ETV Bharat / state

चमोली के अधिवक्ता बोले- हाईकोर्ट के लिए गैरसैंण उपयुक्त जगह, बताया गढ़वाल और कुमाऊं का केंद्र बिंदू - Nainital High Court Shifting

Chamoli Advocates On HC Shifting in Gairsain, Uttarakhand High Court Shift चमोली के अधिवक्ताओं ने हाईकोर्ट को लेकर अपनी राय रखी है. उन्होंने गैरसैंण को हाईकोर्ट के लिए उपयुक्त जगह बताया है. उन्होंने इसकी वजह गढ़वाल और कुमाऊं का केंद्र बिंदु होना बताया है. साथ ही कहा कि गैरसैंण राज्यवासियों की भावनाओं से जुड़ा है.

Chamoli Advocates On HC Shifting in Gairsain
चमोली के अधिवक्ताओं की राय (फोटो- ईटीवी भारत)
author img

By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : May 17, 2024, 5:23 PM IST

चमोली: उत्तराखंड में हाईकोर्ट को नैनीताल से दूसरी जगह शिफ्ट करने का मामला सुर्खियों में है. बीती 8 मई को मुख्य न्यायाधीश रितु बाहरी और न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ ने एक आदेश पारित किया. जिसमें हाईकोर्ट को नैनीताल से अन्यत्र शिफ्ट करने आवश्यक बताया और सरकार से एक महीने के भीतर जगह का चयन करने के आदेश दिए. जिस पर चमोली के अधिवक्ताओं ने अपनी राय रखी है. उनका कहना है कि गैरसैंण गढ़वाल और कुमाऊं का केंद्र बिंदू हैं. ऐसे में हाईकोर्ट के गैरसैंण शिफ्ट करने पर दोनों मंडलों के लोगों को सहूलियत मिलेगी.

गैरसैंण में हाईकोर्ट बनाने की मांग: चमोली के वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश पुजारी का कहना है कि नैनीताल एक हिल और पर्यटन स्थल है. जहां पर लाखों की संख्या में हर साल पर्यटक घूमने पहुंचते हैं, जिसके चलते कहीं न कहीं हाईकोर्ट में जाने वाले अधिवक्ताओं और वादियों को वहां पर रहना आसान नहीं है. उन्होंने ये भी कहा कि उत्तराखंड के परिपेक्ष्य में गैरसैंण सबसे बढ़िया जगह हो सकती है. जहां पर वर्तमान समय में करीब 6 हजार नाली जमीन उपलब्ध है, जिस पर उत्तराखंड का हाईकोर्ट बनाया जा सकता है.

गढ़वाल और कुमाऊं का केंद्र बिंदू है गैरसैंण: वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश पुजारी ने कहा कि गैरसैंण राजधानी को लेकर पूरे उत्तराखंड का जनमानस एक है तो फिर गैरसैण में हाईकोर्ट को लेकर भी किसी के मन में कोई शंका नहीं होगी. क्योंकि, गढ़वाल और कुमाऊं के केंद्र बिंदू में गैरसैंण है. उन्होंने कहा कि उत्तराखंड पर्वतीय राज्य है और यहां का हाईकोर्ट अगर पहाड़ी जिले में होता है तो यह उत्तराखंड की परिपेक्ष्य में सही होगा. उन्होंने कहा कि पूर्वोत्तर राज्यों में दो सर्किट और तीन हाईकोर्ट की बेंच बनी है तो यहां क्यों नहीं हो सकती है.

उन्होंने कहा कि अभी मामले में कोई निर्णय नहीं हुआ है, लेकिन जबरदस्ती राजनीतिक तूल दिया जा रहा है. जो पूरी तरह से गलत है. गौर हो कि हाईकोर्ट को नैनीताल से शिफ्ट करने की कवायद चल रही है. इसके लिए हल्द्वानी के गौलापार क्षेत्र में जमीन भी देख ली गई, लेकिन मुख्य न्यायाधीश रितु बाहरी और न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ ने मामले में सुनवाई के दौरान कहा कि गौलापार में जहां हाईकोर्ट के लिए जमीन चिन्हित की गई है, वहां पर करीब 75 फीसदी वन भूमि है, साथ ही घना जंगल भी है.

हां पेड़ काटने के बाद हाईकोर्ट की स्थापना उचित नहीं है. जिसके बाद अब उत्तराखंड के मुख्य सचिव को एक महीने के भीतर हाईकोर्ट के लिए उचित स्थान बताने को कहा गया है. यह सुनवाई बीती 8 मई को हुई थी. उधर, ऋषिकेश के आईडीपीएल में हाईकोर्ट की बेंच बनाने की बात कही गई, लेकिन बार एसोसिएशन विरोध में उतर आया. जिस पर मुख्य न्यायाधीश ने खुद ही हाईकोर्ट के लिए उचित स्थान बताने को कहा.

संबंधित खबरें पढ़ें-

चमोली: उत्तराखंड में हाईकोर्ट को नैनीताल से दूसरी जगह शिफ्ट करने का मामला सुर्खियों में है. बीती 8 मई को मुख्य न्यायाधीश रितु बाहरी और न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ ने एक आदेश पारित किया. जिसमें हाईकोर्ट को नैनीताल से अन्यत्र शिफ्ट करने आवश्यक बताया और सरकार से एक महीने के भीतर जगह का चयन करने के आदेश दिए. जिस पर चमोली के अधिवक्ताओं ने अपनी राय रखी है. उनका कहना है कि गैरसैंण गढ़वाल और कुमाऊं का केंद्र बिंदू हैं. ऐसे में हाईकोर्ट के गैरसैंण शिफ्ट करने पर दोनों मंडलों के लोगों को सहूलियत मिलेगी.

गैरसैंण में हाईकोर्ट बनाने की मांग: चमोली के वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश पुजारी का कहना है कि नैनीताल एक हिल और पर्यटन स्थल है. जहां पर लाखों की संख्या में हर साल पर्यटक घूमने पहुंचते हैं, जिसके चलते कहीं न कहीं हाईकोर्ट में जाने वाले अधिवक्ताओं और वादियों को वहां पर रहना आसान नहीं है. उन्होंने ये भी कहा कि उत्तराखंड के परिपेक्ष्य में गैरसैंण सबसे बढ़िया जगह हो सकती है. जहां पर वर्तमान समय में करीब 6 हजार नाली जमीन उपलब्ध है, जिस पर उत्तराखंड का हाईकोर्ट बनाया जा सकता है.

गढ़वाल और कुमाऊं का केंद्र बिंदू है गैरसैंण: वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश पुजारी ने कहा कि गैरसैंण राजधानी को लेकर पूरे उत्तराखंड का जनमानस एक है तो फिर गैरसैण में हाईकोर्ट को लेकर भी किसी के मन में कोई शंका नहीं होगी. क्योंकि, गढ़वाल और कुमाऊं के केंद्र बिंदू में गैरसैंण है. उन्होंने कहा कि उत्तराखंड पर्वतीय राज्य है और यहां का हाईकोर्ट अगर पहाड़ी जिले में होता है तो यह उत्तराखंड की परिपेक्ष्य में सही होगा. उन्होंने कहा कि पूर्वोत्तर राज्यों में दो सर्किट और तीन हाईकोर्ट की बेंच बनी है तो यहां क्यों नहीं हो सकती है.

उन्होंने कहा कि अभी मामले में कोई निर्णय नहीं हुआ है, लेकिन जबरदस्ती राजनीतिक तूल दिया जा रहा है. जो पूरी तरह से गलत है. गौर हो कि हाईकोर्ट को नैनीताल से शिफ्ट करने की कवायद चल रही है. इसके लिए हल्द्वानी के गौलापार क्षेत्र में जमीन भी देख ली गई, लेकिन मुख्य न्यायाधीश रितु बाहरी और न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ ने मामले में सुनवाई के दौरान कहा कि गौलापार में जहां हाईकोर्ट के लिए जमीन चिन्हित की गई है, वहां पर करीब 75 फीसदी वन भूमि है, साथ ही घना जंगल भी है.

हां पेड़ काटने के बाद हाईकोर्ट की स्थापना उचित नहीं है. जिसके बाद अब उत्तराखंड के मुख्य सचिव को एक महीने के भीतर हाईकोर्ट के लिए उचित स्थान बताने को कहा गया है. यह सुनवाई बीती 8 मई को हुई थी. उधर, ऋषिकेश के आईडीपीएल में हाईकोर्ट की बेंच बनाने की बात कही गई, लेकिन बार एसोसिएशन विरोध में उतर आया. जिस पर मुख्य न्यायाधीश ने खुद ही हाईकोर्ट के लिए उचित स्थान बताने को कहा.

संबंधित खबरें पढ़ें-

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.