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गंगोत्री व यमुनोत्री धाम के कपाट बंद होने के बाद आज भी निभाई जाती है ये परंपरा, संजोने में लगे पुरोहित - CHARDHAM PUROHIT DESHATAN

उत्तराखंड में अक्सर अनूठी परंपराये देखने को मिलती है. उन्हीं में गंगोत्री व यमुनोत्री धाम के कपाट बंद होने के बाद निभाई जाती है.

Uttarakhand Chardham Yatra
गंगोत्री व यमुनोत्री धाम के पुरोहित करेंगे देशाटन (Photo-ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Dec 7, 2024, 8:35 AM IST

Updated : Dec 7, 2024, 11:53 AM IST

उत्तरकाशी: गंगोत्री और यमुनोत्री धाम के तीर्थ पुरोहित सदियों पुरानी देशाटन की परंपरा को आज भी निभा रहे हैं. दोनों धामों के कपाट बंद होने के बाद तीर्थ पुरोहित देशाटन पर निकलते हैं. इस दौरान वह यजमानों के घर पहुंचकर उन्हें गंगा व यमुना का जल भेंट करते हैं. साथ ही दोनों धामों का प्रसाद भी भेंट करते हैं. देशाटन में तीर्थ पुरोहित यजमानों को आगामी चारधाम यात्रा पर पधारने का भी न्योता देते हैं.

तीर्थ पुरोहितों की पीढ़ी परंपरा बढ़ा रही आगे: दरअसल, प्रतिवर्ष गंगोत्री और यमुनोत्री धाम के कपाट बंद होने के बाद देशाटन की प्रक्रिया शुरू होती है. यह वो परंपरा है, जो कि सदियों से चलती आ रही है. वर्तमान में जो भी तीर्थ पुरोहित हैं, कभी उनके पुरखे उस परंपरा को निभाते हुए देशभर में फैले अपने यजमानों तक पहुंचकर उनकी कुशलक्षेम के साथ उन्हें गंगा व यमुना जल के साथ प्रसाद पहुंचाया करते थे, आज वर्तमान तीर्थ पुरोहितों की पीढ़ी भी इस परंपरा को आगे बढ़ा रही है.

Chardham purohit
अतीत की परंपरा को आज भी निभा रहे तीर्थ पुरोहित (Photo-ETV Bharat)

देशाटन की यह प्रक्रिया माघ माह से होती है शुरू: यह परंपरा इसलिए भी महत्वपूर्ण है कि क्योंकि जब छह माह तक धाम के कपाट खुले रहते हैं तो दान दक्षिणा से तीर्थ पुरोहितों की आजीविका चलती है. लेकिन धाम के कपाट बंद होने के बाद देशाटन से ही तीर्थ पुरोहितों को दान दक्षिणा प्राप्त हो पाती है. गंगोत्री धाम के तीर्थ पुरोहित राजेश सेमवाल बताते हैं कि देशाटन की यह प्रक्रिया माघ माह से शुरू होती है. इस माह को धार्मिक कार्यों की शुरुआत के लिए शुभ माना जाता है.

Uttarakhand Chardham
उत्तराखंड गंगोत्री धाम (Photo-ETV Bharat)

चारधाम यात्रा के लिए किया जाएगा आमंत्रित: राजेश सेमवाल ने आगे बताया कि देशाटन में वह देशभर में फैले अपने यजमानों तक पहुंचते हैं, उन्हें गंगा जल व प्रसाद भेंट करते हैं. साथ ही उन्हें कपाटोद्घाटन पर धाम आने का न्योता देते हैं. यह सनातन हिंदू धर्म के साथ धामों के प्रचार-प्रसार का भी बड़ा माध्यम है. जिससे तीर्थ पुरोहित और यजमान आज भी अतीत की इस परंपरा को निभा रहे हैं. जिससे आने वाली पीढ़ी भी इससे रूबरू हो सके.

Uttarakhand Chardham
उत्तराखंड यमुनोत्री धाम (Photo-ETV Bharat)

प्रसाद के रूप में दिए जाएंगे सूर्य कुंड में पकाए चावल: वहीं यमुनोत्री पुरोहित महासभा अध्यक्ष पुरुषोत्तम उनियाल, मंदिर समिति के उपाध्यक्ष राजस्वरूप उनियाल, मनमोहन उनियाल, अमित उनियाल ने बताया कि पौष माघ की संक्रांति पर शनिदेव समेश्वर महाराज मंदिर के कपाट बंद होने के बाद वह देशभर में देशाटन शुरू करेंगे. जिसमें यजमानों को यमुना जल के साथ धाम में पोटली में बांधकर सूर्य कुंड में पकाए गए चावल का प्रसाद भी भेंट किया जाएगा. साथ ही उन्हें आगामी चारधाम यात्रा पर आमंत्रित किया जाएगा.

पढ़ें-8 दिसंबर से होगा शीतकालीन चारधाम यात्रा का आगाज, सीएम धामी करेंगे शुभारंभ, ओंकारेश्वर मंदिर में होगी पूजा

उत्तरकाशी: गंगोत्री और यमुनोत्री धाम के तीर्थ पुरोहित सदियों पुरानी देशाटन की परंपरा को आज भी निभा रहे हैं. दोनों धामों के कपाट बंद होने के बाद तीर्थ पुरोहित देशाटन पर निकलते हैं. इस दौरान वह यजमानों के घर पहुंचकर उन्हें गंगा व यमुना का जल भेंट करते हैं. साथ ही दोनों धामों का प्रसाद भी भेंट करते हैं. देशाटन में तीर्थ पुरोहित यजमानों को आगामी चारधाम यात्रा पर पधारने का भी न्योता देते हैं.

तीर्थ पुरोहितों की पीढ़ी परंपरा बढ़ा रही आगे: दरअसल, प्रतिवर्ष गंगोत्री और यमुनोत्री धाम के कपाट बंद होने के बाद देशाटन की प्रक्रिया शुरू होती है. यह वो परंपरा है, जो कि सदियों से चलती आ रही है. वर्तमान में जो भी तीर्थ पुरोहित हैं, कभी उनके पुरखे उस परंपरा को निभाते हुए देशभर में फैले अपने यजमानों तक पहुंचकर उनकी कुशलक्षेम के साथ उन्हें गंगा व यमुना जल के साथ प्रसाद पहुंचाया करते थे, आज वर्तमान तीर्थ पुरोहितों की पीढ़ी भी इस परंपरा को आगे बढ़ा रही है.

Chardham purohit
अतीत की परंपरा को आज भी निभा रहे तीर्थ पुरोहित (Photo-ETV Bharat)

देशाटन की यह प्रक्रिया माघ माह से होती है शुरू: यह परंपरा इसलिए भी महत्वपूर्ण है कि क्योंकि जब छह माह तक धाम के कपाट खुले रहते हैं तो दान दक्षिणा से तीर्थ पुरोहितों की आजीविका चलती है. लेकिन धाम के कपाट बंद होने के बाद देशाटन से ही तीर्थ पुरोहितों को दान दक्षिणा प्राप्त हो पाती है. गंगोत्री धाम के तीर्थ पुरोहित राजेश सेमवाल बताते हैं कि देशाटन की यह प्रक्रिया माघ माह से शुरू होती है. इस माह को धार्मिक कार्यों की शुरुआत के लिए शुभ माना जाता है.

Uttarakhand Chardham
उत्तराखंड गंगोत्री धाम (Photo-ETV Bharat)

चारधाम यात्रा के लिए किया जाएगा आमंत्रित: राजेश सेमवाल ने आगे बताया कि देशाटन में वह देशभर में फैले अपने यजमानों तक पहुंचते हैं, उन्हें गंगा जल व प्रसाद भेंट करते हैं. साथ ही उन्हें कपाटोद्घाटन पर धाम आने का न्योता देते हैं. यह सनातन हिंदू धर्म के साथ धामों के प्रचार-प्रसार का भी बड़ा माध्यम है. जिससे तीर्थ पुरोहित और यजमान आज भी अतीत की इस परंपरा को निभा रहे हैं. जिससे आने वाली पीढ़ी भी इससे रूबरू हो सके.

Uttarakhand Chardham
उत्तराखंड यमुनोत्री धाम (Photo-ETV Bharat)

प्रसाद के रूप में दिए जाएंगे सूर्य कुंड में पकाए चावल: वहीं यमुनोत्री पुरोहित महासभा अध्यक्ष पुरुषोत्तम उनियाल, मंदिर समिति के उपाध्यक्ष राजस्वरूप उनियाल, मनमोहन उनियाल, अमित उनियाल ने बताया कि पौष माघ की संक्रांति पर शनिदेव समेश्वर महाराज मंदिर के कपाट बंद होने के बाद वह देशभर में देशाटन शुरू करेंगे. जिसमें यजमानों को यमुना जल के साथ धाम में पोटली में बांधकर सूर्य कुंड में पकाए गए चावल का प्रसाद भी भेंट किया जाएगा. साथ ही उन्हें आगामी चारधाम यात्रा पर आमंत्रित किया जाएगा.

पढ़ें-8 दिसंबर से होगा शीतकालीन चारधाम यात्रा का आगाज, सीएम धामी करेंगे शुभारंभ, ओंकारेश्वर मंदिर में होगी पूजा

Last Updated : Dec 7, 2024, 11:53 AM IST
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