पटना: तिरुपति बालाजी मंदिर के लड्डू में आपत्तिजनक चीजों की मिलावट की रिपोर्ट आने के बाद पूरे देश में हड़कंप मच गया है. लोग इसे आस्था के साथ खिलवाड़ मान रहे हैं. तिरुपति के बाद बतौर प्रसाद सबसे ज्यादा लड्डू की बिक्री पटना स्थित महावीर मंदिर के नैवेद्यम की होती है. तिरुपति प्रसाद विवाद के बाद महावीर मंदिर ने यह साफ कह दिया है कि नैवेद्यम गाय के शुद्ध घी से तैयार किया जाता है. इसमें मिलावट की कोई गुंजाइश ही नहीं है.
'नैवेद्यम प्रसाद पूरी तरह शुद्ध है': महावीर मंदिर न्यास के सचिव आचार्य किशोर कुणाल ने शुक्रवार को प्रेस वार्ता कर स्पष्ट किया है कि पटना जंक्शन स्थित महावीर मंदिर का नैवेद्यम प्रसाद पूरी तरह शुद्ध है. उन्होंने तिरुपति के प्रसाद पर आए रिपोर्ट पर गंभीर चिंता व्यक्त की है. कहा है कि मामले की गंभीरता से जांच करने की आवश्यकता है. उन्होंने कहा कि तिरुपति में भी पहले इसी घी का इस्तेमाल होता था, लेकिन फेडरेशन घी का दाम बढ़ाए जाने के बाद तिरुपति मंदिर प्रबंधन ने दूसरे घी का व्यवहार शुरू किया.
नंदिनी घी से तैयार होता है नैवेद्यम: आचार्य किशोर कुणाल ने नंदिनी घी का डब्बा दिखाते हुए बताया कि नैवेद्यम गाय के शुद्ध घी से तैयार किया जाता है. कर्नाटक मिल्क फेडरेशन के नंदिनी घी में इसे बनाया जाता है. महावीर मन्दिर के नैवेद्यम को शुद्धता और स्वच्छता की कसौटी पर खरा उतरने के बाद भारत सरकार का मानक ‘भोग’ सर्टिफिकेट भी मिला हुआ है. इसमें मिलावट की कोई गुंजाइश ही नहीं है.
''नैवेद्यम की गुणवत्ता की हर तीन महीने पर लैब से जांच करायी जाती है. इतना ही नहीं कर्नाटक मिल्क फेडरेशन के नंदिनी घी के हर खेप की गुणवत्ता रिपोर्ट प्राप्त कर ही घी लिया जाता है.''- आचार्य किशोर कुणाल, सचिव, महावीर मन्दिर न्यास
हर 3 महीने होती है जांच: बाजार में शुद्ध घी के बहुत सारे ब्रांड हैं, लेकिन गाय के दूध से तैयार होने और एकदम शुद्ध होने के कारण कर्नाटक मिल्क फेडरेशन के नंदिनी घी का ही इस्तेमाल महावीर मंदिर में किया जा रहा है. यहां प्रसाद बनता है तो उसमें मिलाने के लिए इस्तेमाल होने वाले पानी का भी हर 3 महीने में जांच कराया जाता है.
हर महीने 15 हजार किलो घी की खपत: महावीर मंदिर में अभी औसतन सवा लाख किलो प्रति माह नैवेद्यम की खपत हो रही है. इसके लिए हर महीने लगभग 15 हजार किलो शुद्ध घी मंगाया जा रहा है. प्रत्येक महीने दो खेप में लगभग 94 लाख रुपये का भुगतान शुद्ध घी की खरीद के लिए कर्नाटक मिल्क फेडरेशन लिमिटेड को किया जा रहा है. नैवेद्यम को तैयार करने में चना दाल का बेसन, गाय का शुद्ध घी, काजू, किशमिश और इलाइची का इस्तेमाल किया जाता है.
पाणिनी परिसर में बनता है लड्डू: महावीर मन्दिर के पाणिनी परिसर में पूरी सफाई के साथ पहले चना दाल से बेसन तैयार किया जाता है. फिर शुद्ध घी में पकाकर बेसन की बूंदी तैयार की जाती है. उसमें काजू-किशमिश और इलाइची को निश्चित अनुपात में मिलाकर नैवेद्यम तैयार किया जाता है. पूरी प्रक्रिया मशीन से संचालित की जाती है. इसमें हाथों का इस्तेमाल सीधे नहीं किया जाता.
ब्रह्म मुहूर्त में बनता है नैवेद्यम: किशोर कुणाल ने बताया कि महावीर मंदिर में नैवेद्यम बनाने के लिए तिरुपति के लगभग 100 दक्ष कारीगर ब्रह्म मुहूर्त में स्नान और पूजा पाठ करते हैं. इसके बाद वह स्वच्छता के साथ नैवेद्यम तैयार करने में जुटते हैं. नैवेद्यम की लगातार मांग बढ़ रही है. नैवेद्यम की बिक्री से प्राप्त आय से महावीर कैंसर संस्थान समेत सात अस्पतालों में गरीब मरीजों की सेवा की जाती है. सभी महावीर अस्पतालों में भर्ती मरीजों को तीनों पहर का भोजन निःशुल्क दिया जाता है.
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