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इस साल बेहद कठिन होने वाली है श्रीखंड महादेव यात्रा, प्रशासन की टीम ने किया रूट का निरीक्षण - Shrikhand Mahadev route inspection - SHRIKHAND MAHADEV ROUTE INSPECTION

Shrikhand Mahadev route inspection: श्रीखंड महादेव यात्रा रूट का निरीक्षण करने गई प्रशासन की टीम रास्ते की जांच कर वापस लौट आई है. इस वर्ष श्रीखंड महादेव की यात्रा को लेकर 19 जून को उपायुक्त कुल्लू की अध्यक्षता में बैठक होगी.

inspection Shrikhand Mahadev route
जिला प्रशासन की टीम ने श्रीखंड महादेव यात्रा के रूट का किया निरीक्षण (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Jun 12, 2024, 3:38 PM IST

कुल्लू: श्रीखंड महादेव यात्रा इस बार बीते साल की अपेक्षा बेहद कठिन है. श्रीखंड महादेव के रास्ते में बर्फ अभी तक पिघली नहीं है और पार्वती बाग के आगे लगातार ग्लेशियर ही ग्लेशियर है. ऐसे में रास्तों की जांच करने के लिए श्रीखंड गई प्रशासन की टीम अब वापस लौट आई है.

टीम के सदस्यों ने बताया कि इस बार बीते साल की अपेक्षा यात्रा कठिन है. पार्वती बाग तक रास्ते ठीक हैं. इससे आगे रास्ते खराब हैं कई जगह पर रास्तों का नामोनिशान नहीं है. इसमें कुंशा, नैन सरोवर, भीमबही के पास पूरा रास्ता क्षतिग्रस्त हो गया है. इसके अलावा हर बार की तरह यात्रा करने के दो रास्ते हैं. एक रास्ते में सीधे खड़े ग्लेशियर पर चलकर जाना होता है जो बेहद खतरनाक है. यहां पर हल्का सा पांव फिसला तो जान जा सकती है.

दूसरा रास्ता लंबा पड़ता है पर उसमें भी बर्फ अधिक है. 35 किलोमीटर की पैदल श्रीखंड महादेव यात्रा कर पाना आसान नहीं है. इसमें कई जगहों पर पगडंडियों को पार कर महादेव के दर्शन करने होते हैं. आठ सदस्यों की टीम प्रशासन को अब अपनी रिपोर्ट सौंपेगी. इसमें बताया जाएगा कि कहां-कहां रास्ता बनाने की जरूरत है. इसके अलावा ग्लेशियरों में रास्ता तैयार करना होगा तभी यात्रा सुगम हो सकती है.

Shrikhand Mahadev
श्रीखंड महादेव यात्रा (ETV Bharat File photo)

ऑक्सीजन की रहती है कमी:

18,570 फीट की उंचाई पर स्थित श्रीखंड महादेव तक पहुंचने के लिए रास्ते में कई जगहों पर जंगली जड़ी-बूटियां मिलती हैं. इस कारण यहां पर ऑक्सीजन की कमी भी होती है. यात्रा के दौरान नशीले पदार्थ को ले जाने पर पूर्ण रूप से मनाही है. इसके बावजूद भी यात्रा पर जाने के लिए कुछ लोग नशीले पदार्थ को साथ ले जाते हैं.

ऐसे पहुंचा जा सकता है श्रीखंड महादेव:

श्रीखंड महादेव पहुंचने के लिए कुल्लू जिला के निरमंड होकर बागीपुल और जाओं तक छोटे वाहनों और बसों में पहुंचा जा सकता है जहां से आगे करीब 35 किलोमीटर की दूरी पैदल तय करनी होती है. शिमला से रामपुर- 130 किलोमीटर, रामपुर से निरमंड-17 किलोमीटर, निरमंड से बागीपुल 17 किलोमीटर, बागीपुल से जाओं करीब 12 किलोमीटर दूर हैं.

श्रीखंड महादेव यात्रा शुरू होने से पहले ही नियमों को श्रद्धालु ठेंगा दिखा रहे हैं. प्रशासनिक तौर पर यात्रा शुरू होने से पहले ही श्रद्धालु श्रीखंड महादेव की यात्रा कर रहे हैं. मार्ग में भारी हिमपात के कारण जगह-जगह ग्लेशियर जमे हैं जिस कारण यात्रा करना जोखिम भरा बना हुआ है. हालांकि जिला प्रशासन की ओर से करवाई जाने वाली श्रीखंड महादेव यात्रा की अभी आधिकारिक रूप से तिथि भी निर्धारित नहीं की गई है. इसके बावजूद भी लोग चोरी छिपे यात्रा कर रहे हैं.

श्रीखंड महादेव में रास्तों और ग्लेशियरों की जांच के लिए भेजी टीम को कई लोग यात्रा पर मिले हैं. कुछ लोगों को उन्होंने वापस लौटाया जबकि कुछ लोग यात्रा कर रहे हैं. इसमें अन्य राज्यों से आए हुए एक श्रद्धालु का पांव भी फिसल गया था जिसके बाद साथ में आए लोगों ने युवक को बचा लिया.

साल 2023 में भी राजस्थान के श्रद्धालु की नैन सरोवर के पास बर्फ में पांव फिसलने से मौत हो गई थी. साल 2011 से अब तक श्रीखंड महादेव यात्रा पर 41 श्रद्धालुओं की मौत हो चुकी है. हर साल इस यात्रा में कई लोगों की जान जाती है. इसके बावजूद भी लोग जान जोखिम में डालकर यात्रा करते हैं.

हर वर्ष प्रशासन की देखरेख में श्रीखंड यात्रा ट्रस्ट की ओर से जुलाई महीने में यात्रा का संचालन किया जाता है. इस यात्रा में प्रदेश व देश के विभिन्न राज्यों से हजारों श्रद्धालु भगवान शिव के दर्शन करने के लिए पहुंचते हैं. श्रद्धालु 35 किलोमीटर की कठिन चढ़ाई चढ़कर 18,570 फीट ऊंचाई पर स्थित शिवलिंग के दर्शन करते हैं.

इस वर्ष श्रीखंड की यात्रा को लेकर 19 जून को उपायुक्त कुल्लू की ओर से प्रस्तावित पहली बैठक होनी है. इस बार 14 से 28 जुलाई तक श्रीखंड महादेव की यात्रा करने का विचार है. ऐसे में 19 जून को यात्रा को लेकर कई अहम निर्णय लिए जाएंगे. यात्रा के लिए जाने वाले रास्तों की स्थित पर चर्चा की जाएगी. इसके बाद यात्रा करवाने का प्रशासन निर्णय लेगा. यह जानकारी उपायुक्त कुल्लू तोरूल एस रवीश ने दी है.

इसके अलावा एसडीएम निरमंड मनमोहन सिंह ने जानकारी देते हुए कहा श्रीखंड महादेव यात्रा पर गई प्रशासन के आठ सदस्यों की टीम ने रिपोर्ट तैयार की है. इसके बाद रिपोर्ट उपायुक्त कुल्लू को भेजी जाएगी. रास्ते की मरम्मत कर यात्रा को सुगम बनाने का प्रयास किया जाएगा.

ये भी पढ़ें: लाहौल घाटी में सैलानी को स्टंटबाजी पड़ी भारी, चंद्रा नदी में फंसी गाड़ी, जानें फिर क्या हुआ

कुल्लू: श्रीखंड महादेव यात्रा इस बार बीते साल की अपेक्षा बेहद कठिन है. श्रीखंड महादेव के रास्ते में बर्फ अभी तक पिघली नहीं है और पार्वती बाग के आगे लगातार ग्लेशियर ही ग्लेशियर है. ऐसे में रास्तों की जांच करने के लिए श्रीखंड गई प्रशासन की टीम अब वापस लौट आई है.

टीम के सदस्यों ने बताया कि इस बार बीते साल की अपेक्षा यात्रा कठिन है. पार्वती बाग तक रास्ते ठीक हैं. इससे आगे रास्ते खराब हैं कई जगह पर रास्तों का नामोनिशान नहीं है. इसमें कुंशा, नैन सरोवर, भीमबही के पास पूरा रास्ता क्षतिग्रस्त हो गया है. इसके अलावा हर बार की तरह यात्रा करने के दो रास्ते हैं. एक रास्ते में सीधे खड़े ग्लेशियर पर चलकर जाना होता है जो बेहद खतरनाक है. यहां पर हल्का सा पांव फिसला तो जान जा सकती है.

दूसरा रास्ता लंबा पड़ता है पर उसमें भी बर्फ अधिक है. 35 किलोमीटर की पैदल श्रीखंड महादेव यात्रा कर पाना आसान नहीं है. इसमें कई जगहों पर पगडंडियों को पार कर महादेव के दर्शन करने होते हैं. आठ सदस्यों की टीम प्रशासन को अब अपनी रिपोर्ट सौंपेगी. इसमें बताया जाएगा कि कहां-कहां रास्ता बनाने की जरूरत है. इसके अलावा ग्लेशियरों में रास्ता तैयार करना होगा तभी यात्रा सुगम हो सकती है.

Shrikhand Mahadev
श्रीखंड महादेव यात्रा (ETV Bharat File photo)

ऑक्सीजन की रहती है कमी:

18,570 फीट की उंचाई पर स्थित श्रीखंड महादेव तक पहुंचने के लिए रास्ते में कई जगहों पर जंगली जड़ी-बूटियां मिलती हैं. इस कारण यहां पर ऑक्सीजन की कमी भी होती है. यात्रा के दौरान नशीले पदार्थ को ले जाने पर पूर्ण रूप से मनाही है. इसके बावजूद भी यात्रा पर जाने के लिए कुछ लोग नशीले पदार्थ को साथ ले जाते हैं.

ऐसे पहुंचा जा सकता है श्रीखंड महादेव:

श्रीखंड महादेव पहुंचने के लिए कुल्लू जिला के निरमंड होकर बागीपुल और जाओं तक छोटे वाहनों और बसों में पहुंचा जा सकता है जहां से आगे करीब 35 किलोमीटर की दूरी पैदल तय करनी होती है. शिमला से रामपुर- 130 किलोमीटर, रामपुर से निरमंड-17 किलोमीटर, निरमंड से बागीपुल 17 किलोमीटर, बागीपुल से जाओं करीब 12 किलोमीटर दूर हैं.

श्रीखंड महादेव यात्रा शुरू होने से पहले ही नियमों को श्रद्धालु ठेंगा दिखा रहे हैं. प्रशासनिक तौर पर यात्रा शुरू होने से पहले ही श्रद्धालु श्रीखंड महादेव की यात्रा कर रहे हैं. मार्ग में भारी हिमपात के कारण जगह-जगह ग्लेशियर जमे हैं जिस कारण यात्रा करना जोखिम भरा बना हुआ है. हालांकि जिला प्रशासन की ओर से करवाई जाने वाली श्रीखंड महादेव यात्रा की अभी आधिकारिक रूप से तिथि भी निर्धारित नहीं की गई है. इसके बावजूद भी लोग चोरी छिपे यात्रा कर रहे हैं.

श्रीखंड महादेव में रास्तों और ग्लेशियरों की जांच के लिए भेजी टीम को कई लोग यात्रा पर मिले हैं. कुछ लोगों को उन्होंने वापस लौटाया जबकि कुछ लोग यात्रा कर रहे हैं. इसमें अन्य राज्यों से आए हुए एक श्रद्धालु का पांव भी फिसल गया था जिसके बाद साथ में आए लोगों ने युवक को बचा लिया.

साल 2023 में भी राजस्थान के श्रद्धालु की नैन सरोवर के पास बर्फ में पांव फिसलने से मौत हो गई थी. साल 2011 से अब तक श्रीखंड महादेव यात्रा पर 41 श्रद्धालुओं की मौत हो चुकी है. हर साल इस यात्रा में कई लोगों की जान जाती है. इसके बावजूद भी लोग जान जोखिम में डालकर यात्रा करते हैं.

हर वर्ष प्रशासन की देखरेख में श्रीखंड यात्रा ट्रस्ट की ओर से जुलाई महीने में यात्रा का संचालन किया जाता है. इस यात्रा में प्रदेश व देश के विभिन्न राज्यों से हजारों श्रद्धालु भगवान शिव के दर्शन करने के लिए पहुंचते हैं. श्रद्धालु 35 किलोमीटर की कठिन चढ़ाई चढ़कर 18,570 फीट ऊंचाई पर स्थित शिवलिंग के दर्शन करते हैं.

इस वर्ष श्रीखंड की यात्रा को लेकर 19 जून को उपायुक्त कुल्लू की ओर से प्रस्तावित पहली बैठक होनी है. इस बार 14 से 28 जुलाई तक श्रीखंड महादेव की यात्रा करने का विचार है. ऐसे में 19 जून को यात्रा को लेकर कई अहम निर्णय लिए जाएंगे. यात्रा के लिए जाने वाले रास्तों की स्थित पर चर्चा की जाएगी. इसके बाद यात्रा करवाने का प्रशासन निर्णय लेगा. यह जानकारी उपायुक्त कुल्लू तोरूल एस रवीश ने दी है.

इसके अलावा एसडीएम निरमंड मनमोहन सिंह ने जानकारी देते हुए कहा श्रीखंड महादेव यात्रा पर गई प्रशासन के आठ सदस्यों की टीम ने रिपोर्ट तैयार की है. इसके बाद रिपोर्ट उपायुक्त कुल्लू को भेजी जाएगी. रास्ते की मरम्मत कर यात्रा को सुगम बनाने का प्रयास किया जाएगा.

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