आगरा: अयोध्या के छावनी पीठाधीश्वर जगद्गुरु आचार्य परमहंस ने शनिवार शाम ताजमहल यानी तेजोमहालय का दीदार किया. आगरा पहुंचने पर उन्होंने मीडिया से भी बातचीत की. कहा कि ताजमहल एक प्राचीन शिव मंदिर है. जो तेजोमहालय है. कहा कि वे शाहजहां का नाम भी नहीं लेना चाहते हैं. उसका नाम लेना भी कलंक है. कहा कि पहले मुझे धर्मदंड की वजह से रोका गया था. एएसआई ने मुझसे माफी मांगी थी. इस पर मैं आज आया हूं.
आचार्य परमहंस शनिवार शाम आगरा पहुंचे. पुलिस की सुरक्षा व्यवस्था में आचार्य परमहंस गोल्फ कार्ट में बैठकर ताजमहल पहुंचे. उनके साथ शिष्य भी रहे. मीडिया से मुखातिब होने पर परमहंस ने कहा कि ये ताजमहल नहीं, ये तेजोमहल है. ये एक प्राचीन शिवालय है. इसलिए ही ये विश्व का सातवां अजूबा है. आज मैं भगवान शिव के मंदिर के दर्शन करने ही तेजोमहालय आया हूं. कहा कि मैं मुगल बादशाह शाहजहां का नाम लेना नहीं चाहता हूं. उसका नाम लेना भी एक कलंक है. कहा कि मुस्लिम लड़की सनातन धर्म में आती है तो जीते जी स्वर्ग मिलता है. यदि कोई हिंदू लड़की लव जेहाद में फंसती है तो जीते जी नरक में चली जाती है.
वहीं आचार्य परमहंस ने कहा कि पहले मुझे धर्मदंड के चलते ताजमहल में जाने से रोका गया था. इस पर एएसआई चीफ ने मुझसे माफी मांगी थी. उन्होंने मुझसे कहा था कि अगर आपके धर्म दंड में कुछ नहीं है. इसमें लोहा नहीं है, ये नुकीला नहीं है तो आप इसे लेकर ताजमहल में ले जा सकते हैं. मेरा मानना है अगर मुस्लिम टोपी पहनकर ताजमहल के अंदर जा सकता है तो हम धर्मदंड लेकर क्यों नहीं जा सकते हैं.
परमहंस ने कहा कि मैं यहां कोई विवाद करने नहीं आया हूं. मेरा मकसद विवाद करने का भी नहीं है. जैसे सब जा रहे हैं, वैसे ही हम भी तेजोमहालय में जा रहे हैं. हम शांति से जाएंगे. शिव मंदिर के दर्शन करके आ जाएंगे. ये सब एएसआई चीफ की सहमति से हो रहा है. मैं प्राचीन शिवालय में भगवान शिव का दर्शन करने आया हूं.
बता दें कि 2022 में आचार्य परमहंस आगरा आए तो उन्हें एएसआई और सीआईएसएफ ने एंट्री से रोक दिया था. उन्होंने ताजमहल देखने के लिए टिकट भी लिया था. उनके साथ तब शिष्य भी आए थे. लेकिन सीआईएसएफ के जवानों ने सुरक्षा और धर्मदंड की वजह से उन्हें एंट्री नहीं दी थी. जिस पर खूब हंगामा हुआ था. कहा था कि धर्मंदंड और भगवा कपड़े पहने होने से उन्हें रोका गया था.