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अजमेर दरगाह के पिछले क्षेत्र में वर्षों बाद अब हुई पूरी भूमि सर्वे की कार्रवाई, हजार बीघा पर अतिक्रमण का जाल

अजमेर में दरगाहर के पीछे के इलाके में कई वर्षों बाद भूमि सर्वे किया गया और कुछ जगहों को चिन्हित भी किया गया.

Encroachment in Ajmer
अजमेर में ​अतिक्रमण (ETV Bharat Ajmer)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : 3 hours ago

अजमेर: अजमेर के दरगाह क्षेत्र के पीछे अतिक्रमण की बाढ़ सी आ रही है. स्थानीय लोगों के सहयोग से बाहरी लोग बड़ी संख्या में आकर बस गए और बाकायदा पहाड़ी क्षेत्र में मकान-दुकान भी बना लिए हैं. क्षेत्र में अतिक्रमण का मुद्दा हमेशा उठता आया है, लेकिन क्षेत्राधिकार और सीमांकन के चक्कर में वर्षों से मामला अटका ही रहा. मगर इस बार राजस्व, नगर निगम, अजमेर विकास प्राधिकरण और वन विभाग की संयुक्त सर्वे की कार्रवाई की गई. कार्रवाई मंगलवार को पूरी हो गई. सीमांकन होने के बाद अब विधिसमत अतिक्रमियों के खिलाफ कार्रवाई की तैयारी की जाएगी.

अजमेर दरगाह के पीछे अतिक्रमण पर कार्रवाई की तैयारी (ETV Bharat Ajmer)

अजमेर में वर्षों के बाद दरगाह के पिछले क्षेत्र में विभिन्न विभागों की ओर से संयुक्त सर्वे की कार्रवाई को अंजाम दिया गया. इस सर्वे के माध्यम से वन विभाग, नगर निगम, अजमेर विकास प्राधिकरण और निजी खातेदार की जमीन को चिन्हित किया गया. 20 वर्ष पहले भी क्षेत्र में सर्वे की कार्रवाई की गई थी, लेकिन भारी विरोध के चलते सर्वे की कार्रवाई को रोक दिया गया था. लेकिन इस बार भाजपा सरकार में दरगाह संपर्क सड़क से लेकर अंदरकोट और आमा बावड़ी, मीठे नीम की दरगाह और तारागढ़ पर लक्ष्मी पोल गेट तक सर्वे किया गया. इसमें 700 बीघा के लगभग वन विभाग, 300 बीघा के करीब नगर निगम और 3 बीघा एडीए की भूमि चिन्हित की गई है. सर्वे में शामिल वन विभाग की टीम ने अपने क्षेत्र पर निशान भी लगाए है.

पढ़ें: अतिक्रमण हटाने का एक्शन प्लान पेश करो, वरना जेडीसी पेश होकर दें जवाब: राजस्थान हाईकोर्ट

पहाड़ी क्षेत्र पर बने हैं अवैध सैकड़ों मकान और दुकान: वन विभाग, नगर निगम और अदा की भूमि पर अतिक्रमण करके यहां सैकड़ों मकान और दुकान बना दी गई हैं. अवैध रूप से बसी आबादी के बावजूद यहां पक्की सड़क, बिजली पानी समेत तमाम मूलभूत सुविधाएं भी दी गई हैं. इन क्षेत्रों में 125 से अधिक दुकाने हैं. वन विभाग, नगर निगम, अदा सेटलमेंट विभाग, जिला प्रशासन और पुलिस के संयुक्त रूप से इलाके में किए गए सर्वे के दौरान अतिक्रमण भी चिन्हित किए गए हैं. अतिक्रमण को चिन्हित करने के लिए सर्वे टीम ने पीले निशान भी लगाए हैं. खास बात यह है कि कई लोगों ने पीले निशानों को मिटा भी दिया है.

पढ़ें: गृह जिले में मुख्यमंत्री भजनलाल का विरोध, अतिक्रमण पर कार्रवाई के खिलाफ व्यापारियों का प्रदर्शन

बांग्लादेशी और रोहिंग्या बसे, तैयार करवा लिए दस्तावेज: अवैध रूप से बसी आबादी में बड़ी संख्या में बांग्लादेशी और रोहिंग्या भी शामिल हैं. लंबे समय से यहां रहते हुए ऐसे लोगों ने आधार कार्ड, राशन कार्ड और वोटर आईडी तक बनवा लिए हैं. ऐसे में पुलिस वेरिफिकेशन के दौरान यह दस्तावेज उनके लिए ढाल बन जाते हैं. क्षेत्र में मादक पदार्थों की तस्करी भी वर्षों से होती आई है. कई बार तस्कर और बाहर से अपराध कर आने वाले लोगों के लिए यह क्षेत्र शरण स्थल बन जाता है.

पढ़ें: फोर लेन होगी सीकर की नवलगढ़ पुलिया, अतिक्रमण पर चला सरकारी 'हथौड़ा'

इनका कहना है: वन विभाग में डीएफओ सुगनाराम जाट ने बताया कि 4624 खसरा है जिसमें वन विभाग, नगर निगम और अजमेर विकास प्राधिकरण और कुछ खातेदारों की संयुक्त भूमि है. दरगाह के पिछले क्षेत्र में विभिन्न विभागों की संयुक्त टीम ने भूमि चिन्हीकरण का कार्य पूरा कर लिया है. उन्होंने बताया कि वन क्षेत्र का 700 बीघा का हिस्सा ऊपर की ओर आता है जबकि निचले क्षेत्र में 300 बीघा के लगभग नगर निगम का क्षेत्र है. डीएफओ जाट ने बताया कि वन क्षेत्र में जितने भी अतिक्रमण हैं, उन्हें चिन्हित कर उन्हें विधिक नोटिस भेजे जाएंगे और विधि सम्मत उनके खिलाफ कार्रवाई करेंगे.

अजमेर: अजमेर के दरगाह क्षेत्र के पीछे अतिक्रमण की बाढ़ सी आ रही है. स्थानीय लोगों के सहयोग से बाहरी लोग बड़ी संख्या में आकर बस गए और बाकायदा पहाड़ी क्षेत्र में मकान-दुकान भी बना लिए हैं. क्षेत्र में अतिक्रमण का मुद्दा हमेशा उठता आया है, लेकिन क्षेत्राधिकार और सीमांकन के चक्कर में वर्षों से मामला अटका ही रहा. मगर इस बार राजस्व, नगर निगम, अजमेर विकास प्राधिकरण और वन विभाग की संयुक्त सर्वे की कार्रवाई की गई. कार्रवाई मंगलवार को पूरी हो गई. सीमांकन होने के बाद अब विधिसमत अतिक्रमियों के खिलाफ कार्रवाई की तैयारी की जाएगी.

अजमेर दरगाह के पीछे अतिक्रमण पर कार्रवाई की तैयारी (ETV Bharat Ajmer)

अजमेर में वर्षों के बाद दरगाह के पिछले क्षेत्र में विभिन्न विभागों की ओर से संयुक्त सर्वे की कार्रवाई को अंजाम दिया गया. इस सर्वे के माध्यम से वन विभाग, नगर निगम, अजमेर विकास प्राधिकरण और निजी खातेदार की जमीन को चिन्हित किया गया. 20 वर्ष पहले भी क्षेत्र में सर्वे की कार्रवाई की गई थी, लेकिन भारी विरोध के चलते सर्वे की कार्रवाई को रोक दिया गया था. लेकिन इस बार भाजपा सरकार में दरगाह संपर्क सड़क से लेकर अंदरकोट और आमा बावड़ी, मीठे नीम की दरगाह और तारागढ़ पर लक्ष्मी पोल गेट तक सर्वे किया गया. इसमें 700 बीघा के लगभग वन विभाग, 300 बीघा के करीब नगर निगम और 3 बीघा एडीए की भूमि चिन्हित की गई है. सर्वे में शामिल वन विभाग की टीम ने अपने क्षेत्र पर निशान भी लगाए है.

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पहाड़ी क्षेत्र पर बने हैं अवैध सैकड़ों मकान और दुकान: वन विभाग, नगर निगम और अदा की भूमि पर अतिक्रमण करके यहां सैकड़ों मकान और दुकान बना दी गई हैं. अवैध रूप से बसी आबादी के बावजूद यहां पक्की सड़क, बिजली पानी समेत तमाम मूलभूत सुविधाएं भी दी गई हैं. इन क्षेत्रों में 125 से अधिक दुकाने हैं. वन विभाग, नगर निगम, अदा सेटलमेंट विभाग, जिला प्रशासन और पुलिस के संयुक्त रूप से इलाके में किए गए सर्वे के दौरान अतिक्रमण भी चिन्हित किए गए हैं. अतिक्रमण को चिन्हित करने के लिए सर्वे टीम ने पीले निशान भी लगाए हैं. खास बात यह है कि कई लोगों ने पीले निशानों को मिटा भी दिया है.

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बांग्लादेशी और रोहिंग्या बसे, तैयार करवा लिए दस्तावेज: अवैध रूप से बसी आबादी में बड़ी संख्या में बांग्लादेशी और रोहिंग्या भी शामिल हैं. लंबे समय से यहां रहते हुए ऐसे लोगों ने आधार कार्ड, राशन कार्ड और वोटर आईडी तक बनवा लिए हैं. ऐसे में पुलिस वेरिफिकेशन के दौरान यह दस्तावेज उनके लिए ढाल बन जाते हैं. क्षेत्र में मादक पदार्थों की तस्करी भी वर्षों से होती आई है. कई बार तस्कर और बाहर से अपराध कर आने वाले लोगों के लिए यह क्षेत्र शरण स्थल बन जाता है.

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इनका कहना है: वन विभाग में डीएफओ सुगनाराम जाट ने बताया कि 4624 खसरा है जिसमें वन विभाग, नगर निगम और अजमेर विकास प्राधिकरण और कुछ खातेदारों की संयुक्त भूमि है. दरगाह के पिछले क्षेत्र में विभिन्न विभागों की संयुक्त टीम ने भूमि चिन्हीकरण का कार्य पूरा कर लिया है. उन्होंने बताया कि वन क्षेत्र का 700 बीघा का हिस्सा ऊपर की ओर आता है जबकि निचले क्षेत्र में 300 बीघा के लगभग नगर निगम का क्षेत्र है. डीएफओ जाट ने बताया कि वन क्षेत्र में जितने भी अतिक्रमण हैं, उन्हें चिन्हित कर उन्हें विधिक नोटिस भेजे जाएंगे और विधि सम्मत उनके खिलाफ कार्रवाई करेंगे.

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