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बच्चों के हित में KK पाठक का सबसे बड़ा फैसला, अब सरकारी स्कूल में बोरे पर नहीं बैठेंगे बच्चे

Bihar Government School: आजादी के 77 साल के इतिहास में बिहार के शिक्षा विभाग ने बच्चों के हित में अब तक का सबसे बड़ा फैसला लिया है. विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक ने सभी विद्यालयों के लिए स्पष्ट निर्देश दिया है कि 1 अप्रैल से किसी भी स्कूल में बच्चे बोरे पर पढ़ाई करते हुए नहीं दिखने चाहिए. पढ़ें पूरी खबर..

KK पाठक का सबसे बड़ा फैसला
KK पाठक का सबसे बड़ा फैसला
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Feb 9, 2024, 2:41 PM IST

बच्चों के हित में KK पाठक का सबसे बड़ा फैसला

पटनाः राज्य के अधिकतर प्राथमिक और मध्य विद्यालयों में बच्चों की संख्या के हिसाब से बेंच और डेस्क का अभाव है. कई स्कूलों में तो बेंच ही नहीं. आए दिन ऐसी तस्वीर सामने आती है कि चाहे सर्दी मौसम हो या जेठ की तपती धूप, सरकारी विद्यालय में बच्चे बोरे पर पढ़ाई कर रहे हैं. लेकिन नए शैक्षणिक सत्र यानी 1 अप्रैल से अब ऐसी तस्वीर नहीं दिखेगी.

बच्चों के हित में केके पाठक का फैसलाः शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक ने सभी विद्यालयों के लिए स्पष्ट निर्देश दे दिया है कि 1 अप्रैल से किसी भी विद्यालय में बच्चे बोरे पर पढ़ाई नहीं करेंगे. अगर किसी भी स्कूल में ऐसा होता है तो उस विद्यालय के प्रधानाध्यापक या प्रधानाचार्य पर कार्रवाई होगी. केके पाठक की तरफ से जारी आदेश में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि क्लास एक से लेकर 12 वीं तक का कोई भी बच्चा फर्श पर बैठकर पढ़ाई नहीं करेगा.

न

फर्नीचर के लिए 700 करोड़ रुपये आवंटितः दरअस शिक्षा विभाग ने स्कूलों में फर्नीचर उपलब्ध कराने के लिए 700 करोड़ रुपए की राशि स्वीकृत करते हुए सभी जिलों को आवंटित कर दी है. इससे पहले 200 करोड़ की राशि इस मद में जारी हो चुकी है. यह राशि टूटे-फूटे बेंच को दुरुस्त करने के लिए जारी हुई थी. विभाग ने इस काम के लिए प्रखंड स्तर पर जूनियर इंजीनियर को जिम्मेदारी दी है कि विद्यालयों में बेंच डेस्क की गुणवत्ता की जांच करें.

जिले के डीएम को ध्यान रखने का निर्देशः विभाग के निर्देश पर तमाम विद्यालयों के प्रधानाध्यापक अपने जिला में डीईओ को इस बात की जानकारी उपलब्ध करा रहे हैं कि उनके यहां कितने बेंच की जरूरत है और कितने बेंच खराब हो चुके हैं. जिन्हें बदलने की आवश्यकता है. वेंडरों को फर्नीचर उपलब्ध कराने के लिए अधिकृत भी कर दिया गया है. केके पाठक ने सभी जिलाधिकारियों को इस पर ध्यान रखने को कहा है.

न

"स्कूलों में फर्नीचर गुणवत्ता वाला होना चाहिए और इसकी आपूर्ति हर हाल में 15 मार्च 2024 से पहले हो जानी चाहिए, ताकि 1 अप्रैल से विद्यालय में बच्चों को बैठने के लिए बेंच डेस्क की कमी ना हो. 1 अप्रैल से किसी भी स्कूल में बच्चे बोरे पर पढ़ाई करते हुए नहीं दिखने चाहिए, ऐसा हुआ तो स्कूल के प्रधानाध्यापक या प्रधानाचार्य पर सख्त कार्रवाई होगी"- केके पाठक, एसीएस

स्कूलों में दिख रहा आदेश का असरः केके पाठक के इस निर्देश का असर पटना के विद्यालयों में भी देखने को मिल रहा है. पटना के बुद्धा कॉलोनी थाना क्षेत्र अंतर्गत मध्य विद्यालय नवीन आरक्षित केंद्र में जहां साल भर पूर्व बच्चे बोरे पर बैठकर पढ़ाई करते थे, वही काफी संख्या में विद्यालय में अब नई बेंच डेस्क आने के कारण बच्चों को बोरा पर बैठकर पढ़ाई नहीं करनी पड़ रही. विद्यालय के प्रधानाचार्य वीरेंद्र सिंह ने बताया कि काफी संख्या में नई बेंच डेस्क आए हैं.

न

"विद्यार्थियों की संख्या के अनुरूप अभी और बेंच डेस्क चाहिए. कई पुराने बेंच डेस्क इस कदर खराब हो गए हैं अब वह मेंटेन नहीं हो सकते हैं. जिला शिक्षा पदाधिकारी को 30 जोड़ी बेंच-डेस्क की विद्यालय में आपूर्ति के लिए पत्र लिखा है"- वीरेंद्र सिंह, प्रधानाचार्य , मध्य विद्यालय

काफी दुरुस्त हुए हैं स्कूल के इंफ्रास्ट्रक्चरः वीरेंद्र सिंह ने बताया कि उनके विद्यालय में चार अन्य प्राथमिक विद्यालय चलते हैं और कुल पांच विद्यालय चलते हैं. मूल विद्यालय उनका है और उनके विद्यालय में 318 बच्चे पढ़ाई करते हैं. हाल ही में विद्यालय का रंग रोगन भी हुआ है और सभी ब्लैक बोर्ड का कालिकरण हो चुका है. हाल के दिनों में पेरेंट्स टीचर मीट के कारण भी बच्चों की उपस्थिति बढ़ी है. इंफ्रास्ट्रक्चर काफी दुरुस्त है लेकिन जो कुछ कमियां है वह भी दूर की जा रही है.

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बच्चों के हित में केके पाठक का फैसलाः शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक ने सभी विद्यालयों के लिए स्पष्ट निर्देश दे दिया है कि 1 अप्रैल से किसी भी विद्यालय में बच्चे बोरे पर पढ़ाई नहीं करेंगे. अगर किसी भी स्कूल में ऐसा होता है तो उस विद्यालय के प्रधानाध्यापक या प्रधानाचार्य पर कार्रवाई होगी. केके पाठक की तरफ से जारी आदेश में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि क्लास एक से लेकर 12 वीं तक का कोई भी बच्चा फर्श पर बैठकर पढ़ाई नहीं करेगा.

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फर्नीचर के लिए 700 करोड़ रुपये आवंटितः दरअस शिक्षा विभाग ने स्कूलों में फर्नीचर उपलब्ध कराने के लिए 700 करोड़ रुपए की राशि स्वीकृत करते हुए सभी जिलों को आवंटित कर दी है. इससे पहले 200 करोड़ की राशि इस मद में जारी हो चुकी है. यह राशि टूटे-फूटे बेंच को दुरुस्त करने के लिए जारी हुई थी. विभाग ने इस काम के लिए प्रखंड स्तर पर जूनियर इंजीनियर को जिम्मेदारी दी है कि विद्यालयों में बेंच डेस्क की गुणवत्ता की जांच करें.

जिले के डीएम को ध्यान रखने का निर्देशः विभाग के निर्देश पर तमाम विद्यालयों के प्रधानाध्यापक अपने जिला में डीईओ को इस बात की जानकारी उपलब्ध करा रहे हैं कि उनके यहां कितने बेंच की जरूरत है और कितने बेंच खराब हो चुके हैं. जिन्हें बदलने की आवश्यकता है. वेंडरों को फर्नीचर उपलब्ध कराने के लिए अधिकृत भी कर दिया गया है. केके पाठक ने सभी जिलाधिकारियों को इस पर ध्यान रखने को कहा है.

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"स्कूलों में फर्नीचर गुणवत्ता वाला होना चाहिए और इसकी आपूर्ति हर हाल में 15 मार्च 2024 से पहले हो जानी चाहिए, ताकि 1 अप्रैल से विद्यालय में बच्चों को बैठने के लिए बेंच डेस्क की कमी ना हो. 1 अप्रैल से किसी भी स्कूल में बच्चे बोरे पर पढ़ाई करते हुए नहीं दिखने चाहिए, ऐसा हुआ तो स्कूल के प्रधानाध्यापक या प्रधानाचार्य पर सख्त कार्रवाई होगी"- केके पाठक, एसीएस

स्कूलों में दिख रहा आदेश का असरः केके पाठक के इस निर्देश का असर पटना के विद्यालयों में भी देखने को मिल रहा है. पटना के बुद्धा कॉलोनी थाना क्षेत्र अंतर्गत मध्य विद्यालय नवीन आरक्षित केंद्र में जहां साल भर पूर्व बच्चे बोरे पर बैठकर पढ़ाई करते थे, वही काफी संख्या में विद्यालय में अब नई बेंच डेस्क आने के कारण बच्चों को बोरा पर बैठकर पढ़ाई नहीं करनी पड़ रही. विद्यालय के प्रधानाचार्य वीरेंद्र सिंह ने बताया कि काफी संख्या में नई बेंच डेस्क आए हैं.

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"विद्यार्थियों की संख्या के अनुरूप अभी और बेंच डेस्क चाहिए. कई पुराने बेंच डेस्क इस कदर खराब हो गए हैं अब वह मेंटेन नहीं हो सकते हैं. जिला शिक्षा पदाधिकारी को 30 जोड़ी बेंच-डेस्क की विद्यालय में आपूर्ति के लिए पत्र लिखा है"- वीरेंद्र सिंह, प्रधानाचार्य , मध्य विद्यालय

काफी दुरुस्त हुए हैं स्कूल के इंफ्रास्ट्रक्चरः वीरेंद्र सिंह ने बताया कि उनके विद्यालय में चार अन्य प्राथमिक विद्यालय चलते हैं और कुल पांच विद्यालय चलते हैं. मूल विद्यालय उनका है और उनके विद्यालय में 318 बच्चे पढ़ाई करते हैं. हाल ही में विद्यालय का रंग रोगन भी हुआ है और सभी ब्लैक बोर्ड का कालिकरण हो चुका है. हाल के दिनों में पेरेंट्स टीचर मीट के कारण भी बच्चों की उपस्थिति बढ़ी है. इंफ्रास्ट्रक्चर काफी दुरुस्त है लेकिन जो कुछ कमियां है वह भी दूर की जा रही है.

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