लखनऊः केंद्रीय संगीत नाटक अकादमी ने वर्ष 2022 के लिए अकादमी पुरस्कार की घोषणा कर दी है. पुरस्कार पाने वाले विभूतियां में दो नाम लखनऊ से भी शामिल किए गए. प्रसिद्ध नाट्य संस्था दर्पण से जुड़े वरिष्ठ रंगकर्मी और कई फिल्मों में अपने अभिनय से लोगों को प्रभावित कर चुके डॉक्टर अनिल रस्तोगी और भातखंडे संस्कृत विश्वविद्यालय से सेवानिवृत गायन विषय के प्रवक्ता पंडित धर्मनाथ मिश्र (Academy Award to Pandit Dharmanath Mishra) को अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा. दोनों विभूतियों को आगामी 6 मार्च को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा यह सम्मान दिया जाएगा.
पुरस्कार मिलना गर्व की बात: डॉ. अनिल रस्तोगी (Academy Award to Dr Anil Rastogi) ने बताया कि 1952 में केंद्रीय संगीत नाटक अकादमी की स्थापना हुई थी, तब से वह यह पुरस्कार दिये जा रहे हैं. इस पुरस्कार से उत्तर प्रदेश में कई विभूतियों को पहले भी सम्मानित किया जा चुका है. पर उत्तर प्रदेश में किसी को पहली बार किसी को अभिनय के क्षेत्र में यह पुरस्कार मिल रहा है. इसके लिए मैं अपने आप को बहुत गौरवंवित महसूस कर रहा हूं. उन्होंने कहा कि अपने 60 साल लंबे करियर में रंग कर्मी और अभिनय के क्षेत्र में बहुत काम किया है.
इसके लिए उन्हें कई बड़े सम्मान हासिल हुए हैं, पर यह सम्मान उन सब में सबसे बड़ा है. उन्होंने बताया कि अभिनेत्री और थिएटर के क्षेत्र में विशिष्ट योगदान के लिए वर्ष 1984 में उन्हें उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार मिल चुका है. साथ ही वर्ष 2007 में उन्हें उत्तर प्रदेश संगीत अकादमी से फेलो सम्मान, वर्ष 2016 में यश भारती, मध्य प्रदेश सरकार का सबसे सर्वोच्च सम्मान कालिदास सम्मान के अलावा उन्हें लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार आदि मिल चुके हैं.
केंद्रीय संगीत नाटक अकादमी ने लखनऊ से चयनित पंडित धर्मनाथ मिश्र को हारमोनियम वादन क्षेत्र में अकादमी पुरस्कार के लिए चुना है. पंडित धर्मनाथ मिश्र वर्ष 1977 से वर्ष 2011 तक भातखंडे संस्कृत विश्वविद्यालय में शिक्षक के तौर पर काम किया है. उनके तमाम शिष्य आज देश विदेश में संगीत के जरिए लखनऊ और विश्वविद्यालय का नाम रोशन कर रहे हैं.
वर्ष 2018 में उन्हें बेगम अख्तर अवार्ड से सम्मानित किया जा चुका है. इसके अलावा साल 1999 में अप संगीत नाटक अकादमी अवार्ड से भी उन्हें सम्मानित किया गया है. पंडित धर्मनाथ मिश्र को केंद्रीय संगीत नाटक अकादमी द्वारा चयनित किए जाने पर विश्वविद्यालय प्रशासन ने कहा कि यह उनके लिए काफी गर्व की बात है. उनके संस्थान से जुड़े पंडित मिश्रा को इतना बड़ा सम्मान मिलना विश्वविद्यालय और उसके छात्रों के लिए हमेशा गर्व का विषय रहेगा.