले कुछ सालों में बढ़ती टाइगर की साइटिंग के चलते विश्व पटल पर अपनी पहचान बना चुके सरिस्का टाइगर रिजर्व में जल्द ही अब बर्ड फेयर आयोजित करने की योजना बनाई जा रही है. बर्ड फेस्टिवल आयोजन का उद्देश्य सरिस्का में आने वाले देशी-विदेशी पर्यटक व जिले के स्कूली छात्रों को सरिस्का में रहने वाले विभिन्न प्रजातियों के पक्षियों के बारे में भी जानकारी देना है.
सरिस्का टाइगर रिजर्व के फील्ड डायरेक्टर संग्राम सिंह कटिहार ने बताया कि सरिस्का टाइगर रिजर्व में टाइगर की साइटिंग बढ़े. इसके लिए सरिस्का में सफारी के रूट में वृद्धि करने की योजना भी बनाई जा रही है. जिससे कि पर्यटकों को अलग-अलग रूट पर भ्रमण करने के साथ टाइगर की साइटिंग होगी और सरिस्का में रहने वाले अन्य वन्यजीवों के बारे में भी जानकारी मिलेगी. उन्होंने बताया कि सरिस्का में बाघ, पैंथर, हाइना, जैकाल, क्रोकोडाइल सहित अन्य प्रजाति के वन्यजीव भी हैं, इन पर भी सरिस्का प्रशासन का फोकस है.
उन्होंने बताया कि इको टूरिज्म पर बढ़ावा देने के लिए भी योजना बनाई जा रही है. इसके लिए प्रदेश के वन मंत्री भी लगातार प्रयास कर रहे हैं. सरिस्का प्रशासन का प्रयास है कि जल्द ही सरिस्का में बर्ड फेस्टिवल का आयोजन किया जाए, इसके लिए कार्य योजना बनाई जा रही है. इस आयोजन के माध्यम से स्कूली छात्रों को विभिन्न प्रजातियों के बर्ड के बारे में जानकारी मिलेगी. साथ ही उनके हैबिटेट के बारे में जानकारी मिलेगी. उन्होंने बताया कि इसके चलते देशी-विदेशी पर्यटकों की संख्या भी बढ़ेगी और उन्हें भी बाघों के अलावा अन्य वन्यजीवों के बारे में जानकारी मिलेगी.
सीसीएफ संग्राम सिंह ने बताया कि बाघों के साथ ही सरिस्का में रहने वाले 300 से प्रजातियों के पक्षियों बारे में भी फोकस किया जा रहा है. इससे इको टूरिज्म का भी डेवलपमेंट होगा. उन्होंने बताया कि सर्दी की शुरुआत में विदेशी पक्षी भी बड़ी संख्या में सरिस्का का रुख करते हैं. यह भी यहां आने वाले पर्यटकों को लुभाते हैं. संग्राम सिंह ने बताया कि यहां बड़ी संख्या में मगरमच्छ व तितलियां हैं, जो पर्यटकों को आकर्षित करती हैं. सरिस्का में तितलियों पर भी रिसर्च नहीं हो पाई. इसके लिए अब सरिस्का प्रशासन तितलियों की रिसर्च योजना पर भी कार्य करेगा. साथ ही मगरमच्छों की गणना के बारे में भी विचार किया जा रहा है.