जयपुर. एसीबी की टीम को वन विभाग के कर्मचारियों के पास संदिग्ध 1.05 लाख रुपए नगदी बरामद हुई है. एसीबी की टीम ने जयपुर में अरण्य भवन में कार से आते हुए वन विभाग के पांच कर्मचारियों की तलाशी ली, तो उनके पास 1 लाख 5 हजार रुपए नगदी बरामद हुई. जिसे संदिग्ध रिश्वत राशि मानते हुए एसीबी ने जब्त कर लिया है. वन विभाग के 5 कर्मचारियों को हिरासत में लेकर पूछताछ शुरू कर दी है.
एसीबी के एडीजी हेमंत प्रियदर्शी के मुताबिक एसीबी मुख्यालय के निर्देश पर एसीबी की जयपुर नगर द्वितीय इकाई की ओर से बुधवार को कार्रवाई करते हुए वन विभाग के पांच कार्मिकों को अरण्य भवन में कार से आते समय आकस्मिक चैकिंग के दौरान तलाशी ली गई. तलाशी में कर्मचारियो से 1 लाख 5 हजार रुपए से अधिक की नगद राशि मिली. जिसे संदिग्ध रिश्वत राशि मानते हुए जब्त किया गया है.
भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो के एडीजी हेमन्त प्रियदर्शी (अतिरिक्त चार्ज महानिदेशक) ने बताया कि एसीबी की जयपुर नगर द्वितीय इकाई को गोपनीय सूचना मिली थी कि वन विभाग के कुछ कार्मिक रिश्वत की बड़ी राशि एकत्र कर कार में बूंदी से अरण्य भवन जयपुर आ रहे हैं. सूचना पर एसीबी जयपुर के उप महानिरीक्षक पुलिस डॉ रवि के सुपरवीजन में एसीबी जयपुर नगर द्वितीय इकाई के उप अधीक्षक पुलिस अभिषेक पारीक के नेतृत्व में शिकायत का सत्यापन किया गया.
सत्यापन करने के बाद बुधवार को एसीबी टीम के साथ पुलिस निरीक्षक छोटीलाल ने आकस्मिक चेकिंग की. आकस्मिक चैकिंग की कार्रवाई करते हुए अरण्य भवन जयपुर पर संदिग्ध कार को रूकवा कर तलाशी ली गई. कार में संदिग्ध रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व बूंदी के वनरक्षक राजकुमार शर्मा, वरिष्ठ सहायक कार्यालय उप वन सरंक्षक बूंदी शक्ति प्रकाश, भैरूलाल गोस्वामी वरिष्ठ सहायक कार्यालय उप वन सरंक्षक बूंदी, राम सागर गुर्जर वरिष्ठ सहायक कार्यालय उप वन सरंक्षक बूंदी, महावीर प्रसाद रैगर सहायक वनपाल रामगढ़ विषधारी टाईगर रिजर्व बूंदी मिले.
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पांचों वनकर्मियों की तलाशी ली गई, तो संदिग्ध राजकुमार शर्मा वन रक्षक रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व बूंदी के पास 1 लाख 5 हजार रुपए की संदिग्ध नगद राशि मिली. इस राशि के संबंध में कार्मिक से स्पष्टीकरण लिया गया. मौके पर ही उसकी सत्यता की जांच की गई. जांच करने पर प्रथम दृष्टया सही नहीं पाया जाने पर संदिग्ध राशि को जब्त किया गया है. मामले में संदिग्ध कार्मिकों से पूछताछ करके कार्रवाई की जा रही है. एसीबी की ओर से मामले में भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के अन्तर्गत प्रकरण दर्ज कर अग्रिम अनुसंधान किया जाएगा.